
आपने पुरुष और महिलाओं की कुश्ती तो कई बार देखी होगी. क्या आपने कभी घूंघट में महिलाओं को कुश्ती लड़ते हुए देखा है. यह सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लग रहा है पर यूपी के हमीरपुर जिले में धूंघट वाली महिलाएं एक दंगल में खूब भिड़ीं. हमीरपुर जिले के 'निवादा' गांव में रक्षाबंधन के अगले दिन महिलाओं की कुश्ती का आयोजन किया जाता है.
अंग्रेजों के समय से यह परंपरा चली आ रही है. जिसमें पूरे गांव की युवा और बूढ़ी महिलाएं साड़ी पहनकर कुश्ती लड़ती हैं. इस अनोखे दंगल में किसी भी पुरुष को आने की इजाजत नहीं होती है. दंगल के चारों तरफ पुरुषों पर नजर रखने के लिए महिलाएं लाठी डंडे से मुस्तैद रहती हैं.
दंगल में पुरुषों के एंट्री पूरी तरह से बैन रहती है
इस दंगल में महिलाएं ही रैफरी और दर्शक होती हैं, ॉ अगर कोई पुरुष धोखे से कुश्ती को देखने आ जाए तो सभी महिलाएं उसे डंडे से मारकर भगा देती हैं. अखाड़े में महिलाओं की 44 कुश्तियां कराई गईं. जिसमें घूंघट वाली तमाम महिलाओं की गुत्थमगुत्था देख किशोरियों ने ताली बजाकर उनकी हौसलाअफजाई की. दंगल में कई बुजुर्ग महिलाएं भी युवा घूंघट वाली महिलाओं से भिड़ीं. कुश्ती जीतने वाली महिलाओं को सरपंच (ग्राम प्रधान) ने पुरस्कृत भी किया गया.
अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही है ये परंपरा
ग्रामीणों का कहना है कि ब्रिटिश हुकूमत में फौजों ने यहां लोगों पर बड़ा अत्याचार किया था, तभी से महिलाओं ने अपनी हिफाजत के लिए कुश्ती के दांव- पेंच सीखे शुरू किए थे. बुंदेलखंड क्षेत्र में यहीं इकलौता गांव है, जहां सैकड़ों सालों से महिलाएं अखाड़े में कुश्ती लड़ती हैं. इससे पूर्व महिलाएं मंगल गीत गाते हुए अखाड़े तक पहुंचीं.
ब्रिटिश फौजों के अत्याचार की वजह से महिलाओं ने कुश्ती सीखी
गांव की ग्राम प्रधान गिरजा देवी वर्मा ने बताया कि सोमवार की शाम दंगल में सिर्फ महिलाओं और किशोरियों को प्रवेश दिया गया, जबकि पुरुषों के प्रवेश पर प्रतिबंध था. महिलाओं के दंगल के समापन तक अखाड़े के आसपास कोई भी पुरुष नजर नहीं आया.