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शाहरुख खान, स्टालिन और अब स्वामी प्रसाद मौर्य को धमकी... कौन हैं जगतगुरु परमहंस आचार्य जो सिर काटने पर रखते हैं करोड़ों का इनाम

जगतगुरु परमहंस आचार्य (Paramhans Acharya) अयोध्या की तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर हैं. वो मूल रूप से मध्य प्रदेश के सीधी जिले के रहने वाले हैं. परमहंस आचार्य अपने बयानों के चलते अक्सर चर्चा में रहते हैं. उन्होंने हिन्दू राष्ट्र की मांग को लेकर फिर से अनशन शुरू करने की बात कही है.

अयोध्या के जगतगुरु परमहंस आचार्य अयोध्या के जगतगुरु परमहंस आचार्य
आशीष मिश्रा
  • लखनऊ ,
  • 17 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 5:13 PM IST

मसला कोई भी राजनीति, फिल्म या धर्म... अयोध्या के जगतगुरु परमहंस आचार्य (Paramhans Acharya) अपने बयानों से अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. कभी वह शाहरुख खान पर विवादित टिप्पणी कर देते हैं तो कभी उदयनिधि स्टालिन को धमकी दे डालते हैं. इस बार उनके निशाने पर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य हैं. उन्होंने कहा कि जो कोई भी स्वामी प्रसाद मौर्य को गोली मारेगा वो उसे 25 करोड़ रुपये इनाम देंगे. इस बयान को लेकर परमहंस आचार्य की आलोचना भी हो रही है. 

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तो आइए जानते हैं आखिर कौन हैं जगतगुरु परमहंस आचार्य? कैसे वह मध्य प्रदेश के सीधी से पहुंचे उत्तर प्रदेश के अयोध्या? इस तरह के बयान देने के पीछे क्या है उनका मकसद? साथ ही उनका आगे का प्लान क्या है... 

MP के सीधी से अयोध्या तक के सफर के बारे में बताइए? 

इस सवाल के जवाब में परमहंस आचार्य ने कहा- देखिए, इस वक्त मैं अयोध्या में तपस्वी छावनी का पीठाधीश्वर हूं. रामघाट के पास अपना आश्रम है. मूल रूप से मध्य प्रदेश के सीधी जिले का रहने वाला हूं. बचपन में ही सन्यास ले लिया था. सन्यास के बाद तीर्थों में घूमने लगा. शुरुआत में अयोध्या, वृंदावन और काशी आदि जगहों पर रहा. ऋषिकेश में स्वामी रामसुख दास जी के आश्रम में भी रहा. हिमालय विचरण किया. बाद में 2017 में तपस्वी छावनी के गुरुदेव सर्वेश्वर दास जी से दीक्षा ग्रहण की. उसी साल छावनी के महंत की गद्दी मिली. 

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अपने समर्थकों संग जगतगुरु परमहंस आचार्य

आखिर ऐसे बयान क्यों देते हैं, क्या मकसद होता है?

इसपर परमहंस आचार्य कहते हैं- तो वो लोग दूसरे धर्म के विषय पर टिप्पणी क्यों नहीं करते. क्यों नहीं बोलते उसपर एक शब्द ... डरते हैं क्योंकि उनको पता है गर्दन कट जाएगी. सनातन को गाली देना फैशन बन गया है. जिसको देखो वही हमारे धर्म पर टिप्पणी कर के निकल जाता है. पहले तो मैंने कुछ दिन इग्नोर किया लेकिन अब जवाब देना जरूरी हो गया है. वो भी उन्हीं की भाषा में. अगर मैंने आवाज नहीं उठाई तो मेरे जिंदा रहने का क्या फायदा. मीडिया में पॉपुलर होना मकसद नहीं है. धर्म के लिए सत्य बोलना मकसद है. 

गोली मारने, सिर कलम करने की बातें क्यों करते हैं?

बकौल परमहंस आचार्य- हमारा किसी से बैर नहीं है. ना तो शाहरुख खान से ना किसी और से. हम तो चींटी बचाकर चलने वाले लोग हैं. लेकिन इन लोगों को हमारे धर्म पर टिप्पणी नहीं करना चाहिए. कोई बात समझ ना आए तो आचार्यों, विद्वानों से पूछ लें फिर बयानबाजी करें. 

तो ये बात नम्र तरीके से भी कही जा सकती है? 

हां, हां... क्यों नहीं. बिल्कुल ठीक. लेकिन स्वामी प्रसाद जैसे लोग अनर्गल टिप्पणी कर देते हैं. जब रावण माता सीता का हरण कर ले गया था तब प्रभु श्रीराम ने उससे विनती की थी कि सम्मान से सीता जी को लौटा दो. वो उसे मारना नहीं चाहते. लेकिन रावण नहीं माना. फिर भगवान को मजबूरन युद्ध करना पड़ा. जिसमें बहुत सारे लोग मारे गए. 

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आश्रम में जगतगुरु परमहंस आचार्य

इसी तरह मैं भी सम्मान से समझाने को तैयार हूं लेकिन कोई माने तब ना. इन लोगों को प्यार, मान, सम्मान वाली भाषा से कोई फर्क ही नहीं पड़ता है. जब उन्हीं की भाषा में जवाब दे देता हूं तो मिर्ची लग जाती है. तिलमिला उठते हैं. जैसे उदयनिधि स्टालिन पर बयान दिया तो तुंरत उसकी प्रतिक्रिया आ गई. 

