
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने वाराणसी की कोर्ट से ज्ञानवापी मस्जिद परिसर सर्वेक्षण रिपोर्ट को कम से कम चार और हफ्तों तक सार्वजनिक नहीं करने का आग्रह किया है. हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने बताया कि वाराणसी जिला अदालत के न्यायाधीश एके विश्वेश ने मामले को गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया है.
वकील के मुताबिक, एएसआई ने सीलबंद सर्वे रिपोर्ट खोलने से पहले अदालत से चार सप्ताह का और समय मांगा. एएसआई ने 18 दिसंबर को सीलबंद लिफाफे में अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट जिला अदालत को सौंप दी थी.
पीटीआई के मुताबिक वकील ने बताया कि एएसआई ने चार हफ्ते का समय मांगते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के हालिया फैसले का हवाला दिया. दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 19 दिसंबर को वाराणसी में उस मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग करने वाले मुकदमे की स्थिरता को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्षों की कई याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जहां अब ज्ञानवापी मस्जिद है.
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 धार्मिक चरित्र को परिभाषित नहीं करता है और इसे केवल विरोधी पक्षों द्वारा अदालत में प्रस्तुत साक्ष्य के माध्यम से निर्धारित किया जा सकता है. या तो ज्ञानवापी परिसर में हिंदू धार्मिक चरित्र है या मुस्लिम धार्मिक चरित्र है. न्यायाधीश ने कहा था, इसमें एक ही समय में दोहरा चरित्र नहीं हो सकता.
गौरतलब है कि 21 जुलाई को जिला कोर्ट के आदेश के बाद एएसआई ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया था, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि मस्जिद का निर्माण हिंदू की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था या नहीं. याचिकाकर्ताओं द्वारा दावा किए जाने के बाद कि 17वीं सदी की मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर के ऊपर किया गया था, अदालत ने सर्वेक्षण का आदेश दिया था.
बुधवार को जिला अदालत में सुनवाई के दौरान, हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में अपने आवेदन का हवाला देते हुए मस्जिद के 'वजू खाना' (नमाज से पहले लोगों द्वारा स्नान के लिए इस्तेमाल किया जाता है) की सफाई की अनुमति मांगी, क्योंकि वहां कई मछलियां मर गई हैं. मुस्लिम पक्ष ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि 'वज़ू खाना' उनकी संपत्ति है और इसे साफ़ करने की ज़िम्मेदारी उन्हें दी जानी चाहिए.
हिंदू पक्ष ने जिला अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वज़ू खाना सील कर दिया गया है. हिंदू पक्ष ने यह भी कहा कि या तो उन्हें या प्रशासन को इसकी सफाई करानी चाहिए. इस मामले पर भी कोर्ट गुरुवार को फैसला सुनाएगा.