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मैनपुरी की जीत से अखिलेश का जोश हाई, 2024 के लिए अभी से एक्शन मोड में 'छोटे नेताजी'

मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में मिली जीत से अखिलेश यादव का जोश हाई है. यही वजह है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में अभी सवा साल का वक्त है, लेकिन अखिलेश सक्रिय हो गए हैं. इस कड़ी में सोमवार को कानपुर में इरफान सोलंकी और बलवंत सिंह के परिवार से मिलेंगे तो 22 दिसंबर को झांसी में पूर्व विधायक दीप नारायण से मिलने जाएंगे?

सपा प्रमुख अखिलेश यादव सपा प्रमुख अखिलेश यादव
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 19 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 12:05 PM IST

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी लोकसभा सीट के उपचुनाव ने चाचा-भतीजे को एक कर दिया. इन नतीजों ने जहां एक तरफ सपा के हौसलों को बुलंद कर दिया है तो दूसरी तरफ अखिलेश यादव भी एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं. 2024 के चुनाव से पहले नए पार्टी को नए सिरे से सक्रिय करने के लिए अब वो उत्तर प्रदेश का दौरा शुरू कर रहे हैं, जिसका आगाज कानपुर से कर रहे हैं. अखिलेश यादव सोमवार को कानपुर में सपा विधायक इरफान सोलंकी से जेल में मुलाकात करेंगे तो साथ ही कानपुर देहात में पुलिस की बर्बरता का शिकार हुए व्यापारी बलवंत सिंह के परिवार से मिलकर न्याय के लिए सरकार पर दबाव बनाएंगे.

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अखिलेश लड़ेंगे बलवंत के न्याय की लड़ाई 

कानपुर देहात में पुलिस की बर्बरता का शिकार हुए व्यापारी बलवंत सिंह की पत्नी शालिनी ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मदद की गुहार लगाई है. इसके लिए शालिनी ने उन्हें पत्र भेज बड़ा भाई बताते हुए बहन की मदद की बात लिखी थी कि  अब आप को मुझे इंसाफ दिलाने के मेरे घर आना होगा और मेरे पति की मौत के मामले में मुझे न्याय दिलाने के लिए मेरे साथ खड़े हों. ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बहन की गुहार को गंभीरता से लिया है. वह सोमवार को बलवंत सिंह के घर पहुंचकर उनके परिवार से मुलाकात करेंगे. 

बता दें कि सराफा व खाद व्यापारी चंद्रभान सिंह को बाइक सवार बदमाशों ने छह दिसंबर को लूट लिया था. पुलिस ने संदेह के आधार पर पांच लोगों को हिरासत में लिया था. इसमें चंद्रभान का भतीजा व्यापारी बलवंत सिंह भी शामिल था. रनिया थाने में बलवंत सिंह की पुलिस की पिटाई से मौत हो गई थी. ऐसे में अखिलेश के पहुंचने के बाद यह मामला सियासी रंग ले सकता है और सरकार पर भी दबाव बनेगा. 
 

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इरफान सोलंकी से जेल में मिलेंगे अखिलेश

अखिलेश यादव कानपुर जेल में बंद सपा विधायक इरफान सोलंकी से मुलाकात करेंगे. सपा का आरोप है कि योगी सरकार इरफान सोलंकी को बेवजह परेशान कर रही है. कानपुर आर्यनगर से सपा विधायक अमिताभ वाजपेयी ने पोस्टर लगवाए हैं, जिसमें अखिलेश यादव को संघर्षवादी करार देते हुए छोटे नेताजी लिखा गया है तो इरफान सोलंकी बेड़ियों में जकड़े दिखाई दे रहे हैं. साथ ही यह भी लिखा गया है, 'इरफान तुम मत घबराना, तुम्हारे साथ है सारा जमाना'. अखिलेश यादव के इरफान सोलंकी से कानपुर जेल जाने की चर्चा इसी पोस्टर के साथ गरमाई है. 

