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Bareilly: सिक्योरिटी गार्ड चला रहा था 'खुफिया एजेंसी', खुद को बताता था डायरेक्टर, ऐसे गिरफ्त में आया 'नटवरलाल'

बरेली पुलिस के मुताबिक, आरोपी विजय मैसी ने खुद को 'कवर्ट इंटेलिजेंस नेटवर्क सोशल वेलफेयर एसोसिएशन' नामक एक फर्जी संगठन का निदेशक बताया और फर्जी पहचान दस्तावेज तैयार करने के लिए लोगों से मोटी रकम ऐंठी. 

बरेली पुलिस की गिरफ्त में आरोपी बरेली पुलिस की गिरफ्त में आरोपी
aajtak.in
  • बरेली ,
  • 25 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 12:52 PM IST

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में फर्जी खुफिया संगठन चलाने वाले और जाली दस्तावेज तैयार कर लोगों को ठगने वाले एक ठग को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस अधिकारी के अनुसार, विजय मैसी ने खुद को 'कवर्ट इंटेलिजेंस नेटवर्क सोशल वेलफेयर एसोसिएशन' नामक एक फर्जी संगठन का निदेशक बताया और फर्जी पहचान दस्तावेज तैयार करने के लिए लोगों से मोटी रकम ऐंठी. 

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पुलिस और विशेष अभियान समूह (एसओजी) की एक संयुक्त टीम ने सोमवार शाम बरेली के पटेल नगर में छापेमारी की और मैसी को उसके कार्यालय से गिरफ्तार कर लिया. कार्रवाई के दौरान कई जाली दस्तावेज और सामग्री जब्त की गई. 

पुलिस अधीक्षक (शहर) मानुष पारीक ने कहा, "हमें गोपनीय शिकायतें मिलीं कि एक व्यक्ति खुफिया एजेंसी का निदेशक होने का दावा कर लोगों को गुमराह कर रहा है. जांच करने पर आरोप सही पाए गए. उसके खिलाफ मामला दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया है."

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, अधिकारी ने बताया कि पूछताछ के दौरान मैसी ने खुलासा किया कि वह उत्तराखंड के चंपावत जिले का रहने वाला है और यहां इज्जतनगर में रह रहा था. विजय मैसी ने स्वीकार किया कि उसने केवल 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की है और दस्तावेज जालसाजी करने से पहले उत्तराखंड में एक सुरक्षा कंपनी के लिए काम किया था. 

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आरोपी मैसी ने कबूल किया कि उसने लोगों को लुभाने के लिए 'कवर्ट इंटेलिजेंस नेटवर्क सोशल वेलफेयर सोसाइटी' नाम का इस्तेमाल किया और फर्जी पहचान पत्र जारी किए. बरेली पुलिस के अधिकारी ने कहा- उसने पुलिस पहचान पत्र जैसे पहचान पत्र वितरित किए.  उसके पास से विभिन्न विभागों के नियुक्ति पत्र और आवेदन पत्र, बरेली और रुद्रपुर के जिला मजिस्ट्रेट को संबोधित पत्र, पेन ड्राइव और अन्य सामग्री जब्त की गई है. एक कार भी जब्त की गई, जिस पर पुलिस शैली के चिह्नों में "निदेशक" लिखा था. 

बरेली एसपी ने कहा कि मैसी ने ये फर्जी खुफिया नेटवर्क पहचान पत्र जारी किए, जिनका इस्तेमाल लोग टोल और पुलिस जांच से बचने के लिए करते थे. बकौल एसपी- "मैसी ने शिकायत दर्ज करने, ऋण दिलाने और नौकरी की व्यवस्था करने में मदद करने के बहाने पीड़ितों से पैसे भी लिए. उसने निर्णयों को प्रभावित करने के लिए फर्जी पत्रों के जरिए अधिकारियों पर दबाव भी डाला." 

मैसी ने स्वीकार किया कि उसने उत्तराखंड में सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करते हुए ये हथकंडे सीखे थे. पुलिस अब उसके नेटवर्क की जांच कर रही है और धोखाधड़ी में शामिल अन्य लोगों की पहचान कर रही है. 

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