
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में यूं तो मंदिर-मस्जिद का विवाद लंबे समय तक चला, लेकिन अब हर कोई चाहता है कि अयोध्या की पहचान विवाद की बजाय प्रगति और उत्थान के रूप में हो. अब अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर बन रहा है तो बड़ी संख्या में लोगों का आवागमन भी शुरू हो गया है. इसको लेकर अलग-अलग मार्ग बनाए जा रहे हैं और उन्हें चौड़ा किया जा रहा है. इसी में एक रामपथ भी है, जिसकी जद में लगभग 30 से अधिक मंदिर और 15 मस्जिद और मजार आ गए हैं.
दुखी मन से ही सही अधिकतर लोगों ने अपने मंदिर और मस्जिद खुद तोड़ लिए, लेकिन इसी बीच एक खजूर वाली शिया मस्जिद की वजह से पेंच फंस गया है. अब इसका विवाद हाई कोर्ट तक पहुंच गया है. वहीं असदुद्दीन ओवैसी के ट्वीट ने इस मामले को और सुर्खियों में ला दिया है.
अयोध्या धाम से फैजाबाद तक लगभग 13 किलोमीटर तक रामपथ का निर्माण किया जा रहा है. भक्ति पथ और जन्मभूमि पथ की अपेक्षा यह सबसे लंबा पथ है. यही कारण है कि इसके चौड़ीकरण की जद में बड़ी संख्या में मंदिर और मस्जिद आ गए हैं.
हालांकि मंदिर हो या मस्जिद किसी को तोड़ने के लिए प्रशासन को आगे नहीं आना पड़ा. लोगों ने खुद ही अपने धार्मिक स्थल हटा दिए, जितना हिस्सा चौड़ीकरण की जद में आ रहा था. इसी बीच फैजाबाद चौक के पास स्थित खजूर वाली मस्जिद को लेकर आपसी सामंजस्य उस हद तक कायम नहीं हो सका, जितना बाकी धार्मिक स्थलों में हुआ था.
व्यस्त शहर के बीच होने के कारण आसपास ऐसी कोई जमीन भी नहीं है, जिसको प्रशासन मस्जिद को आगे पीछे खिसकाने के लिए दे सके. लिहाजा यह मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है. हालांकि अभी भी आपसी सामंजस्य की गुंजाइश बाकी है.
क्या बोले मस्जिद कमेटी के संयोजक?
मस्जिद कमेटी संयोजक एडवोकेट इसरार अहमद ने कहा कि मसला यह है कि रामपथ का काम चल रहा है, यह आपको पता ही है. गुदड़ी बाजार के पास एक मस्जिद है, जो लगभग ढाई सौ साल पुरानी है. इसको मेहंदी हसन ने तामीर कराया था. इसका ढाई मीटर हिस्सा रामपथ की जद में आ रहा है. सरकार उसको तोड़कर रामपथ बनाना चाहती है.
इसरार अहमद ने कहा कि हमारी सरकार से यही अपील है कि उसके अपोजिट साइड जगह ले ले तो हमारी मस्जिद महफूज हो सकती है. बहुत सारे लोग जो बाहर से भी आते हैं, यहां नमाज अदा करते हैं. यह हमारे इमोशन का भी सवाल है. हमने बहुत प्रार्थना की, लेकिन जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो हमने 1 मार्च को हाईकोर्ट में अपील फाइल की है. इसमें शिया वक्फ बोर्ड को और जिलाधिकारी अयोध्या के साथ पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर को पार्टी बनाया है. पीडब्ल्यूडी और जिलाधिकारी ने अपना पक्ष रख दिया है. शिया वक्फ बोर्ड ने अभी जवाब नहीं दाखिल किया है.
मस्जिद कमेटी के संयोजक एडवोकेट इसरार अहमद ने कहा कि देखिए अभी तक तो मस्जिद और कब्रिस्तान जो तोड़े गए हैं, वह लगभग 14 हैं, यह 15वीं है. लगभग 40 से 45 मंदिर तोड़े गए हैं, जिनका ज्यादा हिस्सा जा रहा था, उसमें हम लोगों ने कुछ नहीं कहा, क्योंकि वह प्रशासन के लिए असंभव था, लेकिन कोई मंदिर या मस्जिद एक से 2 फिट या 2 मीटर तक जा रही है तो इतना सरकार को लचीलापन होना चाहिए. हम लोगों की आस्था का ख्याल रखें और इबादतगाहों को सुरक्षित कर दें, अगर कोई वैकल्पिक व्यवस्था बनती है तो यही मेरी फरियाद है.
शिव मंदिर के मुख्य पुजारी ने क्या कहा?
