
लाक्षागृह और मजार विवाद में यूपी की बागपत कोर्ट का फैसला आ चुका है. इस फैसले के बाद हिंदू पक्ष को बरनावा स्थित 100 बीघा से ज्यादा जमीन का मालिकाना हक मिल गया है. इस जमीन को मुस्लिम पक्ष द्वारा कब्रिस्तान और मजार बताया जा रहा था. लेकिन कोर्ट ने साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर पाया कि यह महाभारतकालीन लाक्षागृह है, जो कभी हिंदुओं के लिए तीर्थस्थल जैसा था.
बागपत कोर्ट फैसला आने के बाद इलाके में भारी सुरक्षा बल की तैनाती कर दी गई है. कई थानों की फोर्स को लाक्षागृह की सुरक्षा में लगाया गया है. इलाका छावनी में तब्दील कर दिया गया है.
चूंकि, मामला संवेदनशील है इसलिए अधिकारियों के निर्देश पर पुलिस ने यहां मुस्तैदी बढ़ा दी है. काफी संख्या में पुलिसकर्मी लाक्षामंडप में तैनात किए गए हैं. पीएसी भी तैनात की गई है. लाक्षागृह परिसर में टेंट लगाकर सुरक्षाकर्मियों द्वारा गश्त की जा रही है. सीनियर अधिकारी पल-पल की जानकारी ले रहे हैं.
53 साल से चल रहा था केस
बता दें कि बीते दिन (5 फरवरी) कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए लाक्षागृह की 100 बीघा जमीन पर हिंदू पक्ष के अधिकार की बात कही थी. बरनावा में लाक्षागृह की जमीन को लेकर विवाद पिछले 53 साल से चल रहा था. 1970 से इस मामले में अदालत में सुनवाई चल रही थी. लेकिन पिछले साल सुनवाई में तेजी आई.
जहां, मुस्लिम पक्ष इस जमीन को सूफी संत शेख बदरुद्दीन की मजार बता रहा था. वहीं, हिंदू पक्ष का दावा था कि यह महाभारत कालीन लाक्षागृह है. इसी जगह पर पांडवों को कौरवों द्वारा जलाकर मारने की कोशिश की गई थी. एएसआई की खुदाई में भी यहां से हजारों साल पुराने जो साक्ष्य मिले, वह बता रहे थे कि यह जगह हिंदू सभ्यता के ज्यादा करीब थी. टीले के नीचे एक सुरंग भी मौजूद है.
हिंदू पक्ष के वकील का दावा
इस केस में हिंदू पक्ष के वकील रणवीर सिंह तोमर ने बताया कि अपने फैसले में कोर्ट ने कहा- यह कब्रिस्तान नहीं, बल्कि लाक्षागृह है और महाभारत काल का ही है. मौके पर जो प्राचीन चिन्ह मिले हैं, उससे साफ होता है कि ये कब्रिस्तान नहीं है.
बकौल वकील- जब मुगल शासक यहां आए और राज किया तो उन्होंने तोड़फोड़ करके जो चाहा वो कर लिया. गवाही और साक्ष्यों के बाद कोर्ट ने यह पाया है कि यह वास्तव में कब्रिस्तान नहीं है. यह 108 बीघा जमीन है. एक ऊंचा टीला है. यहां पर पांडव आए थे. उनको जलाकर मारने के लिए एक लाखामंडप बनाया गया था. रेवेन्यू कोर्ट में भी है लाखामंडप दर्ज है. ये जगह प्राचीन समय से ही हिंदुओं के लिए तीर्थस्थल रही है.
हालांकि, मुस्लिम पक्ष ने इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करने की बात कही है. जिसके लिए वह जल्द ही अधिवक्ता के माध्यम से प्रक्रिया शुरू करेंगे.