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अयोध्या: 100 साल पुरानी मस्जिद के सौदे पर उठे सवाल, अंजुमन मुहाफिज मसाजिद कमेटी ने की एग्रीमेंट रद्द करने की मांग

जब मस्जिद के एग्रीमेंट की बात लोगों को पता चली और उसके बाद अंजुमन मुहाफिज मसाजिद कमेटी के महासचिव आजम कादरी ने रामजन्मभूमि थाने में शिकायत की और अयोध्या के जिलाधिकारी नितीश कुमार से वक्फ संपत्ति होने के कारण इस एग्रीमेंट को खारिज करने की मांग कर दी है.

अयोध्या में मस्जिद के सौदे को लेकर विवाद (Photo Aajtak). अयोध्या में मस्जिद के सौदे को लेकर विवाद (Photo Aajtak).
बनबीर सिंह
  • अयोध्या,
  • 24 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 8:48 PM IST

अयोध्या के पांजी टोला में स्थित एक छोटी से मस्जिद का एग्रीमेंट श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के लिए मुश्किल का सबब बन सकता है. 100 वर्षों से भी अधिक पुरानी बताई जा रही इस बद्र मस्जिद का क्षेत्रफल 1485 वर्ग फिट है. रामपथ के किनारे स्थित होने के कारण इसका कुछ हिस्सा सड़क अधिग्रहण में भी टूट चुका है और उसके मुआवजे का भी भुगतान हो चुका है.

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सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में पंजीकृत इसी मस्जिद को खरीदने के लिए एक एग्रीमेंट श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से महासचिव चंपत राय ने किया है. पांजी टोला के ही रहने वाले एक व्यवसाई रईस अहमद ने बहैसियत मुतवल्ली यह सौदा राम मंदिर ट्रस्ट के साथ सितंबर 2023 में 30 लख रुपए में किया, जिसमें से ट्रस्ट की तरफ से उसे 15 लाख रुपए का भुगतान अन्यंत्र स्थान पर मस्जिद निर्माण के लिए दिया गया.

इस मामले में मोड़ तब आया जब मस्जिद के एग्रीमेंट की बात लोगों को पता चली और उसके बाद अंजुमन मुहाफिज मसाजिद कमेटी के महासचिव आजम कादरी ने रामजन्मभूमि थाने में शिकायत की और अयोध्या के जिलाधिकारी नितीश कुमार से वक्फ संपत्ति होने के कारण इस एग्रीमेंट को खारिज करने की मांग कर दी है.

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ऐसे में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से पहले अब ट्रस्ट के सामने एक नई मुश्किल खड़ी हो गई है. क्योंकि जिस रईस अहमद को उन्होंने 15 लाख एडवांस देने के साथ उसके साथ किए एग्रीमेंट के स्टांप शुल्क के नाम पर 1 लाख 5 हजार चुकाए हैंं. उसके मस्जिद के मुतवल्ली होने पर भी बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. जानिए क्या है पूरा मामला.

100 साल से ज्यादा पुरानी है बद्र मस्जिद (Photo Aajtak).


श्री राम मंदिर ट्रस्ट और बद्र मस्जिद के कथित मुतवल्ली के बीच यह हुआ था समझौता

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से महासचिव चंपत राय और बद्र मस्जिद की तरफ से बहैसियत मुतवल्ली रईस अहमद के बीच एक समझौता हुआ. मस्जिद की बिक्री के लिए सितंबर 2023 में हुए इस लिखित समझौते में रईस अहमद की तरफ से कहा गया है कि मस्जिद बद्र पुरानी है और जीर्णोधार के लिए धन अभाव में जीर्ण - शीर्ण स्थिति में पहुंच गई है.

श्री राम जन्मभूमि मंदिर का कार्य शुरू होने के कारण यात्रियों की संख्या बहुत बढ़ गई है, जिसके कारण आवागमन बाधित रहता है । मस्जिद के नमाजियों को भी इसके कारण असुविधा का सामना करना पड़ता है. क्योंकि मस्जिद रेलवे स्टेशन और क्षीरेश्वर  नाथ मंदिर के समीप है. इसलिए सुरक्षा के नाम पर आए दिन पाबंदियां लगा दी जाती हैं. 

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 इसलिए सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिकारियों और मस्जिद में नियमित आने वाले नमाजियों और आम मुसलमान से गहन विचार विमर्श के बाद यह तय हुआ कि तमाम परेशानियों से बचने के लिए अन्य स्थान पर जमीन खरीद कर पांजी टोला की बद्र मस्जिद को स्थानांतरित कर दिया जाए, जिससे भविष्य में किसी प्रकार के विवाद की आशंका भी ना रह जाए. 

30 लाख रुपए में बद्र मस्जिद को स्थानांतरित करने का समझौता किया जा रहा है. इस समझौते में इस बात का भी उल्लेख है कि सीधे बिक्री के बजाय एग्रीमेंट करने की मजबूरी क्या है ! इस अभिलेख में साफ तौर पर लिखा गया है कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के रजिस्टर में यह मस्जिद वक्फ  प्रॉपर्टी के रूप में अंकित है और मस्जिद को स्थानांतरित करने में भी लगभग 6 माह का समय लगने वाला है.15 लाख रुपए मस्जिद को स्थानांतरित करने के लिए अग्रिम प्राप्त किया है.

