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AMU के रिटायर्ड प्रोफेसर से ED अफसर बनकर ठग लिए 75 लाख, दस दिनों तक रखा डिजिटल अरेस्ट

यूपी के अलीगढ़ में साइबरों ठगों ने एक रिटायर्ड प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट कर 75 लाख रुपये का चूना लगा दिया. ईडी अफसर बनकर उन्हें फोन करने वाले ठगों ने बताया कि उनका नाम एक इंटरनेशनल ड्रग्स तस्करी रैकेट में सामने आया है और अगर वो जेल जाने से बचना चाहते हैं तो 75 लाख रुपये जमा कराने होंगे. रिटायर्ड प्रोफेसर ने जब पैसे जमा करवा दिए तब उन्हें ठगी का एहसास हुआ.

यह सांकेतिक तस्वीर है यह सांकेतिक तस्वीर है
aajtak.in
  • अलीगढ़,
  • 13 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 9:23 PM IST

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के एक रिटायर्ड प्रोफेसर को साइबर फ्रॉड के जरिए ठगों ने 75 लाख रुपये का चूना लगा दिया. रिटायर्ड प्रोफेसर कमर जहां के साथ साइबर अपराधियों ने 'डिजिटल अरेस्ट' के जरिए ये धोखाधड़ी की है. यह ठगी उनके साथ तब हुई जब ठगों ने खुद को प्रवर्तन निदेशालय (ED) का अधिकारी बताकर उन्हें दस दिनों तक 'डिजिटल अरेस्ट' करके रखा.

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कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?

पीड़ित प्रोफेसर ने 13 अक्टूबर को थाने में इसकी शिकायत दर्ज कराई है. पुलिस के अनुसार, अपराधियों ने रिटायर्ड प्रोफेसर को एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में संलिप्त दिखाते हुए गिरफ्तार करने की धमकी दी. ठगों ने वीडियो कॉल के जरिए खुद को ED का अधिकारी बताया और कमर जहां को डराते हुए कहा कि उन्हें इससे बचने के लिए कोर्ट में कुछ पैसे जमा कराने होंगे. उन्होंने कुछ बैंक खातों की जानकारी दी और क़मर जहां से इन खातों में 75 लाख रुपये से अधिक की राशि जमा करवा ली.

डिजिटल अरेस्ट बना साइबर ठगी का नया तरीका

जांच अधिकारी वीडी पांडे ने बताया कि "डिजिटल अरेस्ट" साइबर ठगी की नई तकनीक है, जिसमें ठग खुद को CBI, कस्टम्स या ED जैसे कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारी बताकर लोगों को फंसाते हैं. वो वीडियो कॉल के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय पार्सल या मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में गिरफ्तारी की धमकी देकर पीड़ितों से मोटी रकम वसूलते हैं.

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न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक जैसे ही क़मर जहां को ठगी का अहसास हुआ, उन्होंने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने बैंक अलर्ट जारी कर 13 लाख रुपये की ट्रांजेक्शनों को ब्लॉक करवा दिया. पुलिस जांच में पाया गया कि ठगों ने इस ठगी को अंजाम देने के लिए 21 अलग-अलग बैंक खातों का इस्तेमाल किया था. हाल के हफ्तों में राज्य में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें लोगों को 'डिजिटल अरेस्ट' के नाम पर ठगा गया है.

पुलिस ने लोगों को सलाह जारी करते हुए कहा है कि 'डिजिटल अरेस्ट' जैसी कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं होती है, जनता से अपील की गई है कि वो ऐसे किसी भी फोन कॉल या मैसेज से सावधान रहें और बिना जांचे-परखे किसी को भी पैसे न भेजें.

यह मामला साइबर ठगी के बढ़ते मामलों का एक और उदाहरण है, जहां अपराधी लोगों को डरा-धमकाकर उनकी मेहनत की कमाई को हड़पने की कोशिश करते हैं. पुलिस मामले की जांच कर रही है और अपराधियों को जल्द पकड़ने का दावा कर रही है. पुलिस ने कहा कि इस तरह की घटना से जनता को सतर्क रहने की सख्त जरूरत है.


 

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