
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले प्रेसिडेंशियल डिबेट में अमेरिका में गर्भपात के मुद्दे पर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मौजूदा उप राष्ट्रपति कमला हैरिस के बीच गरमागरम बहुस हुई. बहस के दौरान रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने गर्भपात नीति को डिफेंड किया और अबॉर्शन पर 6 सप्ताह के बैन को सपोर्ट किया. ट्रंप ने कहा कि अबॉर्शन पर डेमोक्रेट्स की नीतियां वही पुरानी रही हैं.
वहीं अबॉर्शन पर डेमोक्रेट कैंडिडेट कमला हैरिस ने महिलाओं के च्वाइस की आजादी की पैरवी करते हुए कहा कि ट्रंप महिलाओं को मत बताएं कि उन्हें अपने बॉडी के साथ क्या करना चाहिए. कमला ने कहा, "सरकार और डोनाल्ड ट्रम्प को महिलाओं को यह नहीं बताना चाहिए कि उन्हें अपने शरीर के साथ क्या करना चाहिए".
कमला हैरिस ने कहा कि अगर डोनाल्ड ट्रंप चुने गए तो वे पूरे देश में गर्भपात पर रोक लगाने वाले बिल पर साइन कर देंगे.
कमला के आरोपों पर ट्रंप ने कहा कि वह झूठ बोल रही हैं. मैं ऐसा कोई बैन साइन नहीं कर रहा हूं, न ही ऐसा करने की कोई जरूरत है.
In over 20 states, there are now Trump abortion bans that make no exception for rape or incest.pic.twitter.com/nhGRyc5uZo
— Kamala Harris (@KamalaHarris) September 11, 2024वहीं ट्रंप से जब पूछा गया कि क्या वे गर्भपात पर राष्ट्रीय स्तर पर बैन लगाने वाले बिल पर वीटो करेंगे तो उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी क्योंकि ऐसा कोई भी बिल कांग्रेस से अनुमोदन हासिल नहीं कर सकेगा.
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इसके बाद हैरिस ने रो वी वेड नियम को बहाल करने के लिए अपनी पॉलिसी को स्पष्ट शब्दों में समझाया.
बता दें कि 2022 में, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक रो बनाम वेड फैसले द्वारा स्थापित गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को समाप्त कर दिया था. 1973 के इस फैसले ने पूरे देश में गर्भपात को वैध बना दिया था.
कमला ने कहा कि अभी 20 से अधिक राज्यों में ट्रम्प की नीतियों से प्रभावित गर्भपात वाले कानून लागू हैं जिसकी वजह से अबॉर्शन पर प्रतिबंध हैं. इसकी वजह से जो डॉक्टर या नर्स द्वारा अबॉर्शन से जुड़े मामलों में स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना अपराध बनाता है. एक राज्य में तो इसके लिए आजीवन कारावास का प्रावधान है.
कमला हैरिस ने कहा कि यदि ट्रंप जीतते हैं तो उनकी कोशिश होगी वे देशव्यापी गर्भपात बैन के नियमों को लाएंगे. उन्होंने कहा कि कुछ आजादी जैसे कि अपने शरीर से जुड़े फैसले लेने की आजादी के नियम सरकार को नहीं बनाने चाहिए, खासकर डोनाल्ड ट्रंप तो ऐसे नियम न ही बनाएं.
कमला ने कहा कि ट्रंप के नियम गर्भपात के मामलों में कोई अपवाद का पालन भी नहीं करते. इसमें तो रेप और इसेस्ट जैसे मामलों में भी कोई अपवाद नहीं है. इसका मतलब ये है कि इन अपराधों से अगर कोई जिंदा बच भी जाता है तो भी उसे ये तय करने का अधिकार नहीं है कि अगर उसके गर्भ में कोई बच्चा रह जाता है तो उसका क्या किया जाए. ऐसे मामले में पीड़िता को अपने शरीर पर फैसले लेने का भी अधिकार नहीं रह जाता है.
उपराष्ट्रपति कमला ने गर्भपात पर ट्रंप की नीतियों का जोरदार विरोध करते हुए कहा कि ये तो अनैतिक है और सरकार से सहमत होने के लिए किसी को अपने विश्वास या गहरी मान्यताओं को त्यागने की आवश्यकता नहीं है और डोनाल्ड ट्रम्प को निश्चित रूप से किसी महिला को यह नहीं बताना चाहिए कि उसे अपने शरीर के साथ क्या करना चाहिए.
ट्रम्प ने अपने पक्ष में कहा कि डेमोक्रेट गजब के रेडिकल हैं, जो नौवें महीने में गर्भपात को ठीक मानते हैं.
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, "डेमोक्रेट कट्टरपंथी हैं. उनके उप-राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार, जो मुझे लगता है कि एक भयानक उम्मीदवार हैं, का कहना है कि नौवें महीने में गर्भपात बिल्कुल ठीक है. यह एक ऐसा मुद्दा है जिसने हमारे देश को 52 सालों से अलग-थलग कर रखा है."
उन्होंने आगे दावा किया कि डेमोक्रेट जन्म के बाद गर्भपात का समर्थन करते हैं. हालांकि ट्रंप के इस दावे का एबीसी नेटवर्क ने फैक्ट चेक किया और इसे झूठ बताया. एबीसी नेटवर्क ने बताया कि जन्म के बाद बच्चे को मारना सभी 50 अमेरिकी राज्यों में अवैध है.