मुख्य पुजारी शिव मंदिर बाबा त्रिलोकी दास ने कहा कि इसके पीछे कहानी वही सड़क चौड़ीकरण करने के लिए यह सब हो रहा है. यह शंकर जी का मंदिर 400 वर्ष पुराना है, जबकि हनुमान जी का मंदिर 200 वर्ष पुराना है. पुराना आश्रम है और परिक्रमा मार्ग है. प्रशासन ने कहा है कि जल्दी मूर्ति हटाइए, रोज हमें परेशान करते हैं. हम को हटाना पड़ा. अब कह रहे हैं कि मंदिर तोड़ो, नहीं तो गिरा देंगे. इसलिए हमने तोड़ना शुरू कर दिया है.
हालांकि मंदिर और मस्जिद ऐसे स्थान होते हैं, जहां लोग अपने-अपने आराध्य को याद करते हैं. लिहाजा उस स्थान से खास लगाव होता है. इसी के चलते लोग अपने मंदिर और मस्जिद को बचाने के लिए अपने अपने तर्क देते हैं. इन तर्कों के बीच प्रशासन की अपनी मजबूरी भी है, क्योंकि अयोध्या में आवागमन जिस तेजी से बढ़ रहा है, वह कभी भी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है.
प्रशासन सड़कों का चौड़ीकरण कर रहा है और रामपथ हो या अन्य सड़कें जो भी शहर के बीच से जा रही हैं, उनको चौड़ीकरण के लिए अगल-बगल के निर्माण को तोड़ना उसकी मजबूरी है. इसी में लोगों के घर भी आ रहे हैं और धार्मिक स्थल भी.
पुजारी ने कहा- विकास और विनाश दोनों साथ साथ चलता है
शिव मंदिर के मुख्य पुजारी बाबा त्रिलोकी दास ने कहा कि तीन चीजें बढ़ती हैं तो विनाश होता है. विज्ञान, धन और आबादी हवा की तरह भाग रही है. विकास और विनाश दोनों साथ साथ चलता है. बनाना और बनाकर बिगाड़ देना उसी का काम है. बड़ा तगड़ा मेरे प्रभु का इंतजाम है. विनाश का रास्ता आ रहा है कोई रोक नहीं पाएगा. मंदिर-मस्जिद सब गिरा दे रहे हैं. किसी को रहने का ठिकाना नहीं है. कोई रो रहा है, कोई कुछ कर रहा है, क्या किया जाए. सब भगवान की माया है.
वहीं अयोध्या के जिलाधिकारी नितीश कुमार ने कहा कि जो भी किया जा रहा है, वह लोगों से सहमति लेकर किया जा रहा है. इतने बड़े काम में जिस तरह बड़ी संख्या में लोग और धर्माचार्य आगे हैं, वह बहुत बड़ी बात है. लोगों को समझाने और उनसे संवाद कायम करने के बाद उन्होंने अपने घर और धार्मिक स्थल खुद तोड़े हैं.
हालांकि एकमात्र मस्जिद जिसका मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा है, उसको लेकर डीएम ने कहा कि बेहतर विकल्प की तलाश में हाई कोर्ट गए हैं. हालांकि उन्हें अभी तक इस बारे में कोई आदेश नहीं मिला है. संवाद कायम करने की स्थिति भी चल रही है.
क्या बोले अयोध्या के जिलाधिकारी?
डीएम नितीश कुमार ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण है कि लगभग 30 मंदिर 12 मस्जिद और दो मजार थीं. सबको लेकर हमने संवाद कायम किया था. जो भी हमारा सड़क का प्लान है, उसके तहत जो भी आ रहा था, पूरी सहमति के साथ खुद तोड़ा है. उसके बाद निर्माण भी किया है. हाई कोर्ट जाने की बात तो यह है कि अगर कोई विकल्प हो सकता है तो उसके लिए हाईकोर्ट गए थे, उसमें हम लोगों ने स्पष्ट रूप से काउंटर लगाया था. इस बारे में अभी कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है. सहमति भी बन चुकी है.
लगभग और सब लोग जान रहे हैं कि बहुत न्यायपूर्ण तरीके से काम किया गया है. रामपथ को लेकर सभी लोग उत्सुक हैं. अयोध्या में आप लोगों ने देखा होगा. माहौल बहुत सकारात्मक है. सभी लोगों ने सभी धर्म गुरुओं ने बहुत आगे बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है. सब लोगों ने कहा कि न्याय हुआ है और बहुत बेहतर तरीके से हुआ है. संवाद स्थापित करके स्वयं लोगों ने अपना काम कराया है. इतने बड़े कार्य में सब लोगों ने सहयोग दिया है. इसके लिए हम धन्यवाद भी ज्ञापित करते हैं.