
देशभर में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू कर दिया गया है. इसको लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस अलर्ट है. लोगों को इस कानून के बारे में समझाया भी जा रहा है. इस बीच संवेदनशील माने जाने वाले बरेली जिले के मौलाना ने CAA का खुला समर्थन किया है. उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए इस कानून का स्वागत किया है.
बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी का कहना है कि इस कानून से हिंदुस्तान के मुसलमान को डरने की जरूरत नहीं है. यह कानून किसी की भी नागरिकता नहीं छीन सकता, बल्कि यह नागरिकता देने का कानून है.
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मौलाना शहाबुद्दीन ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक पार्टियां चुनाव में मुसलमान को इस्तेमाल करना चाहती हैं और CAA का डर दिखाकर राजनीतिक खेल खेलने की कोशिश में हैं. लेकिन हमारी अपील है कि कोई भी मुसलमान किसी भी संगठन और राजनीतिक दल के बयान पर ध्यान ना दे.
बकौल मौलाना- समाजवादी पार्टी CAA के नाम पर मुसलमानों को डराने का काम कर रही है. इसी के बलबूते वह लोकसभा चुनाव में वोट हासिल करना चाहती है. लेकिन हमें सपा और उसकी जैसी दूसरी पार्टियों से सावधान रहना होगा.
CAA के समर्थन में बरेली के मौलाना
बीते दिन भारत सरकार ने सीएए लागू कर दिया. इसको लेकर मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने 'आज तक' से कहा- मेरी 'ऑल इंडिया मुस्लिम जमात' इसका स्वागत करती है. इस कानून में मुसलमान से मुतालिक कोई चीज नहीं है. इससे ना तो डरने की जरूरत है ना ही घबराने की. सीएए का भारतीय मुसलमान से कोई लेना-देना नहीं है. यह कानून उन गैर मुसलमानों के लिए बनाया गया है जो पाकिस्तान, बांग्लादेश अफगानिस्तान से आए हैं और भारत में काफी साल से रह रहे हैं. जिनको शहरियत नहीं मिली है उनको शहरियत देने के लिए सरकार ने यह कानून बनाया है.
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सपा पर साधा निशाना
मौलाना शहाबुद्दीन ने आगे कहा कि राजनीतिक पार्टियां लोगों को डराने का काम कर रही हैं, खास तौर पर समाजवादी पार्टी. उनकी लोकसभा चुनाव की तैयारी है. इसलिए वो मुसलमान को डरा करके चुनाव में उनका इस्तेमाल करना चाहती हैं. मैं मुसलमान लोगों से गुजारिश करूंगा कि ऐसे लोगों से होशियार रहें. मैंने इस कानून का अध्ययन किया है. इसके बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि इस कानून का भारतीय मुसलमान से कोई लेना-देना नहीं है. बहुत सारी गलतफहमियां दूर हो गई हैं. इस बार मुसलमान पॉलिटिकल पार्टियों के झांसे में आने वाला नहीं है.