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आगरा: Taj Mahal में शाहजहां का उर्स, विरोध में हिंदू महासभा ने पढ़ी शिव चालीसा, जलाभिषेक भी किया

ताजमहल में शुरू हुए शाहजहां उर्स का अखिल भारत हिंदू महासभा ने विरोध किया है. हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं ने ताजमहल के पार्श्व में जाकर जलाभिषेक किया. साथ ही शिव चालीसा का पाठ भी किया गया.

ताजमहल में शाहजहां उर्स का विरोध ताजमहल में शाहजहां उर्स का विरोध
अरविंद शर्मा
  • आगरा ,
  • 07 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 10:01 AM IST

यूपी के आगरा स्थित ऐतिहासिक स्मारक ताजमहल में शुरू हुए शाहजहां उर्स का अखिल भारत हिंदू महासभा ने विरोध किया है. हिंदू महासभा के कार्यकर्ताओं ने ताजमहल के पार्श्व में जाकर जलाभिषेक किया. साथ ही शिव चालीसा का पाठ भी किया गया. प्रदर्शकारी कार्यकर्ताओं का कहना था कि जब ताजमहल पर किसी तरह के धार्मिक आयोजन पर रोक लगी है तो यहां शाहजहां का उर्स किसकी इजाजत से कराया जा रहा है. 

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इस संबंध में हिंदू महासभा ने आगरा की अदालत में शाहजहां उर्स को रोकने के लिए वाद भी दायर कर रखा है. इसकी सुनवाई 4 मार्च को होनी है. अखिल भारत हिंदू महासभा के जिलाध्यक्ष सौरभ शर्मा ने कहा- उर्स का हम लगातार विरोध करते आ रहे हैं. पूर्व में पुरातत्व विभाग को ज्ञापन दे चुके हैं. प्रशासन से भी कई बार मिन्नत की है. सुनवाई ना होने पर न्यायालय में वाद दाखिल किया है. न्यायलय ने उर्स कमेटी को नोटिस भी जारी किए हैं. नोटिस के बाद भी उर्स को मनाया जा रहा है. उर्स का कार्यक्रम होगा तो हम भी भगवान राम के वशंज हैं और शिव तांडव करेंगे.

शाहजहां का उर्स, विरोध में हिंदू महासभा

बता दें कि मुगल बादशाह शाहजहां का मंगलवार को 369 वां उर्स ताजमहल पर मनाया जा रहा है. तीन दिवसीय उर्स में अलग-अलग रस्में अदा की जाती हैं. उर्स में गुस्ल, संदिल और चादरपोशी की रस्में होती हैं. साथ ही कव्वाली और मुशायरा भी होता है. साल भर में सिर्फ एक बार शाहजहां और मुमताज की भूतल की असली कब्रों तक जाने के लिए दरवाजे खोले जाते हैं. 

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तीन दिन तक आम पर्यटक भी असली कब्रों को देख सकते हैं. 6 और 7 फरवरी को ताजमहल में दो बजे के बाद सभी के लिए एंट्री निशुल्क रहेगी. उर्स के अंतिम दिन 8 फरवरी को पूरे दिन एंट्री फ्री रहेगी.

बीते मंगलवार को पहले दिन गुस्ल की रस्म के साथ शाहजहां उर्स की शुरुआत हुई तो हिंदूवादी संगठन के लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया.  करीब आधा दर्जन लोग ताजमहल के पार्श्व मेहताब बाग पहुंच गए, जहां उन्होंने भगवान शिव के चित्र के आगे जलाभिषेक किया और शिव चालीसा का पाठ किया.

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