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अयोध्या: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर इन हवन कुंडों में होगा यज्ञ, जानिए खासियत, PHOTOS

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 2 मंडपों में कुल 9 हवन कुंड शास्त्रीय विधि से बनकर तैयार हो चुके हैं. इसकी पहली तस्वीर भी सामने आ गई है. इसमें हवन यज्ञ का कार्य 19 तारीख से शुरू होकर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पूर्णाहुति तक चलेगा.

अयोध्या में बने हवन कुंड अयोध्या में बने हवन कुंड
रोशन जायसवाल
  • वाराणसी ,
  • 12 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:30 PM IST

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 2 मंडपों में कुल 9 हवन कुंड शास्त्रीय विधि से बनकर तैयार हो चुके हैं. इसकी पहली तस्वीर भी सामने आ गई है. इसमें हवन यज्ञ का कार्य 19 तारीख से शुरू होकर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पूर्णाहुति तक चलेगा. इन कुंडों को बनाने की जिम्मेदारी भी काशी के विद्वानों को मिली थी. अयोध्या में हवन कुंडों का निर्माण करके विद्वान और विशेषज्ञ वापस काशी आ चुके हैं.

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मालूम हो कि इसके पहले रामलला के मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा में कर्मकांड और मुहूर्त की जिम्मेदारी काशी के विद्वानों को मिल चुकी है और पूजन प्राण प्रतिष्ठा से जुड़ी सामग्री भी काशी से जा रही है. 

हवन कुंड के बारे में जानकारी देते हुए रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में कर्मकांड का आचार्यत्व करने वाले पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के बेटे और प्राण प्रतिष्ठा में मुख्य भूमिका के साथ ही साथ हवन कुंड निर्माण करके लौटे पंडित सुनील दीक्षित ने बताया कि सभी दो मंडपों में 9 हवन कुंडों का निर्माण हो चुका है. 

हवन कुंडों की खासियत जानिए 

उन्होंने बताया कि जिसमें 8 कुंड 8 दिशाओं में होगा, जबकि एक कुंड मुख्य आचार्य के लिए बनाया गया है.  कुंड की ज्यामिति एक विज्ञान है जो फल देने वाली होती है. इसलिए इसके निर्माण में लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई और गहराई का विशेष ध्यान दिया जाता है. 

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हवन कुंड का मंडप

पंडित दीक्षित ने बताया कि शास्त्रीय पद्धति से आठों दिशाओं में आठ कुंड बनाए गए हैं जिसमें पूर्व में सर्वसिद्धि दायक चौकोर कुंड, आग्नेय में पुत्र प्राप्ति और कल्याण के लिए योनि कुंड, दक्षिण में कल्याणकारी अर्धचंद्राकार, नैऋत्य में शत्रुनाश के लिए त्रिकोण, पश्चिम में शांति-सुख के लिए वृत्ताकार, वायव्य में मारण और उच्छेद के लिए षडस्त्र कुंड, उत्तर में वर्षा के लिए पद्मकुंड, ईशान में आरोग्य के लिए अष्टासत्र कुंड और ईशान और पूर्व के बीच के सभी सुखों की प्राप्ति के लिए आचार्य कुंड का निर्माण हुआ है. 

ये भी पढ़ें- रामलला प्राण प्रतिष्ठा के लिए हवन कुंड बनाने वाले एक्सपर्ट अयोध्या रवाना, काशी के विद्वानों को मिली है जिम्मेदारी

उन्होंने बताया कि प्रत्येक कुंड में तीन सीढियां ऊपर की सफेद सीढ़ी विष्णु के लिए, बीच की लाल सीढ़ी ब्रह्मा और अंतिम काली सीढ़ी भगवान रुद्र के आह्वाहन के लिए बनाई गई हैं. कुंड की लंबाई और चौड़ाई साढे 25 इंच की है और उसकी गहराई भी साढ़े 25 इंच की है.  तीन सीढिया चार-चार इंच की है. कुंड के पूरे पांच अंग शास्त्रसंवत तरीके से बनाए गए हैं. 

अलग-अलग तरह के कुंड

पंडित सुनील दीक्षित ने आगे बताया कि मंडप 5 भाग में बनाया गया है, जो 45 बाई 45 फीट का है. इसमें एक-एक भाग 9-9 फीट का है.  बीच के 9 कोष्ठक में 9 कुंड आए हैं, जबकि मध्य में भगवान राम जी की प्रधान बेदी है. चारों कोनों में चारों मंडल हैं. 

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19 जनवरी से 22 जनवरी तक लगातार यज्ञ

 उन्होंने यह भी बताया कि यज्ञ 19 जनवरी को सुबह 9 बजे अरणीमंथन के जरिए अग्नि के प्रकट के साथ शुरू हो जाएगा. अग्नि सभी 9 कुंड में स्थापित की जाएगी और मध्यान्ह से हवन यज्ञ का काम शुरू हो जाएगा. यह हवन 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के हो जाने के बाद पूर्णाहुति के साथ ही खत्म होगा. उन्होंने बताया कि मंडप का कार्य भी पूरा हो चुका है सिर्फ फिनिशिंग हो रही है. 

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