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'NDA में जयंत चौधरी का स्वागत है', RLD-BJP गठबंधन की अटकलों के बीच बोलीं अनुप्रिया पटेल

यूपी में बीजेपी और आरएलडी के गठबंधन की अटकलों के बीच केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने जयंत चौधरी का एनडीए में स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि अपनी पार्टी की ओर से मैं उनका एनडीए फैमिली में स्वागत करती हूं. 

अनुप्रिया पटेल ने जयंत चौधरी का स्वागत किया. अनुप्रिया पटेल ने जयंत चौधरी का स्वागत किया.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:53 PM IST

राष्ट्रीय लोकदल और समाजवादी पार्टी के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. ऐसी चर्चा है कि जयंत चौधरी और बीजेपी के सीनियर नेताओं के बीच एनडीए में शामिल होने को लेकर बातचीत चल रही है. कहा जा रहा है कि बीजेपी की ओर से जयंत चौधरी को पश्चिमी यूपी की चार लोकसभा सीटों का ऑफर दिया गया है. इन खबरों के बीच केंद्रीय मंत्री और अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने जयंत चौधरी का एनडीए में स्वागत किया है. 

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अनुप्रिया पटेल ने क्या कहा ? 

केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, "मैंने मीडिया रिपोर्ट पढ़ी है जिसमें कहा गया है कि आरएलडी एनडीए परिवार में शामिल होने जा रही है. मैं अपनी पार्टी की ओर से उनका स्वागत करती हूं." 

उन्होंने आगे कहा कि हालांकि मुझे आरएलडी और बीजेपी के बीच सीटों के बंटवारे के बारे में जानकारी नहीं है. अपना दल की अध्यक्ष ने कहा, "मैं यूपी या कहीं और से किसी भी पार्टी का एनडीए में शामिल होने का स्वागत करूंगी ताकि एनडीए मजबूत हो."  

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इससे पहले समाजवादी पार्टी के सीनियर नेता शिवपाल यादव ने कहा था कि आरएलडी के बीजेपी के साथ जाने की अफवाह चल रही है. इसमें कोई सच्चाई नहीं है. आरएलडी हमारे साथ है और आगे चुनाव में भी हमारे साथ ही रहेगी. हम लोग मिलकर चुनाव लड़ेंगे और बीजेपी को हराएंगे.

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बीजेपी के साथ क्यों जा सकते हैं जयंत?

पश्चिमी यूपी को जाट और मुस्लिम बाहुल्य इलाका माना जाता है. यहां लोकसभा की कुल 27 सीटें हैं और 2019 के चुनाव में बीजेपी ने 19 सीटों पर जीत हासिल की थी. जबकि 8 सीटों पर महागठबंधन ने कब्जा किया था. इनमें 4 सपा और 4 बसपा के खाते में आई थी. लेकिन, आरएलडी को किसी सीट पर जीत नसीब नहीं हुई थी. यहां तक कि जयंत को पश्चिमी यूपी में जाट समाज का भी साथ नहीं मिला था. यही नहीं, 2014 के चुनाव में भी जयंत को निराशा हाथ लगी थी और एक भी सीट नहीं मिली थी. इसलिए संसद के निचले सदन में अगर पार्टी की उपस्थिति चाहिए तो बीजेपी के साथ जाना जयंत की सियासी मजबूरी भी है. 

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