
उत्तर प्रदेश के बहराइच के कई गांवों में करीब डेढ़ महीने से आदमखोर भेड़ियों ने आतंक मचा रखा है. यहां भेड़ियों के झुंड ने आठ बच्चों और महिलाओं को मौत के घाट उतार दिया, जबकि 30 से ज्यादा लोगों को घायल कर चुके हैं. बीती रात एक बार फिर राजापुर कला गांव में भेड़िया देखा गया. गांववालों ने वीडियो भी बनाए, लेकिन जबतक वन विभाग की टीम भेड़िए को पकड़ पाती, तबतक वो गन्ने के खेत में भाग गया.
बहराइच के मेहसी के विधायक सुरेश्वर सिंह अपनी लाइसेंसधारी राइफल और अपने समर्थकों के साथ भेड़िए की खोज में निकले. उनके समर्थकों के पास भी मॉडर्न हथियार थे. वह अपने इलाके के गांव में लोगों में विश्वास जगाने के लिए और भेड़िए से रक्षा के लिए खुद को तैयार करने के लिए हथियार प्रदर्शन के साथ देर रात निकले थे.
आज तक ने उनसे खास बातचीत की तो उनका कहना है कि बंदूक का यह प्रदर्शन लोगों में विश्वास जगाने के लिए है ना कि कानून हाथ में लेकर खुद से वन्य जीवों की हत्या के लिए. विधायक ने कहा कि वो चार लाख लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं और अगर लोगों के ऊपर खतरा है तो वह बंदूक के साथ खुद निकलकर लोगों को भरोसा दे रहे हैं कि वह सुरक्षित हैं. लोगों को उकसाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह लोगों को वन्य जीवों की हत्या के लिए नहीं उकसा रहे बल्कि इंतजार कर रहे हैं कि वन विभाग इन भेडियों को पकड़ ले अन्यथा सर से पानी ऊपर जाएगा तो लोग कुछ भी खुद से कर सकते हैं.
बता दें कि कुछ दिन पहले जब विधायक खुद भेड़िये के आतंक के बाद अपने समर्थकों के साथ रात को गांव के सड़कों पर हथियारों के साथ निकले थे तो यह वीडियो बहुत वायरल हुआ था. विधायक तो विधायक अब गांव में लोग जाग रहे हैं लाठी और टॉर्च के अलावा वन विभाग पटाखे का इस्तेमाल इन वीडियो को भगाने के लिए कर रहे हैं ताकि यह भेड़िए रात को गांव में ना घुस सकें.
पकड़े गए तीन आदमखोर भेड़िये
जिला वन विभाग के मुताबिक, अब तक तीन आदमखोर भेड़ियों को पकड़ा जा चुका है और ऐसा अनुमान है कि तीन और भेड़िये सक्रिय हैं. इन्हें पकड़ने के लिए ड्रोन और ट्रेंकुलाइजर का सहारा लिया जा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि जब भेड़िये अपने स्वाभाविक शिकार नहीं कर पाते, तब वे कमजोर शिकार जैसे महिलाएं और बच्चे को अपना शिकार बनाते हैं. ई-रिक्शा के जरिए लोगों से अपील की जा रही है कि वो अंधेरे के बाद घरों में ही रहें.
बहराइच की वन अधिकारी ने क्या बताया?
बहराइच की चीफ फॉरेस्ट कंजर्वेटर रेनू सिंह ने कहा कि हम पहले यह कहानी सुनते थे "भेड़िया आया भेड़िया आया", इसलिए भेडियों के साथ इंसान के कॉन्फ्लिक्ट कोई नई बात नहीं है. ये जरूर है कि इस बार ये ज्यादा खतरनाक लेवल पर पंहुच गया है. हमारी जांच के मुताबिक पांच बच्चों को आदमखोर वीडियो ने मारा है दो मामले संदिग्ध हैं. ऐसा लगता है भेडियों की यह पूरी फैमिली आदमखोर हो गई है तीन पकड़े गए हैं और पूरी तैयारी है जल्द पूरे पकड़े जाएंगे. सभी लोगों को सेंसटाइज किया जा रहा है कि बच्चों को लेकर न निकलें, घर के भीतर दरवाजा बंद कर सोएं. हम लगातार ये अनाउंसमेंट कराकर लोगों को अवेयर कर रहे हैं.
