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प्रतापगढ़ के CO जिया-उल-हक हत्याकांड में सभी 10 दोषियों को उम्रकैद, पीट-पीटकर किया गया था मर्डर

सीओ जिया-उल-हक हत्याकांड में सभी 10 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. साथ ही सभी पर 19,500 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. इस जुर्माने की आधी रकम जिया उल हक की पत्नी परवीन आजाद को दी जाएगी.

सीओ जिया-उल-हक (फाइल फोटो) सीओ जिया-उल-हक (फाइल फोटो)
संतोष शर्मा
  • लखनऊ ,
  • 09 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 6:50 PM IST

प्रतापगढ़ के सीओ जिया-उल-हक हत्याकांड में सभी 10 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. साथ ही इन सभी पर 19,500 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. इस जुर्माने की आधी रकम सीओ (डिप्टी एसपी) जिया उल हक की पत्नी परवीन आजाद को दी जाएगी. ये आदेश सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने दिया है. 

बता दें कि सीओ हत्याकांड में आज सीबीआई स्पेशल कोर्ट के जज धीरेंद्र कुमार ने 10 लोगों उम्रकैद की सजा सुनाई है. जिसमें फूलचंद यादव, पवन यादव,  मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटे लाल यादव, राम आसरे, पन्नालाल पटेल, शिवराम पासी और जगत बहादुर पटेल उर्फ बुल्ले पटेल शामिल हैं. इससे पहले पांच अक्टूबर को सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने इन सभी आरोपियों को दोषी करार दिया था. 

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मामले में कब क्या हुआ?

2 मार्च 2013 को शाम 7:30 बजे ज़मीन के विवाद के कारण कुंडा के बलीपुर गांव के प्रधान नन्हे यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. प्रधान के समर्थक हथियारों से लैस होकर बलीपुर पहुंच गए थे और कामता पाल के घर को आग के हवाले कर दिया था. 

घटना की जानकारी मिलते ही सीओ कुंडा जियाउल हक, तत्कालीन हथिगवां एसओ मनोज कुमार शुक्ला और कुंडा एसओ सर्वेश मिश्र, पुलिसकर्मियों के साथ मौके पर पहुंचे. भीड़ ने पुलिस को घेर लिया. सीओ उग्र भीड़ को समझा रहे थे कहासुनी का दौर चल रहा था कि प्रधान नन्हे यादव के छोटे भाई सुरेश यादव की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई. इसके बाद उग्र भीड़ ने सीओ जिया उल हक की पीट पीट कर हत्या कर दी. 

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रात 11:00 बजे पुलिस कर्मियों ने सीओ की तलाश शुरू की तो जिया उल हक की लाश प्रधान के घर के पीछे खड़ंजे पर मिली थी. भीड़ ने सीओ जिया उल हक की पिटाई के बाद गोली मारकर हत्या कर दी थी.

जिया उल हक हत्याकांड में दो FIR दर्ज हुई थी. पहली एफआईआर एसओ हथीगंवा मनोज कुमार शुक्ला ने दर्ज करवाई थी, वहीं दूसरी एफआईआर सीओ जिया उल हक की पत्नी परवीन आजाद ने दर्ज करवाई थी. परवीन आजाद की तरफ से दर्ज कराई गई एफआईआर में तत्कालीन मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, अक्षय प्रताप सिंह, हरिओम श्रीवास्तव, गुलशन यादव और नन्हे सिंह को आरोपी बनाया गया था. हालांकि, सीबीआई ने जांच के बाद राजा भैया और उनके साथियों को क्लीन चिट दे दी. 

परवीन आजाद ने सीबीआई की क्लीन सीट पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दोबारा जांच हुई और बीते 23 दिसंबर 2023 को सीबीआई ने राजा भैया उनके साथियों को दोबारा क्लीन चिट दे दी. 

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