
उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में 16 साल पहले हुई एक निर्दोष बच्चे की हत्या के मामले में न्यायालय ने सख्त फैसला सुनाया है. इस हृदयविदारक घटना में महज एक मोबाइल फोन के लिए 10 वर्षीय मासूम की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी. अब अपर सत्र न्यायाधीश आभा पाल की अदालत ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसके अलावा, अदालत ने दोषी पर 16 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है.
दरअसल, यह घटना 20 मई 2008 को कौशांबी जिले के मंझनपुर थाना क्षेत्र के कादीपुर गांव में हुई थी. पीड़ित पिता लक्ष्मी नारायण ने थाने में दर्ज कराई गई शिकायत में बताया कि उनके 10 वर्षीय बेटे राघवेंद्र नारायण को गांव का ही रहने वाला अश्वनी कुमार और उसका बेटा आम तोड़ने के बहाने अपने साथ ले गए थे. लेकिन देर शाम तक भी राघवेंद्र वापस नहीं लौटा, जिससे परिजन चिंतित हो गए. जब उन्होंने अश्वनी कुमार से पूछताछ की तो वह टाल-मटोल करने लगा और कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया. परेशान माता-पिता ने मंझनपुर पुलिस को घटना की सूचना दी और अपने बेटे को खोजने की गुहार लगाई.
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पुलिस जांच में हुआ बड़ा खुलासा
मंझनपुर पुलिस ने जब जांच शुरू की, तो उन्हें चौंकाने वाले तथ्य मिले. पुलिस को पता चला कि आरोपी अश्वनी कुमार ने राघवेंद्र की हत्या केवल एक मोबाइल फोन के लिए कर दी थी. उसने बच्चे का गला धारदार हथियार से रेतकर उसे मौत के घाट उतार दिया था. इस जघन्य अपराध में अश्वनी कुमार का नाबालिग बेटा भी उसके साथ मौजूद था.
आरोपी की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उससे सख्ती से पूछताछ की, जिसमें उसने अपना अपराध कबूल कर लिया. उसकी निशानदेही पर मृतक राघवेंद्र नारायण का शव बरामद कर लिया गया. पुलिस ने आवश्यक कानूनी प्रक्रिया पूरी करते हुए आरोपी अश्वनी कुमार को जेल भेज दिया और उसके खिलाफ चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की.
न्यायालय में चला लंबा मुकदमा
मामले की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश आभा पाल की अदालत में हुई. इस दौरान अपर शासकीय अधिवक्ता अनिल कुमार चौधरी ने अभियोजन पक्ष की ओर से 15 गवाहों को पेश किया, जिनकी गवाही के आधार पर न्यायालय ने आरोप सिद्ध माना. गुरुवार को अदालत ने सभी साक्ष्यों और गवाहों के बयान को ध्यान में रखते हुए आरोपी अश्वनी कुमार को दोषी ठहराया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुना दी.
नाबालिग बेटे पर क्या फैसला हुआ?
इस मामले में अश्वनी कुमार का बेटा भी घटना के समय मौजूद था, लेकिन चूंकि वह नाबालिग था, इसलिए न्यायालय ने उसकी पत्रावली को बाल न्यायालय में भेज दिया है. वहां पर उसके खिलाफ अलग से सुनवाई होगी और कानून के अनुसार निर्णय लिया जाएगा.
परिवार को मिला न्याय, लेकिन जख्म अब भी ताजा
इस घटना से मृतक के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था. न्याय मिलने में 16 साल लग गए, लेकिन परिवार का कहना है कि उनके बेटे को वापस नहीं लाया जा सकता. हालांकि, न्यायालय के फैसले से उन्हें कुछ हद तक संतोष मिला है.