बहराइच में इन आदमखोर भेड़ियों को पकड़ने के लिए 5 वन प्रभागों बहराइच, कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ, श्रावस्ती, गोंडा और बाराबंकी की लगभग 25 टीमें लगी हुई हैं. अब इन आदमखोरों ने अपना दायरा जिले के अन्य क्षेत्रों तक बढ़ा लिया है. जहां बहराइच के डीएफओ इन भेड़ियों की संख्या कुल छह बता रहे हैं तो प्रभावित इलाकों के ग्रामीण इनकी संख्या दो दर्जन बता रहे हैं.
बहराइच में आदमखोर भेड़ियों का आतंक, राजपुर कलां गांव में स्पॉट हुआ भेड़िया- VIDEO
बहराइच के औराही गांव में जोकि घाघरा के कछार पर बसा है, वहां वन विभाग के लोगों ने पटाखों का प्रयोग करना शुरू किया ताकि अगर गांव के किनारे खेतों में और घाघरा नदी के कछार में कहीं भेड़िए छिपकर बैठे हों तो उन्हें गांव से दूर भगाया जा सके. जिले के उत्तरी हिस्से में, खास तौर पर तराई क्षेत्रों जैसे चकिया, सुजौली, निशानगारा, मिहींपुरवा, बिछिया और बघौली के जंगलों में ये आदमखोर भेड़िये काफी सक्रिय हैं. यहां तक कि कतर्नियाघाट क्षेत्र में भी यही हालात बने हुए हैं.
कबसे शुरू हुआ भेड़ियों का आतंक?
औराही गांव में दो बच्चों पर अटैक से भेडियों ने शुरुआत की थी. सात साल का फिरोज करीब डेढ़ महीने पहले भेड़ियों के झुंड के हमले की चपेट में आया था. वो अपनी मां के साथ सोया था तभी रात करीब 12 बजे एक भेड़िया घर के बरामदे में घुसा और उसकी गर्दन दबोचकर भाग गया. इस दौरान उसकी मां दोनों पैर पकड़कर बच्चों को बचाने की कोशिश करती रही. भेड़िया बच्चे को करीब 200 मीटर दूर तक खेत में घसीटकर ले गया. जब उसकी मां ने शोर मचाया तो गांव के लोग जुटे और फिर वो भेड़िया बच्चे को गांव के पास खेत में छोड़कर भाग गया. लहू लुहान फिरोज को फिर परिवार और गांव के लोग अस्पताल ले गए, जहां 13 दिनों तक इलाज के बाद उसकी जान बची. उसके चेहरे, गर्दन, सिर, कान, पीठ और छाती पर भेड़िए के काटे हुए निशान आज भी मौजूद हैं और वह बच्चा भेड़िए के नाम से ही सिहर जाता है.
मां के साथ सोते हुए बच्चे को घसीट ले गया था भेड़िया
इसी औराही गांव में जो सबसे पहला मामला आया था, वह राहुल नाम के लड़के का था. जब वो 7 साल का था, इसी साल मार्च में भेड़िया उसे कमरे में मां की गोद से छीनकर ले गया. हालांकि तभी उसके चाचा ने बच्चों के रोने की आवाज सुनी और जब ढूंढा तो पता चला कि वो भेड़िया खेत की तरफ लेकर भागा. भेड़िया घर के पीछे लगे एक जाल में फंस गया था और बच्चे को छोड़कर भाग गया. बच्चा बुरी तरह घायल हो गया था. यह पूरी कहानी भी परिवार जब सुनता है तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं.