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कृष्णानंद राय मर्डर केस: अफजाल अंसारी की अपील पर हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

2005 में तत्कालीन भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद अफजाल पर गैंगस्टर एक्ट लगा था. इस मामले में अगर अफजाल को दोषी करार दिया जाता है, तो वह अपनी संसद सदस्यता खो देंगे, क्योंकि सजा दो साल से अधिक की है. अफजाल ने 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर गाजीपुर सीट जीती है.

अफजाल अंसारी- फाइल फोटो अफजाल अंसारी- फाइल फोटो
आनंद राज
  • प्रयागराज,
  • 04 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 5:33 PM IST

गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी की क्रिमिनल अपील पर गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सभी पक्षों ने अपनी दलीलें पेश कीं. सभी को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. अफजाल अंसारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में 4 साल की सजा के खिलाफ अपील दायर की है. उन्हें कृष्णानंद राय मर्डर केस में गाजीपुर कोर्ट ने 4 साल की सजा सुनाई थी. इसे रद्द करने के लिए अफजाल की तरफ से मांग की गई. 

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इस मामले में शिकायकर्ता पीयूष राय और सरकार ने सजा बढ़ाने की अपील की है. जस्टिस संजय कुमार सिंह की सिंगल बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी. कई दिनों से अफजाल के मामले पर सुनवाई चल रही थी जो आज पूरी हो गई.

2005 में हुई थी कृष्णानंद राय की हत्या
2005 में तत्कालीन भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद अफजाल पर गैंगस्टर एक्ट लगा था. इस मामले में अगर अफजाल को दोषी करार दिया जाता है, तो वह अपनी संसद सदस्यता खो देंगे, क्योंकि सजा दो साल से अधिक की है. अफजाल ने 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर गाजीपुर सीट जीती है.

गैंगस्टर एक्ट के मामले में चार साल की जेल 
गाजीपुर की MP-MLA कोर्ट ने 29 अप्रैल 2023 को अफजल को गैंगस्टर एक्ट के मामले में दोषी करार देते हुए चार साल की जेल और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. इस मामले में उनके छोटे भाई मुख्तार अंसारी को भी 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद अफजाल को सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था. इसके बाद अफजाल ने हाईकोर्ट में मौजूदा आपराधिक अपील दायर की थी. 

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हाईकोर्ट से मिली थी जमानत
24 जुलाई 2023 को हाईकोर्ट ने अफजाल को जमानत दे दी थी, लेकिन मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. हालांकि अफजाल को जेल से रिहा कर दिया गया, लेकिन उनकी संसद सदस्यता बहाल नहीं हुई. इसके अलावा, वह भविष्य में चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य हो गए, क्योंकि उन्हें दी गई सजा दो साल से अधिक थी. 

सुप्रीम कोर्ट से बहाल हुई थी सदस्यता
हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगा दी, जिसकी वजह से उनकी सदस्यता बहाल हो गई और वह लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए भी पात्र हो गया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को सुनवाई में तेजी लाने और 30 जून तक मामले का फैसला करने का निर्देश दिया था.

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