
अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम हुआ था. मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की गई रामलला की प्रतिमा को कर्नाटक के रहने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया था. यह वास्तव में बहुत आकर्षक है और ऐसा लगता है मानो बाल्यरूप में साक्षात भगवान राम वहां मौजूद हों. अब अरुण योगीराज ने बताया है कि उन्होंने रामलला की मूर्ति बनाने के बाद खाली समय में एक और मूर्ति बनाई थी.
इसकी तस्वीर भी उन्होंने साझा की है. यह मूर्ति भी गर्भगृह में स्थापित रामलला की मूर्ति की तरह ही सुंदर और आकर्षक है. अरुण योगीराज ने बताया कि राम मंदिर के लिए जब रामलला की मुख्य मूर्ति के चयन हो गया था, तो मेरे पास कुछ खाली समय था. इस दौरान अयोध्या में अपने खाली समय में मैंने रामलला की एक और छोटी मूर्ति बनाई थी.
बताते चलें कि अरुण योगीराज आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. वर्तमान में वह देश में सबसे अधिक डिमांड वाले मूर्तिकार हैं. वह मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकारों की पांच पीढ़ियों की पारिवारिक पृष्ठभूमि से आते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनकी सराहना कर चुके हैं. अरुण के पिता योगीराज भी एक कुशल मूर्तिकार हैं. वहीं, उनके दादा बसवन्ना शिल्पी को मैसूर के राजा का संरक्षण मिला था.
खुद को भाग्यशाली मानते हैं अरुण
अरुण योगीराज खुद को 'सबसे भाग्यशाली व्यक्ति' मानते हैं. वह कहते हैं कि ऐसा लगता है जैसे 'एक सपना जी रहे हैं. मुझे बहुत बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी. मूर्ति को तराशने में 7 महीने लगे थे. दिन-रात सिर्फ यही सोचते थे कि देश को भगवान के दर्शन कैसे करवाएंगे. हमने पांच साल के बच्चों की जानकारी जुटाई. पांच साल के बच्चे में राम ढूंढने की चुनौती भी थी. आज पूरी दुनिया खुश है, तो हमें बहुत आनंदित महसूस हो रहा है.