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Akash anand vs Mayawati: पत्नी प्रज्ञा और ससुर अशोक सिद्धार्थ के कारण गई आकाश आनंद की कुर्सी? आखिर BSP सुप्रीमो मायावती नाराज क्यों

बीएसपी में आकाश आनंद की कहानी ससुर-दामाद, बेटी और 'बुआ मां' के दो खेमों में बंट जाने की सियासी कहानी है. मायावती ने इस पूरे घटनाक्रम के लिए आकाश आनंद के ससुर को जिम्मेदार ठहराया है. बीएसपी सुप्रीमो का इशारा आकाश की पत्नी की ओर भी है. जिनके बारे में मायावती को अंदेशा है कि वो अपने पिता के प्रभाव से शायद ही मुक्त हो पाएंगी. उन्होंने कहा है कि इस घटनाक्रम से आकाश का राजनीतिक करियर खराब हो गया है.

मायावती और आकाश आनंद (फोटो- इंडिया टुडे) मायावती और आकाश आनंद (फोटो- इंडिया टुडे)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 2:07 PM IST

BSP सुप्रीमो मायावती अपने परिवार के सदस्यों की राजनीति को लेकर शायद भी कभी-कभी इतनी मुखर और उग्र दिखती हैं.  अपने भतीजे आकाश आनंद को BSP से बाहर करते हुए मायावती ने BSP की प्रेस रिलीज में कहा है कि, "जहां तक इस मामले में श्री आकाश आनंद का सवाल है तो आपको यह मालूम है कि श्री अशोक सिद्धार्थ की लड़की के साथ इनकी शादी हुई है और अब श्री अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकालने के बाद उस लड़की पर अपने पिता का कितना प्रभाव पड़ता है तथा आकाश पर भी उसकी लड़की का कितना प्रभाव पड़ता है? तो यह सब भी हमें देखना होगा."

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बीएसपी अध्यक्ष ने इस मामले में अभी निराशा दर्शाते हुए कहा कि अभी तक उनका असर कतई पॉजिटिव नहीं लग रहा है. ऐसे में पार्टी मूवमेंट के हित में आकाश आनंद को पार्टी की सभी जिम्मेदारियों से अलग कर दिया गया है. 

मायावती ने इस घटनाक्रम के लिए आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ को जिम्मेदार बताते हुए कहा है कि ''ऐसे में पार्टी व मूवमेंट के हित में श्री आकाश आनंद को पार्टी की सभी जिम्मेदारियों से अलग कर दिया गया है. जिसके लिए पार्टी नहीं बल्कि पूर्ण रूप से इसका ससुर श्री अशोक सिद्धार्थ ही जिम्मेदार है जिसने पार्टी को नुकसान पहुंचाने के साथ साथ श्री आकाश आनंद के पॉलिटिकल करियर को भी खराब कर दिया है." 

30 साल के युवा आकाश आनंद मायावती को 'बुआ मां' कहकर सम्मान देते हैं. कभी समय था कि मायावती को आकाश में बड़ी संभावनाएं नजर आती थीं. आकाश ने BSP के साथ छोटी सी पारी में कई उतार-चढ़ाव देख लिए. दो साल में ये दूसरी बार है जब आकाश आनंद को मायावती ने बसपा के राष्ट्रीय कॉर्डिनेटर और उत्तराधिकारी के पद से चलता किया है. 

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मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे आकाश ने दिल्ली में स्कूली शिक्षा प्राप्त की और लंदन से एमबीए किया. 

बुआ ने सिखाया राजनीति का ककहरा

वह 2017 में भारत लौटे और उसी साल मई में मायावती के साथ सहारनपुर गए थे. ये वो जगह थी जहां तब ठाकुर-दलित संघर्ष हुआ था. लंदन के माहौल से आए नए नए लड़के आकाश को बुआ ने राजनीति का ककहरा सिखाना शुरू किया और ले गईं सहारनपुर, जहां की सोशल इंजीनियरिंग में आकाश को अपना करियर तराशना था. ये आकाश की पहली ट्रेनिंग थी. 

सितंबर 2017 में मायावती ने आकाश आनंद को पार्टी कार्यकर्ताओं से औपचारिक रूप से मिलवाया. ये वो समय था जब बीजेपी यूपी में शानदार कमबैक कर चुकी थी और BSP 19 सीटों पर आ चुकी थी. 

2019 आते-आते आकाश पार्टी में सक्रिय रोल निभा रहे थे और उन्हें मायावती को ट्विटर पर भी लाने का श्रेय जाता है. 

आकाश आनंद की शादी में मायावती की बड़ी भूमिका थी. (फोटो-सोशल मीडिया)

2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान जब मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया. उस दौरान उनकी सक्रियता बढ़ी. 