समझौते की तारीख से अगले 6 माह के भीतर सभी औपचारिकताओं की पूर्ति करने के बाद मस्जिद की भूमि श्री राम मंदिर ट्रस्ट को बिक्री कर दी जाएगी.  इसी के साथ समझौते में यह भी लिखा हुआ है कि राम मंदिर ट्रस्ट मस्जिद बनते समय प्रशासन और समाज का सहयोग दिलाएगा. 6 माह के बाद अगर मस्जिद की जमीन खाली नहीं की जाती तो राम मंदिर ट्रस्ट को यह हक होगा कि वह कानूनी कार्रवाई करके मस्जिद की जमीन को अपने नाम करा ले.

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30 लाख रुपए में हुआ है मस्जिद का सौदा (Photo Aajtak).

समझौते के बीच इस तरह फंस गया पेंच

मस्जिद की बिक्री का समझौता होने की खबर फैली तो रजिस्ट्री ऑफिस के दस्तावेज सामने आने में देर नहीं लगी. इसके बाद अंजुमन मुहाफिज कमेटी के महासचिव आजम कादरी ने एक तहरीर राम जन्मभूमि थाने में दी. इस तहरीर में क्रय-विक्रय करने वाले लोगों के साथ गवाह की हैसियत से हस्ताक्षर करने वाले लोगों के भी नाम हैं. 

इसमें बिक्री के लिए हुए इस पूरे समझौते को अवैध बताया गया है और मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग की गई है. इसी के साथ मोहम्मद आजम कादरी और मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने जिलाधिकारी अयोध्या नीतीश कुमार को भी एक शिकायती पत्र दियास जिसमें उन्होंने इस पूरे एग्रीमेंट को खारिज किए जाने की मांग की है. इस पत्र में उन्होंने दलील दी है कि मस्जिद वक्फ की संपत्ति है इसलिए उसे खरीदा या बेचा नहीं जा सकता है. लिहाजा राम मंदिर ट्रस्ट और रईस अहमद के बीच हुआ समझौता अवैध है.

शिकायती आवेदन देते हुए लोग.

मस्जिद को बेचने का समझौता करने वाले रईस अहमद की यह है दलील

रईस अहमद से आजतक ने इस बारे में कुछ दिन पहले ही संपर्क किया था . उनकी दलील है कि यह समझौता बद्र मस्जिद में नियमित तौर पर आने वाले नमाजियों की सहमति के बाद ही लिया गया है. यही नहीं मस्जिद के आसपास रहने वाले आम मुस्लिमों से भी इस बारे में समझौते के पहले बात की गई थी.

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उन्होंने आगे कहा था कि मस्जिद का काफी हिस्सा सड़क चौड़ीकरण के समय ही टूट गया था. इस बारे में हमारी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र से बात हुई उन्होंने कहा कि मस्जिद को कहीं और स्थानांतरित की जाए. मस्जिद की स्थिति और नमाजियों को आ रही परेशानी के कारण हमने यह समझौता किया है. अब हम दूसरी जगह मस्जिद का निर्माण कर रहे हैं . यह सारी बातें रईस अहमद ने राम मंदिर ट्रस्ट के साथ हुए अपने एग्रीमेंट पेपर में भी कही हैं.

 इस मामले पर इसलिए राम मंदिर ट्रस्ट ने साधी चुप्पी

समझौते के दस्तावेज में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने यह माना है कि बद्र मस्जिद सुन्नी सेंट्रल वक्फबोर्ड की क्रमसंख्या1213/AWC1282 पर पंजीकृत प्रापर्टी है . अब इसी को आधार बनाकर इस समझौते को अवैध बताने वाले आजम कादरी कहते हैं कि कानून के मुताबिक वक्फ की प्रापर्टी न बेची जा सकती है न खरीदी जा सकती है. ऐसे में राम मंदिर ट्रस्ट में रईस के साथ मस्जिद को खरीदने और बेचने का समझौता कैसे कर लिया है?

उनका यह भी कहना है कि जिस रईस अहमद से ट्रस्ट ने समझौता किया है वह बद्र मस्जिद का मुतवल्ली कैसे हो गया ? यदि वहां की जमीन की जरूरत सरकार को है तो वह वाजिब कारण बताकर जमीन का अधिग्रहण करे. राम मंदिर ट्रस्ट अधिग्रहण की बात कैसे कर सकता है और अधिग्रहण में उसकी भूमिका क्या है. 

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सवालों से बच रहा राम मंदिर ट्रस्ट

यह ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब से राम मंदिर ट्रस्ट लगातार बच रहा है. इसलिए इस मामले पर कोई भी बात करने को तैयार नहीं है. हालांकि इस विवाद को लेकर जिस तरह मुस्लिम समुदाय में बैठकें होनी शुरू हो गई हैं.

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