
सपा कार्यालय के बाहर रामचरितमानस की एक और चौपाई पर पोस्टर जारी किया गया है. चौपाइयों और दोहों के विवाद में एक नया पन्ना जुड़ा. इस बार “जे बरनाधम तेली कुम्हारा, स्वपच किरात कोल कलवारा.” चौपाई को लेकर विवाद खड़ा किया जा रहा है.
इस पोस्टर के मुताबिक, इस चौपाई में कुम्हार जाति को नीच बताया गया है. यह पोस्टर सपा मुख्यालय के बाहर आज ही लगाया गया है. कुम्हार समाज ने रामचरितमानस की चौपाई को लेकर पोस्टर लगाया है. इसमें राष्ट्रीय प्रजापति महासभा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राकेश प्रजापति का नाम लिखा हुआ है.
पार्टी के मुताबिक, इस चौपाई का अर्थ है तेली, कुम्भार, कोल, किरात, भील ये नीच कटी है. जब इनका धन नष्ट हो जाता है, तो ये सिर गंजा करके सन्यासी बन जाते है. अब इस चौपाई को हटाने के लिए कुम्हार जाति मांग कर रही है.
इन दो नेताओं के बयानों से खड़ा हुआ है विवाद
बताते चलें कि श्रीरामचरितमानस को लेकर वर्तमान विवाद बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के एमएलसी और पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की विवादित टिप्पणी से शुरू हुआ है. दोनों ने इसका कारण रामचरित मानस की एक चौपाई को बताया गया है. हालांकि, जानकारों का कहना है कि चौपाई के अर्थ का अनर्थ करने की वजह से यह विवाद हो रहा है.
मौर्या ने किताब के ऐसे हिस्से पर प्रतिबंध लगाने की मांग
सुंदरकांड की चौपाई “प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं। मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं॥ ढोल गवांर, सूद्र पसु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी॥” को लेकर विवाद है. स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा कि इस चौपाई के जरिये शूद्रों को नीचा दिखाया जा रहा है. मौर्य ने मांग की थी कि पुस्तक के ऐसे हिस्से पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, जो किसी की जाति या ऐसे किसी चिह्न के आधार पर किसी का अपमान करते हैं.