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नेपाल के बाद कर्नाटक से अयोध्या पहुंची एक और शिला, परीक्षण के बाद मूर्ति के लिए होगा चयन

अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बनने वाले मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाली मूर्ति के लिए पत्थरों का परीक्षण जारी है. बीते दिनों नेपाल से देव शिला अयोध्या पहुंची थी. इसके बाद अब कर्नाटक से भी एक शिला लाई गई है, जिसका यहां परीक्षण किया जाएगा. इसके बाद तय होगा कि किस शिला से मूर्ति बनाई जाएगी.

कर्नाटक से अयोध्या लाई गई शिला. कर्नाटक से अयोध्या लाई गई शिला.
शिल्पी सेन
  • लखनऊ,
  • 16 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 8:59 AM IST

अयोध्या में रामजन्मभूमि पर बनने वाले मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित होने वाली रामलला की प्रतिमा और अन्य प्रतिमाओं के लिए शिलाओं का परीक्षण जारी है. बीते 1 फरवरी को नेपाल से पहुंची देव शिलाओं के बाद अब कर्नाटक से एक और शिला अयोध्या पहुंची है. कर्नाटक से लाई गई शिला को भी रामसेवकपुरम में देव शिलाओं के पास रखा गया है. हल्के ग्रे रंग की शिला का विशेषज्ञों द्वारा परीक्षण किया जाएगा.

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इसी बीच नेपाल से पहुंची देव शिलाओं से मूर्ति बनाए जाने की संभावना से पहले तकनीकी परीक्षण जारी है. तकनीकी परीक्षण के बाद शिल्पकारों और विशेषज्ञों का पैनल इस बारे में फैसला करेगा. रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार, अभी इस बारे में फैसला लिया जाना है.

बता दें कि अयोध्या में राम जन्मभूमि में मंदिर निर्माण प्रगति पर है. इस बीच बीते दिनों नेपाल की गंडकी नदी में मिली शालिग्राम शिला को लेकर चर्चा है कि रामलला की प्रतिमा के लिए इसका चयन हो सकता है. 7x5 फीट की शिला को पुरातत्व विशेषज्ञों ने देखा है. रामलला की बालस्वरूप प्रतिमा कैसी होगी, इसको लेकर लोगों के मन में उत्सुकता है. शिल्पकारों के द्वारा फाइनल किया जाएगा, जिससे हर प्रकार से उपयुक्त प्रतिमा तैयार की जा सके. 

शालिग्राम में है विष्णु का वास, होती है पूजा

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शालिग्राम शिला नेपाल की गंडकी नदी में मिलती है. ये शिला काफी महंगी होती है. शालिग्राम की शिला की लोग घर में पूजा भी करते हैं और प्रतिमा भी बनती है. गर्भगृह में स्थापित होने वाली प्रतिमा करीब 5.5 फीट की बननी है, जिसके नीचे 2 फीट का पेडेस्ट्रीयल भी होगा.

रामनवमी के लिए सूर्य की किरण रामलला की प्रतिमा के ललाट पर पड़ेगी. इसके लिए इसका विशेष प्रकार से निर्माण जरूरी है. करीब 30 फीट दूरी से इसके दर्शन हो सकें, इसके लिए शिला की क्वालिटी भी अच्छी होनी चाहिए. यही तय करने के लिए विशेषज्ञों और शिल्पकारों की टीम इस शिला को हर प्रकार से देखकर औपचारिक रूप से इससे प्रतिमा निर्माण का फैसला करेगी.

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