
बिकरू हत्याकांड के बाद एसटीएफ के हाथों मारे गए अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को जेल से रिहाई मिल गई है. उन्हें कोर्ट से पहले ही जमानत मिल गई थी लेकिन कानूनी दांव-पेंच की वजह से वो जेल से बाहर नहीं आ पायी थी. अब वो कानपुर के जेल से रिहा हो गई हैं.
खुशी पर आरोपियों की मदद करने का आरोप लगा था. इस मामले में पुलिस ने 45 लोगों को आरोपी बनाया था. खुशी दुबे उन आरोपियों में पहली ऐसी आरोपी हैं जिन्हें जमानत मिली है. वो 30 महीने बाद जेल से बाहर आई हैं.
वहीं खुशी दुबे को जमानत मिलने के बाद उनके वकील शिवकांत दीक्षित ने कहा कि न्याय में देरी हुई लेकिन हमें न्याय प्रणाली पर भरोसा है और न्याय मिलेगा.
बता दें कि उत्तर प्रदेश के कानपुर में साल 2020 में हुए बिकरू कांड में आरोपी बनाई गई खुशी दुबे को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी.
इसके 13 दिन बाद भी वो माती जेल से बाहर नहीं आ पाई थी. खुशी दुबे के वकील ने पुलिस और बैंक प्रबंधन पर जमानतगिरों के सत्यापन में लापरवाही का आरोप लगाते हुए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था, जिस पर कोर्ट ने दो थानों के SHO और बैंक प्रबंधक को कोर्ट में पेश होकर जवाब तलब किया था.
खुशी दुबे के वकील ने कहा था कि कोर्ट ने डाक के जरिए 11 जनवरी को पनकी थाने, नौबस्ता थाने और 12 जनवरी को कानपुर- अर्मापुर की यूको बैंक में दस्तावेत जमानत के सत्यापन के लिए दिए थे. लेकिन प्रशासन की लापरवाही के चलते अभी तक उन कागजों का सत्यापन नहीं किया गया है.
पॉस्को कोर्ट में इसकी शिकायत की गई थी, जिस पर पॉस्को कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए पनकी SHO, नौबस्ता SHO समेत अर्मापुर यूको बैंक प्रबंध को 19 जनवरी को कोर्ट में पेश होकर जवाब देने को कहा था. अदालत की सख्ती के बाद खुशी दुबे अब जेल से बाहर आ गई हैं.
बिकरू गांव में क्या हुआ था?
बता दें कि 2 जुलाई 2020 को कानपुर के चौबेपुर थाने के बिकरू गांव में दबिश देने गई पुलिस पर विकास दुबे ने साथियों के साथ हमला कर दिया था. इस हमले में DSP समेत 8 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी.
मुठभेड़ में मारे गए विकास दुबे का भतीजा और राइट हैंड अमर दुबे घटना के बाद फरार हो गया था, लेकिन 8 जुलाई 2020 को हमीरपुर के मौदाहा में एसटीएफ ने अमर दुबे को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था.