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राम की नगरी अयोध्या में ही कैसे हार गई BJP? जमीन अधिग्रहण और मुआवजे का मुद्दा तो नहीं पड़ गया भारी 

यूपी की फैजाबाद सीट पर सबसे ज्यादा चौंकाने वाले नतीजे रहे क्योंकि यही वो सीट है, जिसमें भगवान राम की नगरी अयोध्या आती है. जहां महज चार महीने पहले रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी. इस बार के चुनाव में यहां स्थानीय मुद्दे हावी रहे, जिसकी वजह से बीजेपी के हाथ से यह सीट निकल गई.

अयोध्या में कैसे हार गई बीजेपी? अयोध्या में कैसे हार गई बीजेपी?
कुमार अभिषेक
  • अयोध्या,
  • 06 जून 2024,
  • अपडेटेड 1:48 PM IST

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भारतीय जनता पार्टी को यहां प्रचंड जीत की उम्मीद थी. बीजेपी को लगता था कि अयोध्या की वजह से उसे इस पूरे क्षेत्र में फायदा होगा, लेकिन कैसरगंज और गोंडा सीट को छोड़कर अयोध्या के आसपास बीजेपी एक-दो नहीं 15 से ज्यादा सीटें हार गई. फैजाबाद सीट पर सपा के अवधेश प्रसाद 54,567 वोटों से जीते हैं. उन्हें कुल 5,54,289 वोट मिले. यहां से लल्लू सिंह को 4,99,722 वोट हासिल हुए. आखिर ऐसा क्या हुआ कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के महज चार महीने बाद ही अयोध्या में बीजेपी की हार हो गई. आइए जानते हैं कि यहां बीजेपी पर कौन से मुद्दे भारी पड़ गए. 

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1- जमीन अधिग्रहण और मुआवजे का मुद्दा 

अयोध्या में बीजेपी की हार की वजह वहां जमीन अधिग्रहण और उसके मुआवजे को बताया जा रहा है. कई लोगों के घर-दुकान तोड़े गए. दावा है कि कई लोगों को मुआवजा तक नहीं मिला. इसकी नाराजगी चुनाव परिणाम में साफ नजर आ रही है, जिसने विपक्ष को बीजेपी पर हमला करने का मौका दे दिया और बीजेपी अपनी अयोध्या सीट नहीं बचा पाई, जहां चार महीने पहले ही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी. 

2- कार्यकर्ताओं की अनदेखी बड़ी वजह 

फैजाबाद में BJP की हार की एक और बड़ी वजह कार्यकर्ताओं की अनदेखी मानी जा रही है, जिसके चलते पार्टी से सच्चिदानंद पांडेय जैसे युवा नेता टूट गए. चुनाव की घोषणा के 6 दिन पहले 12 मार्च को सच्चिदानंद ने BSP ज्वॉइन कर ली और उन्होंने BJP के वोट में सेंध लगाकर 46,407 वोट पा लिए और अयोध्या में खेल हो गया.  

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3- बीजेपी ने ग्रामीण क्षेत्रों पर नहीं किया फोकस 

भारतीय जनता पार्टी ने अयोध्या धाम के विकास पर सबसे ज्यादा फोकस किया. सोशल मीडिया से लेकर चुनाव-प्रचार में अयोध्या धाम में हुए विकास कार्यों को बताया गया, लेकिन अयोध्या के ग्रामीण क्षेत्रों पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया. यहां ग्रामीण क्षेत्र की तस्वीर बिल्कुल अलग रही. माना जाता है कि ग्रामीणों ने इसी आक्रोश के चलते बीजेपी के पक्ष में मतदान नहीं किया. 

4- अखिलेश यादव की रैलियों का असर  

फैजाबाद लोकसभा सीट में पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं- दरियाबाद, बीकापुर, रुदौली, अयोध्या और मिल्कीपुर. इनमें से अखिलेश ने दो विधानसभाओं मिल्कीपुर और बीकापुर में रैलियां कीं. यहां उन्होंने जमीन अधिग्रहण, मुआवजे का मुद्दा, युवाओं को नौकरी जैसे मुद्दों को जनता तक पहुंचाया. इसका असर देखने को मिला कि इंडिया गठबंधन को शहर से ज्यादा ग्रामीण इलाकों में वोट मिले. जहां बीकापुर क्षेत्र में बीजेपी को 92,859 वोट मिले, वहीं सपा को 1,22,543 वोट मिले. इंडिया गठबंधन को मिल्कीपुर में 95,612 दरियावाद में 1,31,177 और रदौली में 1,04,113 वोट मिले. इस तरह फैजाबाद की 5 में से 4 ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में इंडिया गठबंधन BJP पर हावी रहा और अयोध्या शहर में इंडिया गठबंधन के मुकाबले ज्यादा वोट मिलने पर भी BJP फैजाबाद का चुनाव हार गई. 

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5- जातीय समीकरण और मुस्लिम फैक्टर 

फैजाबाद सीट पर अखिलेश यादव ने नया प्रयोग किया. सामान्य सीट होने के बावजूद सपा ने यहां से अयोध्या की सबसे बड़ी दलित आबादी वाली पासी बिरादरी से अपने सबसे बड़े चेहरे अवधेश प्रसाद को उम्मीदवार बनाया, जिसके बाद यहां नारा चल पड़ा- 'अयोध्या में न मथुरा न काशी, सिर्फ अवधेश पासी'. इसके अलावा सपा-कांग्रेस गठबंधन बीजेपी के वोट बैंक को बांटने में भी कामयाब रहा. इस सीट पर करीब पांच लाख मुस्लिम वोटर हैं, वो भी इंडिया गठबंधन की ओर लामबंद हो गए और इस तरह सपा की जीत हुई.  

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6- लल्लू सिंह का संविधान को लेकर बयान 

फैजाबाद से बीजेपी सांसद और प्रत्याशी लल्लू सिंह ने ही ये बयान दिया था कि BJP को संविधान बदलने के लिए 400 सीट चाहिए. फैजाबाद में 26 फीसदी दलितों को शायद ये रास नहीं आया और BJP को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. बीजेपी ने लल्लू सिंह के बयान से हुए नुकसान को रोकने की भरकस कोशिश की लेकिन नतीजे बताते हैं वो नाकाम रही.  

अखिलेश ने मंच से बता दिया था पूर्व विधायक 

अयोध्या में रैली के दौरान मंच से ही अखिलेश ने अवधेश प्रसाद को पूर्व विधायक कह दिया था. अखिलेश ने कहा, "आपके बहुत ही लोकप्रिय नेता पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक और विधायक..." उसके बाद जब अवधेश प्रसाद ने सपा मुखिया को टोका तो अखिलेश ने कहा था कि पूर्व विधायक इसलिए बोल रहा हूं क्योंकि सांसद बनने वाले हो. 

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