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41 जिंदगियां बचाने वाले रैट माइनर्स को एक-एक लाख रुपये देगी सपा, बीजेपी से की ये मांग

उत्तरकाशी टनल हादसे के 17 दिन बाद 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया था. मजदूरों की जान बचाने वालों (रैट माइनर्स) को समाजवादी पार्टी ने एक-एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है. साथ ही समाजवादी पार्टी ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार साहसी माइनर्स को 10-10 लाख रुपये की सहायता दे.

रेस्क्यू मिशन के नायक बने रैट माइनर्स. ( फाइल फोटो) रेस्क्यू मिशन के नायक बने रैट माइनर्स. ( फाइल फोटो)
समर्थ श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 02 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 10:09 PM IST

उत्तरकाशी टनल हादसे के 17 दिन बाद 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया था. मजदूरों की जान बचाने वालों (रैट माइनर्स) को समाजवादी पार्टी ने एक-एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है. इसके साथ ही समाजवादी पार्टी ने कहा कि बीजेपी की केंद्र और राज्य सरकार साहसी माइनर्स को 10-10 लाख रुपये की सहायता दे. इससे पहले उत्तराखंड सरकार ने मजदूरों की जान बचाने वालों (रैट माइनर्स) को 50-50 हजार रुपये दिए जाने की घोषणा की थी.

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इसके साथ ही बीते बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ स्वास्थ्य केंद्र में 41 श्रमिकों से मुलाकात की थी. उन्होंने कहा था, मैं उन सभी से मिला हूं. वो स्वस्थ और खुश हैं. चिकित्सा जांच की गई है. किसी को कोई समस्या नहीं है. आगे की चिकित्सा जांच के लिए उन्हें आज एम्स, ऋषिकेश भेजा जाएगा.

'बौखनाग मंदिर का पुनर्निर्माण किया जाएगा'

सीएम ने कहा था कि वादे के मुताबिक इन मजदूरों को एक-एक लाख रुपये के चेक दिए जाएंगे. इसके अलावा, खुदाई के लिए सुरंग के अंदर गए बचावकर्मियों को राज्य सरकार की तरफ से 50-50 हजार रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा. साथ ही मंदिर के मुहाने पर बौखनाग मंदिर का पुनर्निर्माण किया जाएगा और राज्य में निर्माणाधीन सुरंगों की समीक्षा की जाएगी.

सीएम धामी ने कहा था, केंद्र सरकार ने निर्माणाधीन सुरंगों का सुरक्षा ऑडिट कराने का फैसला किया है. बचाव अभियान में इस्तेमाल की गई अमेरिकी ऑगर मशीन ने बार-बार बाधाओं को पार किया. उन्होंने मिशन को पूरा करने के लिए रैट माइनर्स को धन्यवाद दिया था. 

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'जैसे रेगिस्तान में एक प्यासा होता है और उसे...'

इससे पहले रैट माइनर वकील हसन ने बताया था कि हमने टनल में 18 मीटर अंदर तक पाइप डाला था. वैसे हमें 15 मीटर तक पाइप डालना था लेकिन, जब यह पाइप दूसरी तरफ नहीं निकला तो हमने तीन मीटर तक और मलबा हटाकर पाइप डाला. हमारी टीम में मैं और मुन्ना पार्टनर हैं. बाकी 10 अन्य लड़के वर्कर हैं.

बताया था कि पाइप के अंदर घुसकर, लेटकर काम करना होता है. चूहों की तरह काम करते हैं. आगे मिट्टी काटते हैं और उसे पीछे की तरफ फेंकते हैं. इसी तरीके से आगे बढ़ते जाते हैं. टनल के अंदर जब पहली बार मजदूरों से मिले तो वो रिएक्शन बहुत भावुक था. जैसे रेगिस्तान में एक प्यासा होता है और उसे पीना मिलता है. ठीक यही बात हमारे लिए भी थी. हमने अपना मकसद पूरा किया, इस बात की खुशी है.

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