इस दौरान जब चुनाव आयोग ने मायावती को चुनाव के दौरान 48 घंटे तक प्रचार करने से प्रतिबंधित कर दिया, तो आकाश ने अपनी पहली स्वतंत्र रैली को संबोधित किया. एसपी प्रमुख अखिलेश यादव और तत्कालीन आरएलडी अध्यक्ष अजित सिंह आकाश के साथ मंच पर शामिल हुए. 

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आकाश धीरे-धीरे BSP और मूवमेंट से जुड़ते जा रहे थे और उनका चेहरा दलित मतदाता याद करते जा रहे थे. 

2021 में मायावती ने आकाश को बीएसपी का राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर बनाया. ट्विटर पर असरदार मौजूदगी और आक्रामक भाषण शैली ने उन्हें युवाओं में लोकप्रिय बनाया. लेकिन आकाश BSP की आक्रामकता को समझने में अपनी बुआ के पैंतरे को समझने में 'नासमझ' साबित हुए. 

2023 में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना विधानसभा चुनावों में मायावती ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी. हालाकि, परिणाम निराशाजनक रहे, लेकिन उनकी मेहनत को नोटिस किया गया. 

राजस्थान में पार्टी ने 184 सीटों पर चुनाव लड़ा और मात्र दो सीटों पर जीत हासिल की तथा BSP का वोट शेयर दो प्रतिशत गिरकर 1.81% रह गया.

चंद्रशेखर के मुकाबले मायावती ने लंदन रिटर्न भतीजे को उतारा

दिसंबर 2023 को लखनऊ में एक बैठक में मायावती ने आकाश को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया. दरअसल लोकसभा चुनाव आ रहा था और उत्तर प्रदेश के सियासी फलक पर एक और दलित नेता तेजी से उभर रहा था. नाम था- चंद्रशेखर आजाद. मायावती के लिए इस चेहरे की काट निकलाना जरूरी था. इसलिए उन्होंने अपने लंदन रिटर्न भतीजे आकाश आनंद को चुना. 

माना जाता है कि यह कदम बीएसपी को नई दिशा देने और मायावती के बाद नेतृत्व की चिंता को दूर करने का प्रयास था. 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी पहली रैली नगीना में हुई, जहां उन्होंने चंद्रशेखर आजाद पर हमला बोला, जिससे उनकी आक्रामक छवि और मजबूत हुई. 

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आकाश को कहा गया कि वे दलितों, अल्पसंख्यकों, ओबीसी और आदिवासियों को ध्यान में रखते हुए पार्टी की ड्राइव करें. 

आकाश पुराने नेताओं की सुस्ती को चुनौती दे रहे थे और डिजिटल युग में बीएसपी को प्रासंगिक बनाने की कोशिश कर रहे थे.

पतन उतना ही तेज और अप्रत्याशित जितना उदय

आकाश के नेतृत्व को जांचने के लिए मायावती ने उन्हें दिल्ली और हरियाणा में पार्टी को देखने भेजा. लेकिन दोनों ही विधानसभा में आकाश माहौल नहीं बना पाए. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार हरियाणा में पार्टी ने जिन 35 सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें से कोई भी नहीं जीती और इसका वोट शेयर 2 प्रतिशत अंक गिरकर 1.86% हो गया, राजधानी में इसके 68 उम्मीदवारों में से कोई भी नहीं जीता, जबकि पार्टी का वोट शेयर 0.57% तक गिर गया. 

उस रैली की कहानी, जब आकाश पर बिफर गईं मायावती

लेकिन इससे पहले भी कुछ हुआ था. और वो एक रैली की कहानी थी, जहां आकाश आनंद बीजेपी पर ज्यादा ही हमलावर हो गए थे. 

7 मई 2024 को, लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के बाद, मायावती ने अचानक आकाश को राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर और उत्तराधिकारी के पद से हटा दिया. मायावती ने इसके लिए उनकी "पूर्ण परिपक्वता" की कमी का हवाला दिया. 

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मायावती और आकाश आनंद (फोटो- इंडिया टुडे)

मायावती का यह फैसला 19 अप्रैल को सीतापुर में आकाश आनंद की एक रैली के बाद आया, जहां उन्होंने बीजेपी पर तीखे हमले किए थे, जो वायरल हो गए थे. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि उनकी आक्रामक शैली से सपा को फायदा हो रहा था, जो मायावती को पसंद नहीं आया. इस रैली में आकाश ने बीजेपी को 'आतंकवादियों की पार्टी' करार दिया था. 

गौरतलब है कि इस चुनाव में मायावती बीजेपी पर इस तरह सीधा हमला करने से बचती आईं थी. इसके बजाय वह कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को निशाना बना रही थीं. 

