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Amethi: 120 साल पहले दलित ने कराया था शिव मंदिर का निर्माण, अब अल्पसंख्यक समुदाय पर कब्जे का आरोप!

अमेठी जिले में 120 वर्ष पुराने प्राचीन धार्मिक स्थल को लेकर विवाद शुरू हो गया है. हिंदू पक्ष का दावा है कि ये धर्म स्थल शिव मंदिर है और अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा इसपर कब्जा कर लिया गया है. फिलहाल, मौके पर पुलिस प्रशासन ने पहुंचकर जांच-पड़ताल शुरू कर दी है.

अमेठी में धार्मिक स्थल को लेकर विवाद अमेठी में धार्मिक स्थल को लेकर विवाद
अभिषेक कुमार त्रिपाठी
  • अमेठी ,
  • 24 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 4:58 PM IST

यूपी के अमेठी में 120 वर्ष पुराने प्राचीन धार्मिक स्थल को लेकर विवाद शुरू हो गया है. हिंदू पक्ष का दावा है कि ये धर्म स्थल शिव मंदिर है और अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा इसपर कब्जा कर लिया गया है. अब इसको लेकर हिंदू पक्ष की तरफ से कुछ लोगों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन दिया है. जिसके बाद मौके पर पुलिस प्रशासन ने पहुंचकर जांच-पड़ताल की. इस दौरान वहां मंदिर बना हुआ पाया गया. हालांकि, ये पूरी तरह जर्जर हो चुका है. 

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आपको बता दें कि पूरा मामला अमेठी के मुसाफिरखाना के औरंगाबाद गांव का है, जहां 120 वर्ष पुराना पांच शिखर शिव मंदिर स्थापित है. जिस पर बीते दिनों कुछ लोगों ने अधिकारी को ज्ञापन देते हुए गैर समुदाय पर कब्जा करने का आरोप लगाया था. इसके साथ लोगों ने शिकायत करते हुए दावा किया था कि दूसरे समुदाय के लोगों ने पूजा-पाठ करने पर भी रोक लगा दी है. इसलिए मंदिर को मुक्त कराया जाए. 

मामले के तूल पकड़ने के बाद आज मौके पर पुलिस के अधिकारी पहुंचे और मंदिर की जांच पड़ताल शुरू की. इसके साथ ही पुलिस के अधिकारियों ने ग्रामीणों से भी पूछताछ की. फिलहाल, पुलिस-प्रशासन 20 साल पहले मंदिर में पूजा करने वाले पंडित के घरवालों से बात करने के बाद जांच कर रहा है. 

ग्रामीणों ने बताई ये कहानी

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उधर, ग्रामीणों का मानना है कि सालों पहले जेठू राम नाम के दलित व्यक्ति पर किसी जानवर को मारने का आरोप लगा था, जिसके बाद प्रायश्चित करने के लिए उन्होंने गांव के एक पंडित शंभूनाथ तिवारी को मंदिर बनवाने के लिए पूरा खर्च दिया था. पंडित जी ने निर्माण कार्य कराया था और काफी समय तक खुद ही मंदिर में पूजा पाठ करते थे. कुछ दिनों बाद पंडित शंभूनाथ की मौत हो गई.

पंडित जी की मौत के बाद तक उनके लड़कों ने काम काज संभाला. लेकिन बाद में उनके चारों लड़के भी गांव छोड़कर चले गए. उन्होंने अपना मकान लगभग 3 लाख रुपये में गांव के ही आजम और मो. जमा को बेच दिया. उनके जाने के बाद से धीरे-धीरे मंदिर जर्जर होता गया और पूजा-पाठ होनी भी बंद हो गई. 

वहीं, गांव के प्रधान प्रतिनिधि आलम ने बताया कि मंदिर पर कोई कब्जा नहीं किया गया है. मंदिर वैसे ही पड़ा हुआ है. यहां कोई नहीं आता है. इलाके का माहौल ठीक है. 

जबकि, इस पूरे मामले पर एसडीएम प्रीति तिवारी ने कहा कि इसकी जांच तहसीलदार को सौंप दी गई है. जांच की रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल, शांति-व्यवस्था कायम है. 

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