
बीजेपी के संगठन महासचिव बीएल संतोष इन दिनों उत्तर प्रदेश में पार्टी के खराब प्रदर्शन की समीक्षा में जुटे हैं. इस बाबत उन्होंने राज्य के दलित और ओबीसी नेताओं से मुलाकात की और उनके साथ बैठक की. इस दौरान पार्टी नेताओं ने हार की अलग-अलग वजहें बताईं. कुछ नेताओं ने आउटसोर्सिंग की नौकरी में आरक्षण नहीं होने को भी राज्य में पार्टी की हार में एक बड़ी वजह बताई.
बीएल संतोष के साथ मीटिंग में दलित और ओबीसी नेताओं ने कहा कि पार्टी की हार के पीछे आउटसोर्सिंग में आरक्षण का न होना भी एक वजह है. मसलन, दलित समाज आउटसोर्सिंग से आरक्षण खत्म किए जाने को, कुल आरक्षण खत्म किए जाने की दिशा में पहला कदम मान बैठा है. यही वजह है कि इस समाज ने बीजेपी को वोट देने से परहेज किया.
यह भी पढ़ें: 'आरक्षण और संविधान के दुष्प्रचार को दूर करेगी बीजेपी', लखनऊ में हुई समीक्षा बैठक में भाजपा ने लिया फैसला
आरक्षण खत्म किए जाने का दलित समाज को था डर
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के साथ स्थानीय नेताओं ने बताया कि असल में दलित समाज के मन में यह आशंका थी कि सरकार आरक्षण खत्म करने जा रही है. राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष के साथ मीटिंग में योगी सरकार के मंत्री असीम अरुण, गुलाब देवी और प्रदेश महामंत्री प्रियंका रावत शामिल थे.
यूपी में बीजेपी की हार की वजह बना आरक्षण
बताया जा रहा है कि सभी मंत्रियों ने एक सुर में आरक्षण के मुद्दे को पार्टी के लिए हार की बड़ी वजह माना है. बीजेपी के नेतृत्व ने आउटसोर्सिंग और ठेके की नौकरियों में दलित, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण के नहीं होने को एक बड़ा मुद्दा माना और जल्द ही इस मुद्दे पर एक पूरी रिपोर्ट देने को कहा है.
यह भी पढ़ें: बिहार: 50% से बढ़ाकर 65% किया जाए आरक्षण, पटना HC के फैसले के खिलाफ SC पहुंची नीतीश सरकार
दलित समाज की क्या है शिकायत?
आउटसोर्सिंग में और ठेके पर नौकरी में आरक्षण लागू करने को लेकर एक कार्य योजना तैयार करने की जिम्मेदारी असीम अरुण को दी गई है, जिसमें इन आउटसोर्सिंग की नौकरियों में कैसे आरक्षण के रोस्टर को लागू किया जा सकता है, इस पर एक पूरी रिपोर्ट वह राष्ट्रीय नेतृत्व को देंगे.