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'अल्लाह और ओम एक'... मदनी के बयान पर क्यों भड़के सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क

जमीयत के धर्मगुरु मौलाना अरशद मदनी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा कि ओम और अल्लाह दोनों अलग-अलग हैं, मदनी के इस तरह के बयान से आपस में विवाद पैदा होगा.

सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क और जमीयत के धर्मगुरु मौलाना अरशद मदनी सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क और जमीयत के धर्मगुरु मौलाना अरशद मदनी
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • दिल्ली,
  • 13 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 1:08 PM IST

दारुल उलूम देवबंद के प्रमुख और जमीयत के धर्मगुरु मौलाना अरशद मदनी के 'अल्लाह और ओम एक' बयान पर विवाद बढ़ता जा रहा है. मदनी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा कि ओम और अल्लाह दोनों अलग-अलग हैं, मदनी के इस तरह के बयान से आपस में विवाद पैदा होगा.

सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा कि मदनी का बयान ठीक नहीं है, मेरे मुताबिक मुस्लिम अल्लाह को मानते हैं और हिंदू ओम को. गौरतलब है कि अरशद मदनी ने कहा था कि ओम और अल्लाह एक ही हैं और सवाल का जिक्र भी कर दिया कि जब धरती पर कोई नहीं था, तब मनु किसे पूजते थे? इतना ही नहीं, उन्होंने आदम को ही हिंदू और मुसलमान का पूर्वज बताया.

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विवाद के बाद मौलाना अरशद मदनी ने कहा था कि वहां हिन्दू, सिख बाकी धर्म के लोग भी बैठे थे, कोई और नहीं उठा, हमारा मानना है कि उन्हें (जैन धर्मगुरु लोकेश मुनि) बैठे रहना चाहिए था, ओम और अल्लाह एक ही हैं, जो लोग घर वापसी के बात करते हैं, उनको पता होना चाहिए कि हम तो अपने घर में ही बैठे हैं. जो सबसे पहला इंसान था वो किसकी इबादत करता था?

मौलाना अरशद मदनी ने आगे कहा, 'उस वक्त और कोई नहीं था- वो सिर्फ अल्लाह को मानते थे. हमें (मुसलमान) जो बोलते हैं कि अपने पूर्वज की तरफ चले जाओ. इस दुनिया में सबसे पुराना आदमी जन्नत से उतरा, वो हमारे पूर्वज हैं और वो हिंदुस्तान की सर जमीन पर ही उतरे थे. '

मौलाना अरशद मदनी, जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष हैं. 8 फरवरी 2006 को अरशद मदनी को उनके बड़े भाई मौलाना असद मदनी के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिन्द का अध्यक्ष चुना गया था. 2012 में वह मुस्लिम वर्ल्ड लीग, मक्का, केएसए के सदस्य चुने गए. इसके साथ ही मदनी सहारनपुर में दारुल-उलूम देवबंद में हदीस के प्रोफेसर हैं और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य हैं.

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अरशद मदनी कई धार्मिक संस्थानों के संरक्षक और सलाहकार भी हैं. उनके पिता मौलाना सैयद हुसैन अहमद मदनी भी जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष रहे हैं. माल्टा में कैदी रहे हैं. इसके साथ ही हुसैन अहमद मदनी, दारुल उलूम में हदीस के शिक्षकों और प्रोफेसर के प्रमुख भी थे.

 

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