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नींद खुली तो लड़के ने देखी थी पिता पर तनी बंदूकें... 22 साल पहले हुए हत्याकांड में मिला न्याय

ये मामला बांदा जिले के मरका थाना क्षेत्र के देवरार गांव का है. 11 जुलाई 2002 को एक युवक थाने पहुंचता है और पुलिस को बताता है कि रात में उसके पिता और छोटा भाई दरवाजे पर सो रहे थे. रात 12 बजे उसकी नींद खुली तो देखा कि पिता की चारपाई के पास तीन लोग बंदूक लिए खड़े थे.

सांकेतिक तस्वीर. सांकेतिक तस्वीर.
सिद्धार्थ गुप्ता
  • बांदा,
  • 18 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 11:15 PM IST

यूपी के बांदा में 22 साल पहले हुए एक हत्याकांड में कोर्ट का फैसला आया है. कोर्ट ने तीन लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. साथ ही 90-90 हजार जुर्माना भी लगाया है. ये मामला है साल 2002 का. एक दलित व्यक्ति की जमीन पर दबंगों ने कब्जा कर लिया था. विरोध करने पर उसे गोलियां से छलनी कर दिया था.

मामला मरका थाना क्षेत्र के देवरार गांव का था. 11 जुलाई 2002 को बदलू प्रसाद थाने पहुंचता है और पुलिस को बताता है कि रात में उसके पिता भुलुवा और छोटा भाई नंदकिशोर दरवाजे पर सो रहे थे. रात 12 बजे उसकी नींद खुली तो देखा कि पिता की चारपाई के पास लंबरी उर्फ शिवमंगल, सत्यदेव और सुरजबली बंदूक लिए खड़े थे.

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'पिता पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर उनकी हत्या कर दी'

इससे पहले वो कुछ समझ पाता उन्होंने पिता पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर उनकी हत्या कर दी और फरार हो गए. हथियार यमुना नदी में फेंक दिए. उसने ये भी बताया कि आरोपियों ने उसकी ही जमीन पर कब्जा करके घर बनवा लिया. उसके परिवार ने अफसरों से जमीन दिलवाने की गुहार लगाई. इसी रंजिश में उन्होंने हत्या कर दी.

मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की. विवेचना की और सितंबर 2005 में आरोप पत्र दाखिल किया. अभियोजन पक्ष की तरफ से 5 गवाह पेश किए गए. दोनो पक्षों की दलीलों के बाद कोर्ट ने अब इस हत्याकांड में तीनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है.  साथ ही 90- 90 हजार का जुर्माना भी लगाया है.

कोर्ट के सरकारी अधिवक्ता विमल सिंह, महेंद्र द्विवेदी ने बताया कि इस मामले में 5 गवाह पेश किए गए. करीब दर्जन भर जज के बदल गए. 200 से ज्यादा तारीखें पड़ीं अब कोर्ट ने आरोपियों को दोषी करार दिया है. इसमें पिता-पुत्र सहित तीनों आरोपियो को सजा सुनाई है.

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