
मथुरा के बांके बिहारी मंदिर की जमीन को सरकारी कागजों पर कब्रिस्तान दर्ज किए जाने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. हाई कोर्ट ने मंदिर की जमीन की सरकारी दस्तावेजों में गलत तरीके से हुई सभी एंट्री को रद्द कर दिया और जमीन को 60 दिनों के भीतर बांके बिहारी मंदिर के नाम ट्रांसफर करने का आदेश दिया है.
दरअसल हाई कोर्ट ने मथुरा जिले की छाता तहसील की एसडीएम को आदेश दिया कि मंदिर की जमीन को 60 दिनों में बिहारी जी सेवा ट्रस्ट के नाम दर्ज किया जाए. बता दें कि बिहारी जी सेवा ट्रस्ट ही मंदिर का संचालन करता है.
किसने दायर की थी याचिका?
हाई कोर्ट के जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव ने यह आदेश श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट, मथुरा द्वारा दायर एक याचिका पर दिया है, जिसमें बताया गया था कि मंदिर की जमीन का स्वामित्व साल 2004 में राजस्व रिकॉर्ड में बदल दिया गया था.
कोर्ट ने क्या आदेश दिया?
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कोर्ट ने पहले राजस्व अधिकारियों को मथुरा में बांके बिहारी जी महाराज मंदिर की जमीन के स्वामित्व में परिवर्तन के संबंध में संपूर्ण रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया था. हालांकि, तहसील अधिकारी यह नहीं बता सके कि रिकॉर्ड कैसे और किसके आदेश से बदले गए.
राजस्व रिकॉर्ड देखने के बाद हाई कोर्ट ने कब्रिस्तान के रूप में की गई एंट्री को रद्द कर दिया और छाता तहसील अधिकारियों को दो महीने के भीतर ट्रस्ट के नाम पर जमीन दर्ज करने का आदेश दिया.