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प्राण प्रतिष्ठा से पहले कैसे लीक हुई रामलला की खुली आंखों वाली तस्वीर? मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने की जांच की मांग

रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा पूरी होने से पहले भगवान की मूर्ति की आंखें दिखाई नहीं जा सकतीं. सोशल मीडिया पर वायरल मूर्ति की तस्वीरों में, जिसमें भगवान राम की आंखें दिख रही हैं, वह असली मूर्ति नहीं है.

रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने प्राण प्रतिष्ठा से पहले भगवान की खुली आंखों वाली तस्वीरें वायरल होने पर नाराजगी जतायी है. रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने प्राण प्रतिष्ठा से पहले भगवान की खुली आंखों वाली तस्वीरें वायरल होने पर नाराजगी जतायी है.
aajtak.in
  • अयोध्या,
  • 21 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 7:49 AM IST

राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा से पहले रामलला की मूर्ति की खुली आंखों वाली तस्वीरें लीक होने के मामले में जांच की मांग की है. मंदिर के गर्भगृह के अंदर रखी गई नई मूर्ति की पहली तस्वीर गुरुवार देर रात सोशल मीडिया पर सामने आई थी. इस तस्वीर में रामलला की आंखें पीले रंग के कपड़े से ढकी हुई थीं. इसके एक दिन बाद एक और तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई, जिसमें रामलला अपने संपूर्ण रूप में देखे गए, उनकी आंखें ढकी हुई नहीं थी.

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रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने कहा, प्राण प्रतिष्ठा के पूरा होने से पहले भगवान राम की मूर्ति की आंखें प्रकट नहीं की जा सकतीं. सोशल मीडिया पर वायरल मूर्ति की तस्वीरों में, जिसमें भगवान राम की आंखें दिख रही हैं, वह असली मूर्ति नहीं है. अगर आंखें देखी जा सकती हैं तो आंखें किसने दिखाईं और मूर्ति की तस्वीरें सोशल मीडिया पर कैसे वायरल हो रही हैं, इसकी जांच की जानी चाहिए’. बता दें कि विश्व हिंदू परिषद और राम मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने ऐसी कोई भी तस्वीर जारी करने से इनकार किया है.

राम मंदिर के गर्भगृह में विराजित की गई मूर्ति को कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है. यह मूर्ति शालीग्राम शिला से निर्मित हुई है, जो काले रंग का पत्थर होता है. शास्त्रों और धर्म ग्रंथों में शालीग्राम पत्थर को साक्षात भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भगवान विष्णु के ही सातवें अवतार माने गए हैं. शालीग्राम शिला की आयु हजारों साल होती है. यह जल रोधी होती है. चंदन और रोली लगाने से मूर्ति की चमक प्रभावित नहीं होगी.

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नख से शिखा तक रामलला की मूर्ति की कुल ऊंचाई 51 इंच है और वजन करीब 200 किलो है. 22 जनवरी को सुबह रामलला के विग्रह की पूजा की जाएगी और दोपहर में मृगशिरा नक्षत्र में उनका अभिषेक किया जाएगा. पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा होगी. वहीं रामलला की पुरानी मूर्ति को अयोध्या की पंचकोसी परिक्रमा करायी जाएगी, यहां के मंदिरों में ले जाया जाएगा. इसके बाद उस मूर्ति को भी राम मंदिर के गर्भगृह में नई प्रतिमा के साथ ही रख दिया जाएगा.

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