
उत्तर प्रदेश के बरेली में स्थानीय अदालत ने बच्चों की गवाही के आधार पर एक व्यक्ति को अपनी पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में 10 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने 28 जनवरी को संजय नगर इलाके में रहने वाले विकास उपाध्याय उर्फ विक्की को उसकी आठ वर्षीय बेटी और 11 वर्षीय बेटे की गवाही के आधार पर दोषी ठहराया.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, अतिरिक्त जिला एवं शासकीय अधिवक्ता दिगंबर सिंह ने कहा कि बच्चों ने अदालत में बताया कि उनके पिता अक्सर उनकी मां वंदना के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार करते थे. उन्होंने बताया कि उनके पिता उनकी मां को पीटते, लात मारते और उनके बाल खींचते थे. बच्चों ने यह भी बताया कि उनके पिता अक्सर उनकी मां से कहते थे, "तुम मर क्यों नहीं जाती?"
अधिवक्ता दिगंबर सिंह ने कहा- घटना 29 अगस्त, 2023 को हुई, जब विकास ने वंदना को बुरी तरह पीटा. अगले दिन वंदना ने आत्महत्या कर ली, वह मृत पाई गई. अदालत ने विकास को अपनी पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी पाया और उस पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया.
यह मामला वंदना की मां कामिनी सक्सेना द्वारा प्रकाश में लाया गया था, जिन्होंने शुरुआती प्रतिरोध का सामना करने के बाद बरेली के बारादरी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई थी. मामले में अभियोजन पक्ष ने आरोपों के समर्थन में दो बच्चों सहित आठ गवाह पेश किए. कोर्ट में लंबी सुनवाई चली. जिसके बाद 28 जनवरी को कोर्ट ने विकास उपाध्याय उर्फ विक्की को दोषी ठहराया. इसमें विकास की आठ वर्षीय बेटी और 11 वर्षीय बेटे की गवाही अहम रही.