
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कल रात से आज सुबह तक खूब सियासी ड्रामा, एक्शन, हंगामा हुआ. आज लोकनायक जय प्रकाश नारायण की जयंती है, जिनके नाम से लखनऊ में जय प्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर अखिलेश राज में बनना शुरू हुआ, लेकिन उसका काम पूरा नहीं हो पाया था. अनियमितताओं के आरोप के बाद यूपी में इस सेंटर को बंद कर दिया गया था. इसी जेपी इंटरनेशनल सेंटर में लगी जयप्रकाश की मूर्ति पर आज माला चढ़ाने जाने की इजाजत अखिलेश यादव ने मांगी थी, जहां पहले इस सेंटर के बाहर टिनशेड लगवाकर प्रशासन ने ऐसा इंतजाम करना चाहा, ताकि कोई भीतर ना जा सके, लेकिन अखिलेश यादव रात में ही पहुंचे और अपने इरादे बता दिए.
इसके बाद आज सुबह लखनऊ में समाजवादी पार्टी के दफ्तर के बाहर पुलिस प्रशासन ने बैरिकेड लगा दिया, भारी पुलिस बंदोबस्त लगाया गया. सैकड़ों कार्यकर्ता समाजवादी पार्टी के एकत्र हो गए. हंगामा हुआ. अखिलेश यादव दफ्तर से निकले, बाहर एक गाड़ी पर ही जय प्रकाश नारायण की मूर्ति पर माला चढ़ाई और कहा कि अगर आज त्योहार ना होता तो बता देते कि पुलिस के बैरिकेड उन्हें रोक नहीं सकते.
पिछले साल भी आज की ही तारीख पर जेपी की जयंती के दिन लखनऊ में खूब हंगामा हुआ था. पिछली बार अखिलेश यादव को रोकने के लिए इस जेपी इंटरनेशनल सेंटर के गेट बंद कर दिए गए थे तो, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष कार्यकर्ताओं के साथ गेट फांदकर भीतर तक गए थे. इस बार गेट ना फांद पाएं, इसलिए पहले टिन शेड प्रशासन ने लगा दिया.
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क्यों बंद किया गया काम?
ये जेपी इंटरनेशनल सेंटर साढ़े आठ सौ करोड़ से ज्यादा की लागत से बन रहा था. दावा है कि आगे और 130 करोड़ की जरूरत है, लेकिन इस सेंटर को बनाने में हीलाहवाली के आरोप के बीच आगे का काम रोक दिया गया. अब वर्षों से सेंटर जस का तस पड़ा है. जिसमें जय प्रकाश नारायण से जुड़ा बड़ा म्यूजियम है, दो हजार लोगों की क्षमता वाले कन्वेंशन सेंटर से लेकर, गेस्ट हाउस, कॉन्फ्रेंस हॉल, टेनिस कोर्ट, बैडमिंटन कोर्ट, टॉप फ्लोर पर पूल, हैलीपैड तक तैयार हो रहा था, लेकिन अधूरे रह गए निर्माण के बीच सियासत आज भी फुल है.
यूपी में सियासी पारा हाई
उत्तर प्रदेश में ये सवाल चल रहा है कि आखिर निर्माण अधूरा है तो क्या लखनऊ का प्रशासन मूर्ति के पास की जगह की साफ-सफाई करके अखिलेश यादव को जाने की अनुमति नहीं दे सकता था? या फिर आशंका ये थी कि अखिलेश यादव इस मौके का राजनीतिक इस्तेमाल कर लेते? जो भी हो, सियासत तो अब खूब हो रही है.
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जेपी पर लड़ाई यूपी से बिहार तक पहुंची
जेपी पर लड़ाई यूपी से बिहार तक पहुंच गई. अखिलेश यादव ने जेपी के बहाने नीतीश से बीजेपी का साथ छोड़ने की अपील की, तो जेडीयू ने अखिलेश पर ही पलटवार कर दिया. नीतीश को जेपी का सच्चे सिपाही बताते हुए अखिलेश को आत्ममंथन करने को कहा. जेडीयू ने अखिलेश पर परिवारवाद का आरोप भी लगाया है.