
भारतीय जनता पार्टी ने अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए चंद्रभान पासवान को अपना उम्मीदवार बनाया है. बता दें कि गोरखप्रसाद एक बार फिर मिल्कीपुर से टिकट के लिए जोर लगा रहे थे, लेकिन बीजेपी ने चंद्रभान पासवान पर विश्वास जताया. मिल्कीपुर सीट पर सपा और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर है. समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर अयोध्या के अपने सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस ने सपा प्रत्याशी को समर्थन देने का फैसला किया है. वहीं मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी ने उपचुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है.
भाजपा और सपा दोनों के लिए मिल्कीपुर उपचुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है. बीजेपी यह सीट जीतकर लोकसभा चुनाव में अयोध्या की हार का बदला लेना चाहती है. वहीं, सपा एक बार फिर अखिलेश के पीडीए (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) नैरेटिव को मिल्कीपुर के जरिए पूरे यूपी में बल देना चाहती है. अवधेश प्रसाद की तरह चंद्रभान पासवान भी अनुसूचित जाति से आते हैं. चंद्रभान रुदौली से दो बार जिला पंचायत सदस्य रहे हैं. अभी इनकी पत्नी जिला पंचायत सदस्य हैं. मिल्कीपुर उपचुनाव के लिए 17 जनवरी से नामांकन भरा जाएगा, 5 फरवरी को मतदान होगा और 8 फरवरी को नतीजे घोषित होंगे. चंद्रभान पासवान का पूरा परिवार साड़ी के बिजनेस में सक्रिय हैं. वह रुदौली में भी साड़ी का कारोबार करते हैं. वह गत 2 वर्षों से मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर सक्रिय थे.
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मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 3 लाख 58 हजार है. यहां सबसे अधिक अनुसूचित जाति और फिर पिछड़े वर्ग के वोटर हैं. मिल्कीपुर में अनुसूचित जाति वर्ग में पासी समाज और ओबीसी वर्ग में यादव सबसे प्रभावी हैं. इस सीट पर जो पार्टी जातीय समीकरण साध लेगी उसे लाभ मिलेगा. सपा के अवधेश प्रसाद 2022 के विधानसभा चुनाव में मिल्कीपुर से जीते थे. 2024 के लोकसभा चुनाव में अयोध्या सीट जीतकर सांसद बनने के बाद उन्हें विधायकी से इस्तीफा देना पड़ा था. इसी कारण यहां उपचुनाव की नौबत आई है.
मिल्कीपुर सीट का जातीय समीकरण
सपा के पीडीए समीकरण के काट के तौर पर बीजेपी ने भी मिल्कीपुर से दलित समुदाय का उम्मीदवार उतारा है. यहां ओबीसी और दलित वोटबैंक के साथ ही मुस्लिम भी प्रभावी भूमिका में हैं. समाजवादी पार्टी को फौरी तौर पर इसी पीडीए समीकरण का लाभ मिलता है. मिल्कीपुर सीट पर करीब 1.25 लाख दलित मतदाता हैं, जिनमें पासी बिरादरी के वोटर्स की संख्या 55 हजार है. इसके अलावा 30 हजार मुस्लिम और 55 हजार यादव हैं. मिल्कीपुर में सवर्ण जातियों में ब्राह्मण मतदाता 60 हजार के करीब, क्षत्रियों और वैश्य मतदाताओं की संख्या क्रमश: 25 हजार और 20 हजार हैं. अन्य जातियों में कोरी 20 हजार, चौरसिया 18 हजार हैं. साथ ही पाल और मौर्य बिरादरी के मतदाता भी हैं.
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बीजेपी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में गोरखनाथ को यहां से उतारा था. राम मंदिर के उद्घाटन के ठीक बाद हुए लोकसभा चुनाव में अयोध्या से सपा नेता अवधेश प्रसाद की जीत ने भाजपा को बड़ा झटका दिया था. यही कारण है कि सपा ने अवधेश प्रसाद को पीडीए के आइकन तौर पर पेश करने की पूरी कोशिश की. लोकसभा में भी अवधेश प्रसाद को अखिलेश यादव अपने साथ वाली सीट पर बैठाते रहे हैं. बीजेपी प्रत्याशी चंद्रभान पासवान पेशे से अधिवक्ता हैं.