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वो तीन मोबाइल कॉल...जिससे पकड़े गए लॉकर तोड़ने वाले बदमाश, लखनऊ बैंक लूटकांड की इनसाइड स्टोरी

Lucknow Bank Robbery: डकैती डालने वाले बदमाशों ने बैंक के अंदर और बाहर की सीसीटीवी फुटेज को देखने के बाद अपनी योजना बनाई थी. वारदात के बाद उन्होंने एक या दो नहीं बल्कि तीन-तीन बार फोन पर बात की थी, जिससे पुलिस को उनकी लोकेशन ट्रेस करने में आसानी हुई.

आशीष श्रीवास्तव
  • लखनऊ ,
  • 24 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:43 PM IST

Lucknow News: चिनहट के मटियारी स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक में हुई लॉकर चोरी के मामले में पुलिस ने बड़ा खुलासा किया है. चोरी को अंजाम देने वाले गिरोह ने वारदात से पहले चार दिन तक बैंक और आसपास के इलाके की रेकी की थी. इस गिरोह ने बैंक की दीवार में सेंध लगाकर अंदर दाखिल होने के लिए खाली प्लॉट का उपयोग किया था. साथ ही बदमाशों ने अपनी पहचान छिपाने के लिए मुंह पर नकाब और हेलमेट लगाया हुआ था. 

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लखनऊ पुलिस सूत्रों के मुताबिक, डकैती डालने वाले बदमाशों ने बैंक के अंदर और बाहर की सीसीटीवी फुटेज को देखने के बाद अपनी योजना बनाई थी. वारदात के बाद उन्होंने एक या दो नहीं बल्कि तीन-तीन बार फोन पर बात की थी, जिससे पुलिस को उनकी लोकेशन ट्रेस करने में आसानी हुई. फिर इनपुट के आधार पर पुलिस उनतक पहुंच गई. 

पुलिस एनकाउंटर में घायल हुआ एक आरोपी अरविंद कुमार फोन पर बैंक लॉकर तोड़ते समय लगातार किसी से बात कर रहा था. बैंक के अंदर लगे सीसीटीवी में वह कैद हो गया था. ठीक उसी समय बैंक के बाहर खड़ा बदमाश भी फोन पर बात कर रहा था. जिसके बाद पुलिस ने उस समय सक्रिय तमाम मोबाइल नंबरों का डाटा इकट्ठा किया. फिर उनकी जांच में पता चला कि बैंक में डकैती डालने वाला गैंग बिहार का है. उनसे जुड़े मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर लेने पर कई अहम जानकारी सामने आई. 

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पुलिस ने बताया कि चोरी के दौरान करीब साढ़े तीन घंटे तक लॉकरों को काटा गया था. पकड़े गए आरोपियों ने बताया कि वे बिहार के मुंगेर से आए थे और 17 दिसंबर से ही लखनऊ मे ठहरे थे. वहीं, बैंक अफसरों ने बताया कि लॉकर तोड़कर चोरी के मामले में बैंक की तरफ से सुरक्षा में कोई चूक नहीं हुई थी. आरबीआई के नियमों के अनुसार ही पूरी व्यवस्था थी. लॉकर में डबल लॉक रहता है, जिसकी एक चाबी बैंक के पास और दूसरी ग्राहक के पास होती है. बदमाश उसे तोड़कर कैश-ज्वैलरी आदि उड़ा ले गए. 

पुलिस सूत्रों की माने तो लखनऊ के चिनहट स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक में हुई करोड़ों की चोरी की साजिश एक साल पहले पंजाब के जालंधर जेल में बनी थी. डकैती का मास्टरमाइंड कैलाश और साजिशकर्ता विपिन एक साथ जालंधर जेल में बंद थे, जहां उन्होंने इस वारदात की योजना बनाई थी. 

गौरतलब हो कि इस वारदात में बैंक के अंदर और बाहर बदमाशों की मोबाइल पर बात करती मिली सीसीटीवी फुटेज ने पुलिस की राह आसान कर दी. पुलिस को बस वहां सक्रिय मोबाइल नंबरों का डाटा निकलवाना था और ये डाटा निकलवाते ही पुलिस के हाथ उनके मोबाइल नंबर लग गए. ये नंबर वारदात के बाद भी ऑन रहे, जिससे बदमाशों की लोकेशन ट्रेस करने में आसानी हुई. इस तरह से 24 से 30 घंटों में ही पूरी वारदात का खुलासा हो गया. 

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