
वरुण गांधी ने अपने संसदीय क्षेत्र के ब्लॉक पूरनपुर के गांव गुलड़िया भूपसिंह में जनसंवाद कार्यक्रम रखा. इसमें क्षेत्र की जनता इकट्ठा हुई. जनसंवाद के दौरान उन्होंने सांसदों को मिलने वाले वेतन का जिक्र किया. बताया कि जब वो संसद भवन गए तो एक लाख रुपये का चेक मिला. इस पर लोकसभा अध्यक्ष से पूछा ये क्या है. लोकसभा अक्ष्यक्ष ने जवाब दिया कि आपका वेतन है. इस पर उन्होंने कहा कि यह मैं नहीं चाहता, तो उन्होंने कहा कि इसको वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं है.
बताया कि उस समय डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे. इसके बाद वो उनसे मिले और कहा कि सरकारी गाड़ी और सैलरी नहीं चाहिए. जवाब मिला कि जब वो (मनमोहन सिंह) छोटे थे तो उन्हें पता चला था कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी यही कहा था. खैर, मैंने अपना वेतन समाज में खर्च कर दिया.
वरुण ने कहा कि उन्होंने आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों पर अपना वेतन खर्च कर दिया. कहा कि प्रदेश में अगर कोई पीड़ित कौम है तो वो है संविदा कर्मी. आंगनबाड़ी, आशा बहू, शिक्षामित्रों के साथ ही अन्य लोग हैं जिनके साथ अन्याय हो रहा है. न किसी को ठीक से मानदेय मिल रहा है और न स्थायीकरण किया गया. ये वो लोग हैं जिन्होंने कोरोना काल में अपनी जान पर खेलकर हमारी जान बचाई. हम हर मंच में संविदा कर्मचारियों के लिए न्याय की मांग करेंगे. सरकार से निवेदन किया जाएगा कि इनके मान-सम्मान दिख रही कमी की भरपाई की जाए.
वरुण गांधी ने कहा, "मैंने अपने संसदीय मित्रों को चिट्ठी लिखी. इसमें जितने करोड़पति सांसद हैं उनसे निवेदन किया है कि अपना वेतन त्याग दें. वो अपना वेतन अपने क्षेत्र के गरीबों पर लगाएं. खुशी की बात है कि 60-70 सांसदों की चिट्ठी वापस आई और कहा कि आपकी बात स्वीकार है."
कहा कि मेरी राजनीति की नींव धर्म है. इस धर्म का मतलब सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि धर्म का असली अर्थ न्याय का पालन करना है. मैंने तय किया कि हम लोग राजनीति में उन लोगों की लड़ाई लड़ेंगे जिनके लिए लोग डर रहे हैं. हमारे सांसद बनने का रास्ता आप ने शुरू किया था. उसके बाद मैं पूरा उत्तर प्रदेश घूमा. मैं अर्थशास्त्री हूं और अखबारों में लेख लिखता रहता हूं.
मैंने 1 दिन सोचा कि ऐसे कौन से आर्थिक मानक हैं जिसके अंतर्गत किसान या आम इंसान आ जाए, जो कि संपत्ति या अन्य वजह से आत्महत्या करने पर मजबूर होता है. जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे तो मैंने उनको चिट्ठी लिखी थी. इसमें उनसे ऐसे लोगों की जानकारी मांगी. उन्होंने बड़ा मन दिखाते हुए सभी अधिकारियों से बोला कि इसमें मदद करें. इसके बाद हमें करीब 42000 लोगों की सूची मिली. गौरतलब है कि वरुण गांधी लोगों के मुद्दों को उठाकर लगातार अपनी ही सरकार पर हमलावर हैं. उनकी बेबाकी किसी से छिपी नहीं है.