अखिलेश के स्वागत में लगे पोस्टर

झांसी में दीप नारायण से मिलने जाएंगे

अखिलेश यादव 22 दिसंबर को झांसी जा रहे हैं, जहां वो जेल में बंद पूर्व विधायक दीप नारायण से मुलाकात करेंगे. सपा के पूर्व विधायक दीप नारायण की 130 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति सरकार कुर्क कर चुकी है, उन पर आय से अधिक संपत्ति का मामला है. ऐसे में अखिलेश यादव जेल में दीप नारायण से मुलाकात कर राजनीतिक प्रेशर बनाने और सपा के कार्यकर्ताओं में नई जान फूंकने की कवायद कर रहे हैं. 

दरअसल, सपा का मानना है कि हर जिले में सपा के प्रमुख नेताओं पर फर्जी केस दर्ज कर उन्हें जेल में डालने की साजिश योगी सरकार कर रही है. इसके खिलाफ बोलना और खड़ा होना जरूरी है. इसी मद्देनजर अखिलेश यादव सक्रिय हो रहे हैं और अपने नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं. हालांकि, अभी तक किसी भी मामले में आरोपी बनाए के बाद उनसे सपा अध्यक्ष मुलाकात करने से परहेज करते रहे हैं, उदाहरण के तौर पर आजम खान के मामले को ले लीजिए. 

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सीतापुर जेल में पौने दो साल तक बंद रहे आजम खान के महज एक बार अखिलेश यादव मिलने गए थे. इसके चलते तमाम सवाल उठे थे, लेकिन अब अखिलेश ने अपने तौर तरीके बदल रहे हैं. अपने नेताओं के साथ अब खुलकर खड़े हो रहे हैं और उनकी लड़ाई भी पुरजोर तरीके से लड़ने का ऐलान कर दिया है. इसी कड़ी में इरफान सोलंकी और दीप नारायण से मिलने जेल पहुंच रहे हैं. ऐसे ही यूपी में अन्य जिलों से भी सपा मुख्यालय ने अखिलेश के दौरे के कार्यक्रम मांगे हैं. 

2024 के लिए अभी से एक्टिव अखिलेश

सूबे में तमाम राजनीतिक उतार-चढ़ाव के बाद अखिलेश यादव को यह समझ आ गया है कि 2024 के चुनाव में बीजेपी को मजबूती से टक्कर देना है तो  पार्टी में नेताओं से मूंह मोड़ने के बजाय उनके साथ खड़े होने और साथ लेकर चलने की जरूरत है. शिवपाल यादव के साथ आने के बाद यह धारणा है सपा के पक्ष में जा रही है कि अब पूरा परिवार एक है. शिवपाल यादव के आने से जमीनी आधार वाले नेताओं को सपा के साथ जोड़ने में मददगार साबित होंगे. अखिलेश यादव मैनपुरी उपचुनाव में जिस तरह से सक्रिय हुए है, उसके उनकी एससी के कमरे से बाहर न निकलने वाली छवि टूटी है. ऐसे में सपा इसी सक्रियता को बनाए रखना चाहती है, जिसके लिए अखिलेश यादव एक के बाद एक जिले का दौरा करते नजर आएंगे? 

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यूपी विधानसभा में सपा-आरएलडी गठबंधन को कुल 125 सीटें मिली थीं. सपा का वोट शेयर भी बढ़कर 36 फीसदी तक पहुंच गया. आजमगढ़ और रामपुर उपचुनाव में अखिलेश यादव प्रचार नहीं किया था, लेकिन मैनपुरी उपचुनाव में उतरकर बीजेपी की मात ही नहीं दिया बल्कि 2019 के चुनाव से ज्यादा वोटों से डिंपल यादव को जीत दिलाई. वहीं, सपा की सहयोगी आरएलडी ने अपनी सोशल इंजीनियरिंग के जरिए खतौली सीट बीजेपी के हाथों से छीन ली है, जिससे सपा-रालोद गठबंधन के हौसले बुलंद हुए हैं तो बीजेपी को झटका लगा है. इसीलिए अखिलेश यादव 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एक्टिव हो गए हैं? 

 

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