पहले हटाए गए, फिर हुई वापसी

पार्टी हलकों में माना जा रहा था कि मायावती ने इसी वजह से चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें राष्ट्रीय समन्वयक के पद से हटा दिया था. बाद में आकाश ने इंडियन एक्सप्रेस में एक इंटरव्यू में कहा था कि वह अक्सर अपने भाषणों में आक्रामक हो जाते थे और उन्होंने कहा कि वह लोगों, विशेषकर दलितों के साथ हुए “अन्याय” पर अपने गुस्से को नियंत्रित नहीं कर पाते थे. 

लेकिन 2024 के चुनाव के बाद एक बार फिर से आकाश आनंद की बसपा की राजनीति में वापसी हुई. मायावती ने उन्हें एक तरह का प्रमोशन दिया और सांगठनिक और कैंपेन से जुड़ीं राष्ट्रीय जिम्मेदारियां दे दी. 

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आकाश के ससुर को बनाया 'विलेन', पत्नी के भी प्रभाव का जिक्र

आकाश आनंद बीएसपी में कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ ही रहे थे. इस बीच 27 मार्च 2023 को उनकी शादी बुंदेलखंड के राजनीतिज्ञ अशोक सिद्धार्थ की बेटी प्रज्ञा सिद्धार्थ से हुई. 

अशोक सिद्धार्थ पहले मायावती के नजदीकी सर्किल के नेता थे. वे मायावती के वफादारों की पहली सूची में आते थे. मायावती ने पहले उन्हें विधान परिषद (एमएलसी) और फिर 2016 में राज्यसभा सांसद बनाया, जहां वे 2022 तक रहे. 

लेकिन राजनीति में बदलाव हुआ. 12 फरवरी 2024 को मायावती ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा और अशोक सिद्धार्थ की BSP की राजनीति से छुट्टी हो गई. मायावती ने इस पोस्ट में लिखा, "दक्षिणी राज्यों के प्रभारी डॉ अशोक सिद्धार्थ चेतावनी के बावजूद गुटबाजी में लगे थे. उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण बीएसपी से निष्कासित कर दिया गया है." 

मायावती ने कहा है कि अशोक सिद्धार्थ जो कि आकाश के ससुर हैं उन्होंने यूपी समेत पूरे देश में पार्टी को दो गुटों में बांटकर इसे कमजोर करने का अति घिनौना कार्य किया है. जो कतई बर्दाश्त करने लायक नहीं है.

कहा जाता है कि मायावती के भरोसे के वजह से ही अशोक सिद्धार्थ की बेटी प्रज्ञा और आकाश आनंद की शादी हुई थी. आकाश आनंद को दोबारा राष्ट्रीय समन्वयक बनाने में अशोक सिद्धार्थ की अहम भूमिका थी.

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रविवार को मायावती ने तो अशोक सिद्धार्थ को पूरे घटनाक्रम का 'विलेन' बताते हुए कहा कि इसके लिए पूर्ण रूप से इसका ससुर अशोक सिद्धार्थ ही जिम्मेदार है. मायावती ने अशोक सिद्धार्थ की बेटी और आकाश आनंद की पत्नी प्रज्ञा सिद्धार्थ का भी जिक्र करते हुए कहा कि अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकालने के बाद उस लड़की पर अपने पिता का कितना प्रभाव पड़ता है तथा आकाश पर भी उसकी लड़की का कितना प्रभाव पड़ता है? ये देखने वाली बात होगी. हालांकि उन्होंने कहा कि इस मामले में उन्हें अबतक कुछ भी पॉजिटिव नहीं दिख रहा है. 

बीएसपी अध्यक्ष ने इस घटना से एक सबक लेने की भी बात कही है. मायावती ने कहा है कि इस घटना के बाद उनके भाई आनंद कुमार ने अब अपने बच्चों का रिश्ता गैर-राजनीतिक परिवार में जोड़ने का निर्णय लिया है, ताकि BSP के मूवमेंट पर कोई असर न पड़े. 

भाई आनंद पर भरोसा कायम

रविवार को BSP द्वारा जारी किए गए प्रेस रिलीज में मायावती ने अपने भाई आनंद कुमार पर पूरा भरोसा जताया है. उन्होंने आनंद कुमार को राष्ट्रीय समन्वयक की जिम्मेदारी देते हुए साफ-साफ कहा है कि आनंद कुमार ने अभी तक उन्हें निराश नहीं किया है और पार्टी के मूवमेंट को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया है. मायावती ने आनंद कुमार को दिल्ली में पार्टी के सारे कार्यों की जिम्मेदारी दी है. इसके अलावा उन्होंने कहा है कि जबतक वे जीवित रहेंगी, अपना कोई उत्तराधिकारी घोषित नहीं करेंगी. 
 

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