
अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है जिसके लिए तैयारियां अब अंतिम चरण में हैं. इसी क्रम में मंदिर में दरवाजे लगाने का काम भी चल रहा है जिसे अनुराधा टिंबर इंटरनेशनल ने तैयार किया है. इन दरवाजों में सोने की प्लेटिंग की गई है.
इसको लेकर अनुराधा टिंबर इंटरनेशनल के मैनेजिंग डायरेक्टर सरथ बाबू ने बताया कि राम मंदिर के दरवाजों को बनाने की जिम्मेदारी उन्हें ही दी गई थी. सरथ बाबू ने सनातन धर्म की पहचान के साथ दरवाजे बनाए जिस पर दूसरी कंपनी द्वारा उस पर सोने की प्लेटिंग की गई.
सरथ बाबू ने बताया कि उन्हें 3 साल पहले चंपक राय ने एक मॉडल बनाने के लिए बोला था, जैसा दरवाजा अभी मंदिर में लग रहा है वैसा ही मॉडल बनाकर रामनवमी में वो अयोध्या लेकर आए थे.
उन्होंने कहा, पिछले साल जून में हमें तमाम इंटरव्यूज होने के बाद शॉर्टलिस्ट किया गया, तबसे हमने दरवाजों को बनाने का काम शुरू कर दिया. 14 दरवाजे गोल्ड कोटेड हैं जिसमें गर्भ गृह, मंडप और सिंह द्वारा शामिल हैं.
सरथ बाबू ने बताया कि चार दरवाजे तिजोरी के लिए अलग से बनाए गए हैं. ऐसे में उनकी कंपनी ने राम मंदिर के कुल 18 दरवाजे बनाए हैं. उन्होंने कहा कि जब बड़कोट बनेगा और मंदिर के ऊपरी हिस्से का निर्माण होगा तो उसके दरवाजे का काम भी हमें ही मिला है. उन्होंने कहा कि दरवाजों में सांगवान की लकड़ी का इस्तेमाल हुआ है. सरथ बाबू ने दावा किया कि 1000 साल तक इन दरवाजों को कुछ नहीं होगा, इसमें नक्काशी और कार्विंग बहुत ही विस्तृत तरीके से की गई है.
उन्होंने बताया कि गर्भ ग्रह में जो दरवाजा लगा है उसकी चौड़ाई 12 फीट और लंबाई 9 फीट है. दरवाजे की मोटाई 5 इंच है. बाकी सारे दरवाजे अलग-अलग 9 से 10 फीट की हाइट और 5 इंच की थिकनेस में बनाए गए हैं.
सरथ बाबू ने कहा कि दरवाजों पर पूरी नक्काशी हमने की है और डिजाइन सोनपुर से लिया गया है. गर्भ गृह के दरवाजे का डिजाइन अलग है और बाकी दरवाजों का डिजाइन अलग है. दरवाजों पर गजराज बने हुए हैं. उसमें कमल और देवताओं की मूर्ति भी है. उन्होंने कहा कि यह सब हमें हाथ से कार्विंग की है. बाहर के दरवाजों में स्वास्तिक है अंदर में गजराज और देवता मूर्ति का कमाल है. गर्भ ग्रह के दरवाजे में मोरी है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार उसे शुभ माना जाता है.