
यूपी में नगर निगम चुनाव की तारीखों का अभी ऐलान भले ही न हुआ हो लेकिन इसको लेकर सभी पार्टियों ने कमर कस ली है. बीजेपी ने भी इस चुनाव में जीत हासिल करने के लिए नई रणनीति अपनाई है. वह इस बार प्रदेश के 17 नगर निगमों में पसमांदा सम्मेलन करने जा रही है.
जानकारी के मुताबिक बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा नगर निगमों में बड़े स्तर पर यह सम्मेलन कराएगा, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, अल्पसंख्यक मंत्री समेत सरकार के अन्य मंत्री और पदाधिकारी शिरकत करेंगे. प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने प्रदेश अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष कुंवर बासित अली को इस संबंध में निर्देश भी जारी कर दिए हैं.
बीजेपी इन सम्मेलनों की शुरुआत मेरठ या मुरादाबाद से कर सकती है. पसमांदा मुसलमानों में पैठ बनाने के लिए बीजेपी तमाम सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से इस सम्मेलनों में संवाद करेगी. मालूम हो कि उपचुनाव के मद्देनजर भी बीजेपी ने रामपुर समेत एक दर्जन से ज्यादा जिलों में पसमांदा सम्मेलन कराए थे.
1200 मुसलमान प्रत्याशियों को दे सकती है सिंबल
यूपी निकाय चुनाव के लिए बीजेपी ने पहली बार पसमांदा मुसलमानों को टिकट देने की रणनीति बनाई है. बीजेपी निकाय चुनाव में 1200 से ज्यादा पसमांदा मुसलमान उम्मीदवारों को अपना सिंबल दे सकती है. इसके तहत उम्मीदवारों को जांचने का काम भी कुछ महीने पहले ही शुरू किया जा चुका है.
2024 के चुनाव में भी इस वोट बैंक पर नजर
पसमांदा मुसलमानों पर राजनीति शुरू करने के बाद विपक्ष बीजेपी पर हमलावर है, लेकिन बीजेपी ने रणनीति के साथ इस बार निकाय चुनाव में ना सिर्फ उन्हें टिकट देकर, बल्कि 2024 के मद्देनजर भी इस वर्ग को जोड़ने की कवायद पहले ही शुरू कर दी है. पार्टी का मानना है कि लाभार्थी वर्ग के तौर पर पसमांदा मुसलमान सीधे तौर पर पार्टी की सरकार की योजनाओं से जुड़ा है.
क्या इसलिए पसमांदा मुसलमानों पर है नजर
भारतीय मुसलमानों में पसमांदा समाज बहुमत में है, लेकिन नौकरियों, विधायिकाओं और सामुदायिक संगठनों में उनका प्रतिनिधित्व बहुत कम है. पसमांदाओं को अशरफ अभिजात वर्ग द्वारा जानबूझकर नजरअंदाज किया जाता है, जिन्हें मुस्लिमता पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित करने के रूप में देखा जाता है. पसमांदा मुसलमानों की इसी स्थिति को बीजेपी अपनी पार्टी के साथ जोड़कर मुख्यधारा में लाने और मजबूत पदों पर बैठाने के काम का दावा कर रही है.
मुसलमानों में 80% पसमांदा समाज से
अक्टूबर में पसमांदा मुसलमानों के सम्मेलन और उन्हें टिकट देने के सवाल पर यूपी अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने कहा थ कि यह तबका मुसलमानों का 80 फीसदी है जो हमेशा उपेक्षित रहा. बीजेपी सरकार ने उनको उनका हक दिया, हिस्सेदारी दी, पदों पर बैठाया और अब निकाय चुनाव में टिकट देकर उनकी चुनाव में भी हिस्सेदारी दी जाएगी. इस गुलदस्ते में रायनी, सैफी, अंसारी, सलमानी जैसे समाज हैं, जो सब मिलकर कमल खिलाते हैं."