इसी तरह बिहार के मंत्री ने जब मानस की चौपाई की गलत व्याख्या की तो मैंने प्रतिकार किया. फिर वो बोलने लगा कि मुझे मानस से नहीं एक चौपाई के अंश से आपत्ति है. इसीलिए मैं कहता हूं अपनी शंका के समाधान के लिए जानकारों के पास जाइए गलत बयानबाजी मत करिए. इससे गलत संदेश जाता है. भावनाएं आहत होती हैं. मैं किसी का विरोधी नहीं हूं. हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई सबका शुभचिंतक हूं. जब धर्म का ज्ञान नहीं है तो देश में तमाम मुद्दे पड़े हैं उनपर लड़ो-भिड़ो. 

कभी अनशन, कभी जल समाधि... हासिल क्या करना चाहते हैं? 

इस सवाल पर जगतगुरु परमहंस आचार्य ने कहा- हासिल क्या करना. ये सब हमारी मांगें हैं. पूरी करवाने के लिए अनशन का रास्ता चुनते हैं. राम मंदिर के मुद्दे पर जब चिता सजाई तो पूरे देश में मामला हाईलाइट हो गया. माहौल बनने लगा मंदिर के पक्ष में. प्रदर्शन कर अयोध्या में अंडा-मांस बंद करवाया. 

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परमहंस आचार्य ने आगे कहा कि 2018 में राम मंदिर के लिए आमरण-अनशन शुरू किया था. इस अनशन को स्वयं उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने तुड़वाया था. फिर कुम्भ में भी अनशन किया जिसे शंकराचार्य ने तुड़वाया था. इसके बाद मंदिर निर्माण के लिए अपनी चिता भी सजा ली थी. लेकिन पुलिस ने रोक लिया था और घर में नजरबंद कर दिया था. आने वाले 7 नवंबर को हिन्दू राष्ट्र को लेकर फिर से अनशन पर बैठने जा रहा हूं. 

शाहरुख, स्टालिन पर कर चुके हैं विवादित टिप्पणी 

परमहंस आचार्य ने बॉलीवुड के फेमस एक्टर शाहरुख खान को लेकर विवादित बयान दिया था. उन्होंने कहा था- 'शाहरुख खान को मैं ढूंढ रहा हूं जिस दिन वह मिल गया, उस जिहादी की चमड़ी उधेड़ कर जिंदा जला दूंगा. उन्होंने कहा कि मेरे आदमी उसे मुंबई में ढूंढ रहे हैं.'  

उदयनिधि स्टालिन का विरोध करते परमहंस आचार्य

इतना ही नहीं उदयनिधि स्टालिन की सनातन वाली टिप्पणी पर परमहंस आचार्य ने कहा था कि वो उदयनिधि का सिर कलम करने वालों को 10 करोड़ रुपये का इनाम देंगे. उनके इस धमकी वाले वीडियो पर खुद उदयनिधि ने प्रतिक्रिया दी थी. उदयनिधि ने पलटवार करते हुए कहा था कि जिन्होंने मेरे सिर कलम करने वालों को 10 करोड़ रुपये देने की घोषणा की है क्या वह सच में असली संत है. उनके पास इतने पैसे कहां से आ रहे हैं. मेरे बालों में कंघी करने के लिए 10 करोड़ रुपये की घोषणा कर रहे हैं अगर आप मुझे 10 रुपये की कंघी दे दें तो मैं यह काम खुद ही कर लूंगा. 
 
बीते दिन दे डाली स्वामी को धमकी 

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दरअसल, समाजवादी पार्टी के नेता स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने शनिवार को बांदा में कहा था कि भारत और पाकिस्तान का विभाजन इसलिए हुआ क्योंकि हिंदू महासभा ने दो राष्ट्रों की मांग की थी. इसकी वकालत जिन्ना ने नहीं की थी. जो लोग हिंदू राष्ट्र की बात कर रहे हैं, वे राष्ट्र के दुश्मन हैं. 

इसी बयान के खिलाफ परमहंस आचार्य ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य को जो गोली मारेगा उसको 25 करोड़ का इनाम दूंगा. पैसे उसके घर भिजवा दूंगा और उसकी विधि सहायता भी करूंगा, क्योंकि इसने सभी हदें पार कर दी हैं. अब इसको कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इसके बावजूद भी अगर इसको किसी ने गोली नहीं मारी तो जरूरत पड़ने पर मैं स्वयं गोली मारूंगा. इतना ही नहीं परमहंस आचार्य ने कहा कि देश का विभाजन करने वाले मोहम्मद अली जिन्ना और सपा के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का पुतला भी जलाया.

लुलु मॉल का शुद्धिकरण करने की कोशिश पर हुआ था विवाद

इसके अलावा परमहंस आचार्य साल 2022 में लखनऊ के लुलु मॉल में भी विवाद में घिर चुके हैं. परमहंस आचार्य मॉल के अंदर नमाज पढ़ने का वीडियो सामने आने पर वहां अपने समर्थकों संग पहुंच गए थे. उनका कहना था कि नमाज पढ़ने से मॉल अशुद्ध हो गया है, जिसका शुद्धिकरण जरूरी है. हालांकि, पुलिस ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया था, जिस पर खूब हंगामा हुआ था.

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