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Aditya L1 Mission: यूपी की बेटी ऋचा ने भी बढ़ाया मान, पिता ने कही दिल छूने वाली बात

शनिवार को Aditya-L1 मिशन की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग हो गई. इसरो के सबसे भरोसेमंद रॉकेट PSLV-XL आदित्य को उसके तय ऑर्बिट में छोड़ने निकला है. इसकी लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से 11:50 बजे की गई. बता दें कि सूर्य मिशन आदित्य L1 के लॉन्चिंग में यूपी के बांदा की वैज्ञानिक ऋचा पाठक का भी योगदान रहा.

माता-पिता और बेटी के साथ ISRO वैज्ञानिक ऋचा पाठक. माता-पिता और बेटी के साथ ISRO वैज्ञानिक ऋचा पाठक.
सिद्धार्थ गुप्ता
  • बांदा,
  • 03 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 8:16 AM IST

भारत के वैज्ञानिकों ने इन दिनों पूरे विश्व में देश का नाम रोशन किया है. चाहे चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की सफलता हो या अब सूर्य मिशन. इसमें यूपी का बांदा भी पीछे नहीं है. सूर्य मिशन आदित्य L1 (Aditya L1 Mission) की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग में बांदा की वैज्ञानिक ऋचा पाठक (Scientist Richa Pathak) का भी योगदान रहा. वो सूर्य मिशन L1 की इंजन डिजाइन करने वाली टीम की प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में मिशन से जुड़ी रहीं. 

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मिशन लांच के बाद उनके घर पर बधाई देने के लिए लोगों का तांता लगा है. परिवार के लोग एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशियां बांट रहे हैं. पिता का कहना है, 'मुझे आज भारतीय होने का गर्व महसूस हो रहा है. बेटी ने देश का मान पूरे विश्व मे बढ़ाया है'. दरअसल बांदा के चुंगी चौकी के रहने वाले वीरेंद्र पाठक मध्य प्रदेश में जल विभाग पर अफसर पद पर कार्यरत थे. 

आदित्य L1 के डिजाइनिंग टीम में डिप्टी डायरेक्टर

वीरेंद्र ने बताया कि बेटी ऋचा इन दिनों इसरो में वैज्ञानिक है. ऋचा सूर्य मिशन के कामयाबी के लिए पिछले कई महीनों से मेहनत कर रही थी. वो आदित्य L1 अभियान में इंजन की डिजाइनिंग टीम में डिप्टी डायरेक्टर (Deputy Director) पद पर तैनात है. ऋचा 2006 से इसरो (ISRO) में वैज्ञानिक-C के रूप में जुड़ी थी. ऋचा ने अपनी मेहनत के दम पर 4 प्रोमोशन भी लिए और आज सूर्य मिशन में बड़ी भूमिका निभाकर कामयाबी हासिल की है. 

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ऋचा के नाम डाक टिकट भी है जारी

ऋचा इसके पहले 2019 में कुरु फ्रेंच गुयाना स्पेस सेंटर से लांच किए गए इंडियन उपग्रह G सेट 31 में भी डिप्टी डायरेक्टर के पद पर कार्य कर चुकी हैं. उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान रिसर्च के लिए 2016 में मेरिट अवार्ड भी मिल चुका है. इतना ही नहीं इसरो ने ऋचा का सम्मान के लिए भारतीय डाक सेवा में स्टांप योजना के तहत डाक टिकट भी जारी किया है. 

ऋचा के पति भी इसरो में इंजीनियर हैं

पिता ने यह भी बताया, 'मेरी पोस्टिंग रीवा संभाग में थी, इसलिए बेटी की बचपन और नर्सरी से ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई मध्य प्रदेश के रीवा में हुई है. वह पढ़ने में शुरू से होशियार थी. उसका दिमाग ज्यादा से ज्यादा नई चीजें खोजबीन में रहता था. तकनीकी और विज्ञान के क्षेत्र में हमेशा आगे रही. स्कूल कॉलेज में हमेशा सबसे ज्यादा नंबरो से रिजल्ट आता था. ऋचा के पति रामप्रसाद भी इसरो में इंजीनियर हैं.

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