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आजम खान, पत्नी तंजीम और बेटे अब्दुल्ला आजम को बड़ी राहत, फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में हाईकोर्ट ने दी जमानत

समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत मिली है. हाईकोर्ट ने फर्जी प्रमाण पत्र के मामले में आजम खान, उनकी पत्नी तंजीम फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को जमानत दे दी है. तीनों को निचली अदालत ने 7-7 साल की सजा सुनाई थी.

आजम खान, अब्दुल्ला आजम और तंजीम फातिमा को हाईकोर्ट से मिली जमानत आजम खान, अब्दुल्ला आजम और तंजीम फातिमा को हाईकोर्ट से मिली जमानत
संतोष शर्मा
  • लखनऊ,
  • 24 मई 2024,
  • अपडेटेड 2:29 PM IST

समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और यूपी के पूर्व मंत्री आजम खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने अब्दुल्ला आजम के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में आजम खान और उनकी पत्नी तंजीम फातिमा और बेटे अब्दुला आजम को बड़ी राहत देते हुए जमानत दे दी है. इसके साथ ही आजम खान की सजा पर रोक भी लगाई है. वहीं तंजीम फातिमा और अब्दुल्ला आजम की सजा बरकरार रहेगी.  रामपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने तीनों को 7 साल की सजा सुनाई थी.

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अभी 2 केस बाकी हैं जिसमें आजम खान और अब्दुल्ला आजम को जमानत लेनी है इसलिए दोनों अभी रिहा नहीं हो सकेंगे. वहीं तंजीम फातिमा जेल से बाहर आ सकेंगी. तंजीम फातिमा सिर्फ इस एक मामले में अभियुक्त बनाई गई थी.  जबकि आजम खान पर साल 2019 में दर्ज हुए डूंगरपुर में घर तोड़ने और लूट के मामले में रामपुर सेशन कोर्ट ने 7 साल की सजा सुनाई थी जिसमें अभी हाईकोर्ट से राहत मिलना बाकी है.

फेक बर्थ सर्टिफिकेट केस में मिली थी 7-7 साल की सजा

वही अब्दुल्ला आजम और आजम खान एक दूसरा मामला, रामपुर नगर पालिका की सफाई मशीन जौहर यूनिवर्सिटी में रखने के मामले में दर्ज हुई एफआईआर में रेगुलर बेल रामपुर कोर्ट से खारिज हो चुकी है. इस मामले में भी आजम खान और अब्दुल्ला आजम को हाइकोर्ट से बेल लेनी होगी.

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बताते चलें कि पिछले साल फेक बर्थ सर्टिफिकेट केस में सपा नेता आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को दोषी करार देते हुए 7-7 साल की सजा सुनाई गई थी. फेक बर्थ सर्टिफिकेट का यह केस साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से जुड़ा है. तब अब्दुल्ला आजम ने रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में उनकी जीत भी हुई थी.

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इसी वजह से गई थी अब्दुल्ला आजम की विधायकी

चुनावी नतीजों के बाद उनके खिलाफ हाई कोर्ट में केस दाखिल कर दिया गया था. उन पर आरोप लगाया गया था कि अब्दुल्ला आजम ने चुनावी फॉर्म में जो उम्र बताई है, असल में उनकी उम्र उतनी नहीं है. आरोप था कि अब्दुल्ला विधायक का चुनाव लड़ने की उम्र का पैमाना पूरा नहीं करते हैं. शैक्षणिक प्रमाण पत्र में अब्दुल्ला का डेट ऑफ बर्थ 1 जनवरी 1993 है, जबकि जन्म प्रमाण पत्र में 30 सितंबर 1990 है.

यह मामला हाई कोर्ट पहुंचने के बाद इस पर सुनवाई शुरू हुई थी. अब्दुल्ला आजम की तरफ से पेश किए गए जन्म प्रमाण पत्र को फर्जी पाया गया था. इसके बाद स्वार सीट से उनका चुनाव रद्द कर दिया गया था. अब्दुल्ला पर पहले जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर पासपोर्ट हासिल करने और विदेशी दौरे करने के साथ ही सरकारी उद्देश्य के लिए दूसरे प्रमाण पत्र का इस्तेमाल करने का भी आरोप है.

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लगे थे ये आरोप

इसके अलावा उन पर जौहर विश्वविद्यालय के लिए भी इसका उपयोग करने का आरोप है. दरअसल, अब्दुल्ला आजम के पास दो अलग-अलग जन्म प्रमाण पत्र हैं. एक 28 जून 2012 को रामपुर नगर पालिका ने जारी किया गया था, जिसमें रामपुर को अब्दुल्ला के जन्मस्थान के रूप में दिखाया गया है. वहीं दूसरा जन्म प्रमाण पत्र जनवरी 2015 में जारी किया गया था, जिसमें लखनऊ को उनका जन्मस्थान दिखाया गया है.
 

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