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मुख्तार अंसारी के बेटे उमर को हाईकोर्ट से झटका, भड़काऊ भाषण मामले में अग्रिम जमानत याचिका खारिज

4 मार्च, 2022 को मऊ जिले के कोतवाली पुलिस स्टेशन में अब्बास अंसारी (मऊ सदर सीट से एसबीएसपी उम्मीदवार), उमर अंसारी और 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि 3 मार्च 2022 को पहाड़पुरा मैदान में अब्बास अंसारी, उमर अंसारी और आयोजक मंसूर अहमद अंसारी ने एक सार्वजनिक बैठक में भड़काऊ भाषण दिया था.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्तार के बेटे उमर की याचिका खारिज कर दी है इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्तार के बेटे उमर की याचिका खारिज कर दी है
aajtak.in
  • प्रयागराज,
  • 20 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 3:59 AM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट से मुख्यतार अंसारी के बेटे उमर अंसारी को झटका लगा है. कारण, कोर्ट ने 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के कथित उल्लंघन के मामले में अग्रिम जमानत याचिका मंगलवार को खारिज कर दी.
हाईकोर्ट ने कहा कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए अपराध बनता है.

न्यायमूर्ति समित गोपाल ने कहा, "आगे उसका फोरम हंटिंग का कार्य, उसका आपराधिक इतिहास, जो यह दर्शाता है कि आवेदक विभिन्न प्रकार की आपराधिक गतिविधियों में शामिल है और मुकदमे की कार्यवाही में उसका असहयोग है, इस कोर्ट का विचार है कि वर्तमान अग्रिम जमानत आवेदन को खारिज कर दिया जाए."

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बता दें कि 4 मार्च, 2022 को मऊ जिले के कोतवाली पुलिस स्टेशन में अब्बास अंसारी (मऊ सदर सीट से एसबीएसपी उम्मीदवार), उमर अंसारी और 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि 3 मार्च 2022 को पहाड़पुरा मैदान में अब्बास अंसारी, उमर अंसारी और आयोजक मंसूर अहमद अंसारी ने एक सार्वजनिक बैठक में भड़काऊ भाषण देते हुए मऊ प्रशासन के साथ हिसाब-किताब करने का आह्वान किया. यह चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का मामला है.

सुनवाई के दौरान उमर अंसारी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता जीएस चतुर्वेदी ने दलील दी कि आवेदक वर्तमान मामले में मुख्य आरोपी नहीं है. दलील दी गई है कि सह-आरोपी अब्बास अंसारी इस मामले में मुख्य आरोपी है, जिसे ट्रायल कोर्ट ने जमानत दे दी है. बचाव पक्ष के वकील ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष के मामले के अनुसार, आवेदक ने कानून और व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला ऐसा कोई भाषण नहीं दिया. यह तर्क दिया गया है कि उक्त मामले की प्रकृति से पता चलता है कि इसे केवल प्रतिशोध की भावना से दर्ज किया गया है.

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