
अयोध्या की पहचान श्री राम से है. श्री राम के कारण ही अयोध्या जानी और पहचानी जाती है. यही कारण है कि अयोध्या के विकास का पूरा ताना-बाना श्री राम जन्मभूमि मंदिर के इर्द-गिर्द घूम रहा है. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद जिस तरह डेढ़ से 2 लाख लोग रोज अयोध्या आते हैं, उसके चलते अयोध्या का न सिर्फ आर्थिक ढांचा मजबूत हो रहा है बल्कि आने वाले दिनों में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि से यूपी की जीडीपी में अयोध्या का इकोनामिक ग्रोथ साफ तौर पर दिखाई देने का अनुमान है.
देश के अलग-अलग देशों से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु अयोध्या पहुंच रहे हैं. यह सब जब आते हैं तो अयोध्या में एक से दो दिन बिताते हैं. होटल में रुकते हैं, अयोध्या घूमते समय खरीदारी करते हैं, मंदिरों में दर्शन करते हैं और जाते समय राम मंदिर का मॉडल हो या फिर प्रसाद के रूप में मिठाई या फिर श्री राम पताका समेत कुछ ना कुछ खरीदकर अपने साथ ले जाते हैं. इससे अयोध्या में न सिर्फ रोजगार के अवसर बढ़े हैं, बल्कि अयोध्या की प्रति व्यक्ति आय में भी जबरदस्त उछाल आया है.
उत्तर प्रदेश उत्तराखंड इकोनामिक एसोसिएशन जनरल सेक्रेटरी विनोद कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक प्राण प्रतिष्ठा के बाद पूरा सिनेरियो चेंज हुआ है. इकोनॉमिक्स की दृष्टि से अगर समझें तो डेढ़ से दो लाख लोग प्रतिदिन अयोध्या में आते हैं और रुकते हैं. अधिकतर होटल फुल मिलेंगे. जब लोग होटल में रुकते हैं तो यहां की इकोनॉमी पर उसका असर पड़ रहा है. उसका अच्छा ग्रोथ हो रहा है. यहां के जो छोटे-छोटे उद्यमकर्ता चाहे श्री राम का टीका लगाने वाले हों, उनकी हजार से डेढ़ हजार रुपये प्रतिदिन आय हो रही है. महीने की आय अगर जोड़ेंगे तो 30 से 45000 रुपये उनकी आमदनी हो रही है.
उन्होंने बताया कि जो मूर्तियां बेचने वाले लोग हैं, अन्य सामान बेचने वाले हैं, हाथकरधा व्यवसाय है, यहां तक की मूर्तियां बनाने के बाद जो चूरा निकलता है, उससे भी लोग खिलौने बना रहे हैं. सब कुछ श्री राम पर आधारित ही काम है. जहां तक जीडीपी की बात करें तो इस तरह के काम को असंगठित क्षेत्र के तहत आता है लेकिन आने वाले दिनों में गुणत्व का प्रभाव होगा और और एकाएक पूरी इकोनामी फैलेगी और यह पूरी इकोनामी श्रीराम पर आधारित है. अभी तक जो अयोध्या क्षेत्र रहा है, यह आर्थिक दृष्टि से कह तो बैकवर्ड क्षेत्र रहा है, लेकिन आने वाले 1 साल में अगर आप देखेंगे तो यह टॉप क्लास सिटी होगी.
रोजगार और प्रति व्यक्ति आय को उदाहरण के तौर पर समझें तो अयोध्या में 500 के आसपास लोग श्रद्धालुओं के मस्तक पर श्री राम लिखने के काम से जुड़े हैं. एक व्यक्ति के मस्तक पर श्री राम लिखने के लिए इन्हें न्यूनतम ₹10 मिलते हैं. कुछ लोग तो इससे अधिक भी श्रद्धा स्वरूप दे देते हैं. ऐसे में जब 2 लाख से अधिक श्रद्धालु अयोध्या में प्रतिदिन बाहर से आकर रहते हैं तो श्री राम लिखने वाले यह युवक कहते हैं कि कभी 500 मिल जाता है तो कभी 1000 भी मिलता है.