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Moradabad: ब्रास बाबू नाम से मशहूर बाबूराम यादव, सैकड़ों युवाओं को सिखाया हुनर… अब मिलेगा पद्मश्री 

मुरादाबाद के रहने वाले 74 साल के बाबूराम को ब्रास बाबू के नाम से मशहूर हैं. उन्हें मरोड़ी आर्ट में विशेष महारत हासिल है. उन्होंने अपने पिता से हस्तशिल्प के इस हुनर को सीखा और सैकड़ों युवाओं को इसकी फ्री ट्रेनिंग दी, ताकि यह कला जिंदा रहे. शिल्पकारी में विशेष कौशल और उसके प्रति बाबूराम के जुनून को देखते हुए उन्हें यह पुरस्कार दिया जा रहा है. 

बाबूराम करीब 12-13 साल की उम्र से करने लगे थे शिल्प कला. बाबूराम करीब 12-13 साल की उम्र से करने लगे थे शिल्प कला.
जगत गौतम
  • मुरादाबाद ,
  • 26 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 8:40 PM IST

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के रहने वाले बाबूराम यादव को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा. गणतंत्र दिवस से पहले पद्म पुरस्कारों का एलान किया गया है. इसमें उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के रहने वाले बाबूराम यादव का भी नाम शामिल है. वह पिछले 6 दशक से पीतल हस्तशिल्प का काम कर रहे हैं. 

अपनी कला (पीतल शिल्पकला) की वजह से मशहूर बाबूराम को मरोड़ी आर्ट (पीतल का बारीक काम) के लिए पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा जाएगा. मरोड़ी आर्ट में विशेष महारत होने की वजह से ही 74 साल के बाबूराम को ब्रास बाबू के नाम से पहचान मिली है. मुरादाबाद के नागफनी क्षेत्र के रहने वाले बाबूराम करीब 12-13 साल की उम्र से शिल्प कला करते चले आ रहे हैं. बाबूराम यादव के पिता भी ब्रास और कई अन्य धातु का काम करते थे. 

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मरोड़ी आर्ट में बाबूराम यादव को हासिल है विशेष महारत.

पिता से सीखा काम, सैकड़ों युवाओं को फ्री में सिखाया 

पिता से ही बाबूराम ने भी पीतल का काम सीखा था और पिछले 60 साल से अब तक वह इस काम को कर रहे हैं. बाबूराम यादव अब इस शिल्पकला को आगे बढ़ने का काम भी कर रहे हैं. वह युवाओं को इसकी ट्रेनिंग भी देते हैं, जिससे आने वाली युवा पीढ़ी में भी यह कला बनी रहे. अब तक वह 1,000 से ज्यादा न्यू ट्रेनी को फ्री ट्रेनिंग दे चुके हैं.

1962 से कर रहे हैं पीतल के हस्तशिल्प का काम

बाबूराम यादव को कई पुरानी शिल्प कला के बारे में जानकारी है, जिससे वह मुश्किल से मुश्किल पीतल से बनने वाले उत्पाद/ कलाकृतियों को बनाने में माहिर हैं. करीब पिछले 60 सालों से वह पूरे देश में अपनी पीतल से बनी कलाकृतियां को दर्शा रहे हैं. उन्होंने इसको ही कई वर्षों से अपना रोजगार भी बना लिया है और शिल्प मेलों में अपने हस्तशिल्प का हुनर दिखाया है.

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शिल्प कला को जिंदा रखने का जुनून, इसलिए मिला पुरस्कार  

बाबूराम यादव की बेहद सुंदर शिल्प कला और शिल्प कला को जिंदा रखने के जुनून को देखते हुए उनको पद्मश्री के लिए नवाजा गया है. इससे बाबूराम सहित उनका पूरा परिवार बेहद खुश है. उनकी इस कला से पीतलनगरी के नाम से पहचाना जाने वाला शहर मुरादाबाद एक बार फिर पूरे देश में चमक उठा है.

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