
यूपी की सबसे हाईटेक जेल जहां एक समय बाहुबलियों का ठिकाना था, सुरक्षा इतनी दुरुस्त की परिंदा भी पर न मार सके, उसी बांदा जेल में अब कैदियों को पढ़ाया जा रहा है. पढ़ाई-लिखाई के माध्यम से उनके मानसिक तनाव को कम करके उनमें बदलाव लाने का प्रयास किया जा रहा है. जेल में कैदियों की पाठशाला चल रही है. बांदा जेल में माफिया मुख्तार अंसारी भी बंद था.
जेल प्रशासन का मकसद है कि कैदियों के जेल आने के बाद उनकी मानसिक स्थिति में बदलाव लाया जाए, इसके लिए उन्हें पढ़ाया-लिखाया जा रहा है. साथ ही निरक्षर को साक्षर बनाने का काम किया जा रहा है, जिसमें महिलाएं और उनके बच्चे भी शामिल हैं.
बाकायदा जेल प्रशासन ने उनका स्कूल में एडमिशन भी कराया है. कैदी अबकी बार मार्च में पांचवी और आठवीं की परीक्षा भी देंगे. उन्हें बेसिक शिक्षा विभाग के दो टीचरों द्वारा पढ़ाने का काम किया जा रहा है. इसके अलावा कैदियों ने जेल कैम्पस में सुंदर पेंटिंग भी बनाई है, जिसमें महापुरुषों के चित्र शामिल हैं.
बता दें कि जेल में 51 कैदियों की पाठशाला चल रही है. इसमें कक्षा 5 में 43 बंदी हैं, जिसमें 5 महिलाएं शामिल हैं. वहीं, कक्षा आठ में 8 बंदी हैं. इनको साक्षर बनाने की जिम्मेदारी बेसिक शिक्षा विभाग के दो शिक्षकों पर हैं, जिसमें एक पुरुष और एक महिला टीचर है. महिला टीचर महिला कैदियों को पढ़ाती हैं. जबकि, पुरुष टीचर मेल कैदियों को.
इन कैदियों से जेल प्रशासन पढ़ने की सिवाय कोई और काम नहीं लेता. पढ़ने वाले कैदियों को बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा किताबें और कॉपियां उपलब्ध कराई गई हैं. इसके अलावा जेल प्रशासन ने एक कंप्यूटर लैब भी बनाई है, जिसमे बंदियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जेल प्रशासन ने इन सभी का कंपोजिट स्कूल पुलिस लाइन में एडमिशन कराया है. पढ़ने वाले बंदी हत्या, अपहरण, दहेज हत्या, रेप जैसे बड़े अपराध कारित करने वाले हैं. सुरक्षा की दृष्टि से इन्हें स्कूल नहीं भेजा जाता, जेल कैम्पस में ही क्लास रूम बनाकर इनकी पाठशाला लगती है. जेल प्रशासन का उद्देश्य बंदियों में सकारात्मक परिवर्तन लाना, उनके मानसिक, समाजिक विकास में बदलाव करना है.
पाठशाला लगाने वाले टीचर विक्रम सिंह ने बताया कि यहां जेल में कैदियों को निरक्षर से साक्षर बनाने के लिए मुझे तैनात किया गया है. मैं इनके मानसिक विकास में बदलाव करने के लिए इन्हें पढ़ाता हूं. मैं पहले कैदियों की भावनाओं को समझता हूं, इनसे सवाल-जवाब करता हूं. कैदी सभी उम्र के हैं, ज्यादातर किशोर हैं. बच्चों को पढ़ाने में उतनी कठिनाई नहीं है, इनको मोटिवेट करके पढ़ाया जाता है, काफी परिवर्तन आया है, कुछ लोग तो काफी दिलचस्पी ले रहे हैं.
उधर, जेल सुपरिटेंडेंट अनिल कुमार गौतम ने बताया कि कैदियों के जीवन मे परिवर्तन लाने के लिए उनके मानसिक विकास में बदलाव करने के उद्देश्य से बांदा मंडल कारागार में दो शिक्षकों की तैनाती डीएम ने की है. इनकी क्लासेज रेगुलर चल रही हैं. इन्हें शिक्षा के माध्यम से समाज की मुख्य धारा में लाने का प्रयास किया जा रहा है. पहले यहां शिक्षा की व्यवस्था नहीं थी, अब डीएम के माध्यम से यह व्यवस्था शुरू हुई है. हमारे विभाग के साथ-साथ सरकार का भी उद्देश्य है कि बंदियों को जेल में रखकर उनमें बदलाव लाया जाए, उन्हें सुधारा जाए, जिससे कि वो यहां से जाकर अपने घर में, समाज में बदलाव लाएं और सामाजिक व्यक्ति बन सकें.