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पहले सपा में खुद हुए सेट, अब समर्थकों को सेट कराने में जुटे शिवपाल, अखिलेश से 45 मिनट की मुलाकात के मायने क्या?

सपा प्रमुख अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच मंगलवार को बैठक हुई है, जिसमें प्रदेश संगठन से लेकर 2024 के चुनाव को लेकर मंथन किया गया. इस दौरान शिवपाल ने अपने करीबी नेताओं को प्रदेश कार्यकारिणी में समायोजित करने को लेकर भी बात रखी. माना जा रहा है कि शिवपाल समर्थकों को प्रदेश कमेटी में एंट्री मिल सकती है.

शिवपाल यादव और अखिलेश यादव शिवपाल यादव और अखिलेश यादव
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 08 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 12:21 PM IST

समाजवादी पार्टी की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में छह साल के बाद शिवपाल यादव की वापसी हुई है, लेकिन उनके किसी भी करीबी नेताओं को जगह नहीं मिली. शिवपाल को सपा राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी सौंपने के बाद पहली बार अखिलेश यादव मंगलवार को उनके घर पहुंचे. चाचा-भतीजे के बीच करीब 45 मिनट गुफ्तगू हुई. इस मुलाकात के राजनीतिक मायने तलाशे जाने लगे हैं? 

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चाचा-भतीजे के बीच हुआ मंथन

सपा में अपनी पार्टी का विलय करने वाले शिवपाल यादव को अखिलेश की टीम में स्थान मिलने से उनका सियासी कद बढ़ गया है, लेकिन राष्ट्रीय महासचिव बनने के बाद भी शिवपाल यादव अभी तक कार्यालय नहीं जाते हैं. वह पहले की तरह अपने पुराने कार्यालय में ही कार्यकर्ताओं से मुलाकात करते हैं. ऐसे में अचानक मंगलवार को चाचा-भतीजे के बीच हुई मुलाकात में प्रदेश कार्यकारिणी को लेकर मंथन हुआ. 

माना जा रहा शिवपाल यादव अपने साथियों को सपा की प्रदेश कमेटी में एडजस्ट कराना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें न तो राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह मिली है और न ही सपा प्रवक्ताओं की टीम में जगह मिली है. ऐसे में शिवपाल ने अपने करीबियों को सपा प्रदेश कार्यकारिणी में समायोजित करने की रणनीति बनाई. सपा की प्रदेश कार्यकरिणी के साथ विभिन्न फ्रंटल संगठनों में उन्हें जगह दी सकती है. शिवपाल यादव की पार्टी के राष्ट्रीय और प्रदेश कार्यकारिणी में रहे कुछ लोगों को समायोजित करने पर जोर दिया गया है. 

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चाचा के करीबियों को वक्त का इंतजार

बता दें कि अखिलेश यादव से मनमुटाव के बाद शिवपाल यादव ने सपा छोड़ी तो उनके साथ पार्टी के तमाम जमीनी नेताओं ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया था. इसमें राम नरेश यादव, वीरपाल यादव, अशोक यादव, सुंदरलाल लोधी, संगीता यादव, पीवी वर्मा, ललन राय, जयसिंह यादव, राम सिंह यादव और हीरालाल यादव और फरहत मियां जैसे नेता शामिल थे. शिवपाल के साथ इन सभी नेताओं ने भी सपा में वापसी की है.
 
सपा में अपनी पार्टी के विलय करने के लिए शिवपाल यादव को अखिलेश ने सम्मान जरूर दिया, लेकिन उनके करीबी नेताओं को पार्टी संगठन में जगह अभी तक नहीं दी है. इसकी एक बड़ी वजह यह भी रही है कि शिवपाल के तमाम करीबी नेता साथ छोड़कर जा चुके हैं और फिलहाल जो हैं, उसमें प्रदेश और जिला स्तर के ही नेता हैं. इसीलिए सपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शिवपाल के करीबी नेताओं को जगह नहीं मिली, लेकिन अब प्रदेश संगठन में उन्हें समायोजित करने की रणनीति जरूर है. 

सपा की प्रदेश कमेटी में मिलेगी जगह? 

