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त्योहार रजिस्टर में 13 साल से कोई एंट्री नहीं, बहराइच हिंसा में सामने आई पुलिस की बड़ी लापरवाही

त्योहार रजिस्टर को चेक किए बगैर पता ही नहीं चल सकता कि कहां-कहां कौन-कौन सी मूर्तियों की स्थापना होती है. कहां-कहां समस्याएं आती हैं और कहां क्या उपाय करने की जरूरत पड़ती है, त्योहारों से पहले किन शरारती और उपद्रवी तत्वों के खिलाफ करवाई की जानी है. इस संबंध में उत्तर प्रदेश के सभी थानों में सतर्कता बरतने की आवश्यक है.

बहराइच जिले के हरदी थानाक्षेत्र स्थित महराजगंज गांव में सांप्रदायिक हिंसा के बाद तैनात पुलिस बल. (PTI Photo) बहराइच जिले के हरदी थानाक्षेत्र स्थित महराजगंज गांव में सांप्रदायिक हिंसा के बाद तैनात पुलिस बल. (PTI Photo)
संतोष शर्मा
  • लखनऊ,
  • 25 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 5:58 PM IST

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में दो समुदायों के बीच भड़की हिंसा के पीछे की वजह तलाशी गई तो पुलिस की बड़ी चूक सामने आई है. जिस हरदी थानाक्षेत्र के महाराजगंज इलाके में हिंसा हुई, जांच में पता चला कि उस पुलिस स्टेशन के त्यौहार रजिस्टर में बीते 13 साल से कोई जानकारी ही दर्ज नहीं है. साल 2011 में गणेश चतुर्थी के दौरान हरदी थाने में तैनात तत्कालीन थानाध्यक्ष ने त्योहार रजिस्टर में आखिरी एंट्री की थी. 

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साल 2011 से लेकर 2024 तक किसी थानेदार ने त्योहार रजिस्टर में इलाके से संबंधित सूचनाओं, निकलने वाली जुलूसों, धार्मिक आयोजनों का कोई जिक्र नहीं किया था. त्यौहार रजिस्टर में इलाके के उपद्रवी तत्वों और गड़बड़ी फैलाने वालों का भी जिक्र नहीं था. बता दें कि हर त्यौहार के बाद रजिस्टर में लिखा जाता है कि किसने गड़बड़ी फैलाने की कोशिश की, कितनी फोर्स लगाई गई, क्या-क्या कमी रह गई, जिसको दूर किया जाना चाहिए. 

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हरदी थाने के त्योहार रजिस्टर की 13 वर्षों से जांच नहीं?

ये हाल तब है जब सीओ, एडिशनल एसपी से लेकर जिले के पुलिस कप्तान (एसपी) तक, थाने के मुआयने में त्योहार रजिस्टर चेक करते हैं. अब सवाल उठ रहा है कि ह​रदी थाने में 13 साल से त्योहार रजिस्टर में कोई एंट्री नहीं थी, तो क्या किसी सीनियर अफसर ने 13 वर्षों तक थाने का निरीक्षण ही नहीं किया? बीते 9 महीने से बहराइच की एसपी रहीं वृंदा शुक्ला ने भी हरदी थाने का त्योहार रजिस्टर चेक करने की जहमत नहीं उठाई. 

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महसी के सीओ रहे रूपेंद्र गौड़ ने 12 सितंबर, 2024 को ही पुलिस अधीक्षक वृंदा शुक्ला को इस संबंध में रिपोर्ट भेज दी थी. हिंसा के बाद बहराइच पुलिस लाइन में दंगा रोधी उपकरण भी चालू हालत में नहीं मिले थे. इससे पता चलता है कि इन दंगा रोधी उपकरणों की समय रहते न तो कभी चेकिंग हुई और न ही दंगा नियंत्रण के लिए कोई मॉक ड्रिल. बहराइच पुलिस की इस बड़ी चूक की रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दी गई है. एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के साथ एडीजी इंटेलिजेंस ने भी अपनी रिपोर्ट में इस गंभीर लापरवाही का जिक्र किया है. बहराइच के एडिशनल एसपी और म​हसी सीओ के बाद अब सरकार जिले के बड़े अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई की तैयारी में है.

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पूर्व डीजीपी ने बताया क्यों महत्वपूर्ण है त्योहार रजिस्टर

पुलिस स्टेशनों में त्योहार रजिस्टर को समय-समय पर अपडेट करने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए पूर्व डीजीपी एके जैन ने आजतक से बातचीत में कहा, 'त्योहार रजिस्टर से ही आगे की प्लानिंग और कितनी संख्या में जवानों की तैनाती की जानी हैं, ये सब योजनाएं बनती हैं. हर त्योहार से पहले हर थाने में यह रजिस्टर चेक किया जाता है कि पिछले वर्ष इस समय कोई समस्या तो नहीं आई थी. कौन से संवेदनशील क्षेत्र थे, कितनी फोर्स तैनात की गई थी और क्या-क्या कदम उठाए गए थे. त्योहार रजिस्टर में दर्ज पिछले साल के तथ्यों के हिसाब से थानाध्यक्ष निर्णय लेते हैं कि आने वाले वर्षों में किस इलाके में क्या उपाय किए जाएं.'

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त्योहार रजिस्टर से पुलिस को प्लानिंग में मिलती है मदद

पूर्व डीजीपी एके जैन ने कहा, 'बताया जा रहा है बहराइच के हरदी थाने के त्योहार रजिस्टर में लापरवाही सामने आई है, जो कि पुलिस को बहुत भारी पड़ सकती है. मैं जब डीजीपी था तो एक विस्तृत निर्देश जारी किए थे कि किस दिन कौन सा रजिस्टर चेक करें. त्योहार रजिस्टर को चेक किए बगैर पता ही नहीं चल सकता कि कहां-कहां कौन-कौन सी मूर्तियों की स्थापना होती है. कहां-कहां समस्याएं आती हैं और कहां क्या उपाय करने की जरूरत पड़ती है, त्योहारों से पहले किन शरारती और उपद्रवी तत्वों के खिलाफ करवाई की जानी है. इस संबंध में उत्तर प्रदेश के सभी थानों में सतर्कता बरतने की आवश्यक है.'

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