
यूपी के आगरा में पुलिस और पत्रकारों पर हमले के बाद चर्चा में आई सत्संग सभा का विवादों से पुराना नाता है. सत्संगियों और आसपास के गांवों के बीच 70 वर्षो से विवादों का नाता है. दोनों के बीच जमीन को लेकर समय-समय पर विवाद होते रहे हैं. सत्संगी और ग्रामीण जमीनों पर कब्जा और हक को लेकर कई बार आमने-सामने आ चुके हैं. कई बार हत्याएं भी हुई हैं. दर्जनों लोग चोटिल भी हो चुके हैं जिससे इलाके का माहौल खराब होता रहा है.
ग्रामीणों का आरोप हैं कि करीब 70 वर्ष से लगातार किसानों की जमीन पर जबरन कब्जा किया जा रहा है. जब देश आजाद हुआ था तब भारत बंटवारे का दर्द झेल रहा था और सत्संगी जमीनों पर कब्जा कर रहे थे. स्थानीय ग्रामीण सुंदर सिंह वर्मा ने कहा कि हमारी जमीनों को जबरन हमसे छीना गया. पुराने लेखों के अनुसार, आज भी वह सब जमीन किसानों की है.
ग्रामीणों ने लगाए ये आरोप
उन्होंने बताया कि जगनपुर में हुए झगड़े में सत्संगियों के एक मैनेजर की मौत हो गई थी जिसमें सत्संगियों ने कई लोगों को सजा कराई. उस समय शासन-प्रशासन सत्संगियों की ही सुनता था. इतने सालों मे पहली बार जिलाधिकारी ने हमारी बात सुनी और सर्वे कराया गया. कई ग्रामीणों के बयान भी दर्ज कराए गए.
वर्ष 2005 में खासपुर के ग्रामीणों ने मुकदमा दर्ज कराया. वर्ष 2009 में सिंचाई विभाग के ठेकेदार ने मुकदमा दर्ज कराया. ठेकेदार ने पानी की लाइन उखाड़ने का आरोप लगाया था. जांच के बाद मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई. 2009 में गांव सिकंदरपुर में ग्रामीण और सत्संगियों के बीच झगड़ा हुआ था. इस संघर्ष में सत्संगी पक्ष के एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. संघर्ष में कई ग्रामीण घायल हुए थे. दोनों पक्षों ने थाने में केस दर्ज कराए थे. तब पुलिस ने मुकदमे में कार्रवाई करते हुए तत्कालीन जिला पंचायत सदस्य भूरी सिंह समेत अन्य ग्रामीणों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. 12 साल बाद भूरी सिंह को जेल से रिहाई मिल पाई.
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ग्रामीण ने आगे बताया कि वर्ष 2013 में शिक्षण संस्थान के माइक्रो बायोलॉजी लैब में शोध छात्र नेहा शर्मा मृत अवस्था मे पाई गई थी. यह केस देश में सुर्खियों में छाया रहा और इसमें सीबीआई जांच हुई थी. सीबीआई जांच मे सत्संग सभा जुड़े लोग आरोपी पाए गए थे. पुलिस ने दोनों को जेल भेजा था. यह केस अभी न्यायालय में विचाराधीन है. सत्संगियों ने सत्संग सभा जुड़े लोगों के पक्ष में एड़ी से चोटी तक का जोर लगाया था लेकिन वो आज तक घटना के आरोपी हैं.
एक और ग्रामीण भरत सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि 50 साल पहले खेत मे काम कर रहे भूरे नामक किसान को सत्संगी जबरन खींच कर ले गए थे. इस झगडे मे किसान मूलचंद की मौत हो गई थी लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं हुई. इसी तरह सालों से लगातार झगड़े होते रहे हैं और किसानों की मौत होती रही.
एक अन्य ग्रामीण रामस्वरूप ने आरोप लगाया कि साल 2009 में 153 बीघा जमीन को लेकर सत्संगियों ने लाठी डंडों से हमला किया जिसमें किसान नरोत्तम की मौत हो गई. यह झगड़ा पट्टे की 153 बीघा जमीन को लेकर हुआ था जो किसानो की हैं. उस पर जबरन कब्जा किया गया.
जब पुलिस से भिड़ गए सत्संगी
बीते दिनों आगरा के दयालबाग में सरकारी जमीन पर से अवैध कब्जा हटाने गई पुलिस पर सत्संगियों ने हमला कर दिया. हजारों की संख्या में जुटे राधा स्वामी के सत्संगियों ने पुलिस को घेरकर लाठी-डंडे से वार किया. पुलिस ने भी सत्संगियों को भगाने के लिए लाठीचार्ज किया. दोनों पक्ष से दर्जनों लोग घायल हुए हैं. इलाके में तनाव है. भारी फोर्स की तैनाती की गई है. घटना में DCP और ACP समेत करीब 20 पुलिसकर्मियों को चोट आई है.
अभी तक 10 हेक्टेयर जमीन पर कब्जे को लेकर दयालबाग सत्संग सभा के पदाधिकारियो के खिलाफ तीन मुकदमे दर्ज किया जा चुके हैं. सदर तहसील के लेखपाल मुकदमे में वादी बने हैं. जिला प्रशासन ने जांच पड़ताल के बाद दयालबाग में 10 हेक्टेयर भूमि पर अवैध कब्जा होने की बात कही थी. इसके बाद प्रशासन की टीम कब्जा हटाने के लिए दयालबाग पहुंची थी. कब्जा हटाने के दौरान सत्संगियों से अधिकारियों का विवाद हो गया. विवाद के दौरान पथराव और मारपीट की गई, जिसमें पुलिसकर्मियों के साथ पत्रकार भी चोटिल हुए हैं.
फिलहाल, पुलिस मामले की जांच कर रही है जबकि सत्संग सभा विवादित जमीन पर अपना मालिकाना हक जाता रही है. सत्संग सभा के पदाधिकारियो का कहना है कि उनके पास जमीन संबंधित सभी कागजात मौजूद हैं. वहीं,पुलिस की नजर मे वे सभी कागज फर्जी हैं.