
उत्तर प्रदेश में अयोध्या में कल रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा (Ayodhya Ram temple Pran Pratistha) होनी है. इसको लेकर हर तरफ उत्साह का माहौल है. अयोध्या में जूना अखाड़ा और कृष्ण जन्म भूमि से आए महंतों ने रामचरितमानस की चौपाइयां पढ़ीं. यहां बड़ी संख्या में संत हैं, जो भगवान राम के स्वागत में उनकी आराधना कर रहे हैं. इसी के साथ अयोध्या के आसमान में भगवा ध्वज लहरा रहा है. भक्त गायन और नृत्य कर राम धुन पर झूम रहे हैं.
रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अब बस 1 दिन ही बाकी रह गया है. पूरी की पूरी रामनगरी रंग-बिरंगे फूलों से सजी हुई है. शहर के बाहर चारों ओर नाकाबंदी कर दी गई है और बाहर से आने वालों के लिए अब पूरी तरह से नो एंट्री है. अयोध्या का माहौल पूरी तरह से राममय हो चुका है. एक दिन पहले पूरी नगरी में भक्त ढोलक, मंजीरा और राम भजन गाते दिखाई दे रहे हैं. हर तरफ राम नाम की धूम है.
बता दें कि दर्शनार्थियों के लिए अयोध्या में पूरी व्यवस्था की गई है. 22 जनवरी के बाद आने वाले दिनों में दर्शनार्थियों के लिए व्यवस्थाएं हैं. अगर आप लखनऊ-गोरखपुर हाइवे के रास्ते अयोध्या में प्रवेश करेंगे तो सरयू पुल से पहले आपको जो मार्ग मिलेगा, उसका नाम धर्मपथ है. इसी रास्ते से अयोध्या में एंट्री होगी. इसके बाद लगभग 2 किलोमीटर सफर करने पर लता मंगेशकर चौक मिलेगा, जिसे नया घाट भी कहते हैं. इसके ठीक सामने राम की पैड़ी है और इसके किनारे मंदिरों की लंबी खूबसूरत श्रृंखला है.
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राम की पैड़ी के किनारे ही अति प्राचीन और प्रतिष्ठित मंदिर नागेश्वर नाथ भी है. अयोध्या पहुंचने वाले लोग यहां भोलेनाथ के दर्शन जरूर करते हैं. सरयू की जलधारा राम की पैड़ी से होकर वापस सरयू में मिल जाती है. इसके किनारे सरयू का तट दिखाई देगा, जहां आप नौकायन और मोटर बोट का आनंद उठा सकते हैं.
राजकुमारी पार्क की क्या है विशेषता
राम की पैड़ी का लुत्फ लेने के बाद जब आप वापस लता मंगेशकर चौक पहुंचेंगे तो अयोध्या की राजकुमारी का पार्क देख सकते हैं, जिन्हें दक्षिण कोरिया में रानी के नाम से जाना जाता है. राजकुमारी का पार्क इसी नाम से है. दक्षिण कोरिया में उनकी शादी कर्क वंश के राजकुमार से हुई थी. आज दक्षिण कोरिया की बड़ी आबादी इसी वंश की है.
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लता मंगेशकर चौक से बाईं तरफ मुड़ते ही आपके कदम श्री राम पथ पर पड़ेंगे, जो लगभग 14 किलोमीटर लंबा है और सीधे आगे जाकर सहादतगंज बायपास के पास लखनऊ गोरखपुर हाइवे से जुड़ जाता है. लता मंगेशकर चौक से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर हनुमानगढ़ी मंदिर मिलेगा, जिन्हें अयोध्या का सेनापति और राजा दोनों माना जाता है.
कनक भवन मंदिर के बारे में क्या है मान्यता, जान लीजिए
हनुमानगढ़ी के बगल में ही दशरथ महल और कनक भवन मंदिर है. कनक भवन मंदिर के बारे में मान्यता है कि माता सीता को कैकई ने मुंह दिखाई में यह सोने का महल दिया था. श्री राम जन्मभूमि मंदिर जाने के लिए दशरथ महल के पास से भी रास्ता है और हनुमानगढ़ी के रास्ते बाहर निकलकर राम पथ के जरिए भी आप श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य मार्ग पर पहुंच सकते हैं.
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जन्मभूमि पथ से प्रवेश करते ही बाएं तरफ आपको ट्रस्ट सुविधा केंद्र मिलेगा, जहां सामान रखने के लिए मुफ्त लॉकर , स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी. अगर किसी को चलने में असुविधा है तो सहायक के साथ उसे पहुंचाने की भी व्यवस्था है. यहीं पर मंदिर में दोपहर और सायंकाल आरती का पास भी मिल जाता है.
अयोध्या में ब्रह्मकुंड गुरुद्वारा व जैन मंदिर भी जा सकते हैं
इसके अलावा अयोध्या में ब्रह्मकुंड गुरुद्वारा भी जा सकते हैं, जहां से सिखों ने राम मंदिर को मुक्त करने के लिए संघर्ष किया था. गुरु गोविंद सिंह भी अपने जीवनकाल में यहां आ चुके हैं. इसलिए इसे एक पवित्र स्थान माना जाता है. इसके अलावा अयोध्या में सुप्रसिद्ध जैन मंदिर भी है, जहां जैन धर्म से जुड़े कई तीर्थंकर रह चुके हैं.
अयोध्या में कई प्रसिद्ध कुंड भी हैं, जिसमें सूर्य कुंड, भरत कुंड, विद्या कुंड, दंत धवन कुंड समेत कई ऐसे कुंड हैं, जिनका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है. यूपी सरकार द्वारा इन कुंडों का सौंदर्यीकरण कर दिया गया है, जिससे यह स्थान मनोहारी लगते हैं.