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने हाल ही में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी, प्रवक्ता और प्रदेश के तीन फ्रंटल संगठनों के प्रदेश अध्यक्ष के नामों का ऐलान किया है, जिसमें चाचा शिवपाल सिंह यादव को महासचिव बनाया गया है. शिवपाल के करीबियों में सिर्फ रीबू श्रीवास्तव को जगह मिली हैं. रीबू को सपा की महिला प्रकोष्ठ का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. इस नियुक्ति को पार्टी में शिवपाल यादव की बढ़ती सक्रियता के रूप में देखा गया है. 

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दरअसल, सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बाद अब अखिलेश यादव को प्रदेश कार्यकारिणी का गठन करना है. प्रदेश टीम में शिवपाल समर्थकों को सम्मानजनक समायोजन किया जाना है. शिवपाल के बेटे आदित्य यादव को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह नहीं मिली है, लेकिन माना जा रहा है कि प्रदेश की टीम में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है. शिवपाल यादव अपने बेटे आदित्य यादव के सियासी भविष्य को सेट करने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटे हैं. इसीलिए माना जा रहा है कि प्रदेश की कार्यकारिणी में आदित्य को महासचिव बनाया जा सकता है. 

पूर्वांचल को साधने का प्लान

शिवपाल यादव सपा में वापसी करने के बाद से एक्टिव हैं. पूर्वांचल सहित विभिन्न जिलों में भ्रमण के दौरान मिले फीडबैक से भी शिवपाल ने अखिलेश यादव को वाकिफ कराया और बताया कि हर जगह पार्टी के नए-पुराने कार्यकर्ता तैयार बैंठे हैं और उन्हें सक्रिय करने की जरूरत है. ऐसे में माना जा रहा है कि प्रदेश में जल्द ही सपा जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने की कवायद शुरू करेगी, विभिन्न मुद्दों पर जनांदोलन भी शुरू होगा. इसकी अगुवाई शिवपाल कर सकते हैं. पार्टी की सक्रियता के लिए नए सिरे से प्रदेश में माहौल बनाने की कवायद की जा सकती है. 

माना जा रहा है कि पार्टी से दूर हुए कई नेताओं की घर वापसी कराने की भी रणनीति है. सूत्रों का यह भी कहना है कि पार्टी के कई पुराने नेता छिटक चुके हैं, जिसमें कुछ ने दूसरे दलों की सदस्यता ले ली है और कुछ नेता घर बैठे हैं. इसमें ज्यादातर यादव समुदाय के नेता हैं. इन नेताओं को फिर से जोड़ने पर चाचा-भतीजे के बीच चर्चा हुई. मार्च तक कई नेताओं की घर वापसी हो सकती है और इसकी कवायद शुरू कर दी गई है. 

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गाजीपुर से अखिलेश करेंगे शंखनाद

अखिलेश यादव सूबे के अलग-अलग जिलों को दौरा कर रहे हैं. इस कड़ी में गुरुवार को पूर्वांचल के गाजीपुर से 2024 चुनाव का शंखनाद भी करने वाले हैं. गाजीपुर का दौरा इसीलिए भी अहम है, क्योंकि पिछले दिनों बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने यहीं से मिशन-2024 का आगाज किया है. पूर्वांचल के जिले में शिवपाल की अपनी राजनीतिक पकड़ रही है. जिसके चलते दोनों के बीच इस पर भी चर्चा हुई. माना जा रहा है कि आगामी निकाय और लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति बनाने के लिए ही दोनों की मुलाकात हुई है.

जातीय जनगणना के मुद्दे को सदन से सड़क तक उठाएगी सपा?

समाजवादी पार्टी ने जातिगत जनगणना को लेकर मोर्चा खोल रखा है. सपा इस बार सदन में जातिगत जनगणना कराने का मुद्दा भी जोर-शोर से उठाएगी. अखिलेश ने सोमवार को कहा था कि सामाजिक न्याय की विरोधी बीजेपी हर कदम पर दलितों पिछड़ों के साथ भेदभाव कर रही है. बीजेपी साजिश के तहत पिछड़ों, दलितों के आरक्षित पद खत्म कर रही है. इसी रणनीति के तहत निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है. सरकारी विभागों में जो नौकरियां और भर्तियां निकलती हैं उनमें भी पिछड़ों और दलितों की कोई न कोई कारण बताकर भर्ती नहीं की जा रही है. सपा पिछड़ों और दलितों के इसी हक और सम्मान के लिए जातीय जनगणना की मांग करती आ रही है और बीजेपी जातीय जनगणना से डरती है. 20 फरवरी से यूपी विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है, जिसमें यह मुद्दा सपा उठा सकती है. 

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