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ना बैठने की सीट, ना टॉयलेट, बेहद खतरनाक है 200 डिब्बों वाली इस ट्रेन में सफर!

अफ्रीकी देश मॉरीतानिया में 2 किलोमीटर से भी लंबी ट्रेन चलती है. ट्रेन में 200 से ज्‍यादा डिब्‍बे लगते हैं. इस ट्रेन में 3-4 डीजल इंजन होते हैं. यह ट्रेन मूलत: खदानों से कच्चा लोहा वगैरह ढोने के लिए चलती है, लेकिन कई लोग जान पर खेलकर इसमें सफर करते हैं.

साल 1963 में 'ट्रेन डू डेसर्ट' की शुरुआत हुई (गेटी) साल 1963 में 'ट्रेन डू डेसर्ट' की शुरुआत हुई (गेटी)
aajtak.in
  • नई दिल्‍ली ,
  • 18 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 8:07 PM IST
  • अफ्रीकी देश मॉरीतानिया में चलती है ये ट्रेन
  • 20 घंटे में ट्रेन पूरा करती है सफर

दुनिया में कई ट्रेन अनोखेपन के लिए जानी जाती हैं. लेकिन एक ट्रेन ऐसी भी है जिसमें सफर करने को बेहद खतरनाक समझा जाता है. यूं तो यह मालगाड़ी है, लेकिन कई लोग जान जोखिम में डालकर इस ट्रेन में सफर करते हैं. इस ट्रेन के ज्यादातर डिब्बों में ना तो बैठने के लिए सीट होती है और ना ही टॉयलेट.

ये ट्रेन अफ्रीकी देश मॉरीतानिया (Mauritania) में चलती है. साल 1963 में 'ट्रेन डू डेसर्ट' (Train du Desert) की शुरुआत हुई. ट्रेन सहारा रेगिस्‍तान से होकर गुजरती है. यह ट्रेन 704 किलोमीटर की दूरी तय करने में 20 घंटे का समय लेती है. इसकी लंबाई 2 किलोमीटर है. इसमें 3 से लेकर 4 डीजल इंजन भी लगते हैं.

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यह ट्रेन मॉरीतानिया के नोयाधिबू (Nouadhibou) और जुरेत (Zouerat) शहर के बीच चलती है. इस ट्रेन में 200 से 210 मालगाड़ी के डिब्‍बे लगे होते हैं. एक डिब्बा पैसेंजर के लिए होता है. लेकिन काफी लोग कच्चे लोहे के ऊपर बैठकर मुश्किल सफर करते हैं. 

लाइफलाइन है ये ट्रेन
इस ट्रेन में अफ्रीकी देश के रेगिस्‍तानी समुदाय के लोग भी सफर करते हैं. इससे 500 किलोमीटर की सड़क मार्ग की दूरी कम हो जाती है. मॉरीतानिया की राजधानी नुआकशॉट (Nouakchott) जाने के लिए लंबा चक्‍कर काटने से भी लोगों को राहत मिलती है.

यही वजह है कि मॉरीतानिया देश में रहने वाले लोग इस ट्रेन का चयन अपने सफर के लिए करते हैं. क्‍योंकि उन लोगों के लिए यह ट्रेन लाइफलाइन की तरह है. काम के लिहाज से और परिजनों से मिलने के लिए ट्रेन बहुत बड़ा जरिया है. 

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बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस ट्रेन में जो लोग मालगाड़ी वाले डिब्‍बों में सफर करते हैं उनको कोई पैसा नहीं देना होता है. ट्रेन में सफर के दौरान यात्रियों को करीब 49 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सहन करना पड़ता है. वहीं, रात में तापमान शून्‍य डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है. 
 

 

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