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मैडम! इसे पकड़वा लो नहीं तो मुझे कंगाल कर देगा... गांव वाले की गुहार पर मगरमच्छ का रेस्क्यू, VIDEO

महराजगंज में एक गांव के तालाब में बारिश के पानी में बहकर एक मगरमच्छ पहुंच गया. उस तालाब में मछली पालन किया जा रहा है. मगरमच्छ ने एक-एक कर तालाब की मछलियों को खाना शुरू कर दिया. जिसके बाद मत्स्य पालन करने वाले शख्स ने DFO से फोन पर मगरमच्छ पकड़ने की गुहार लगाई. उसकी गुहार पर मगरमच्छ को पकड़कर एक नाले में छोड़ दिया गया है.

महराजगंज में तालाब से किया गया मगरमच्छ का रेस्क्यू महराजगंज में तालाब से किया गया मगरमच्छ का रेस्क्यू
अमितेश त्रिपाठी
  • महराजगंज,
  • 10 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:11 PM IST

उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले में इंडो-नेपाल सीमा के पास नौतनवा क्षेत्र के गंगवलिया गांव से एक चौंका देने वाला मामला सामने आया है. यहां बारिश के पानी में बहकर गांव के एक तालाब में मगरमच्छ आ जाने से सनसनी फैल गई. मगरमच्छ गांव वालों को नुकसान तो नहीं पहुचा सका, लेकिन तालाब में पाली गई मछलियों को एक-एक कर अपना निवाला बनाना शुरू कर दिया, जिससे मछली पालने वालों की चिंता बढ़ गई. उनकी मांग पर डीएफओ ने वन विभाग की टीम को भेजकर मगरमच्छ को पकड़कर बघेला नाले में छोड़ दिया.  

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भारत-नेपाल सीमा से सटे महराजगंज जिले में तेंदुआ के अलावा मगरमच्छों के आतंक से भी लोग सहमे हुए हैं. नेपाल की नदियों से बारिश के पानी के साथ बहकर आए मगरमच्छ नदी और पहाड़ी नालों से निकल आसपास के आबादी वाले गांवों और जलाशयों में पहुंच रहे हैं. सूचना के बाद वन विभाग की टीम रेस्क्यू कर मगरमच्छों को पकड़ नदी में ले जाकर छोड़ रही है. यह सिलसिला पिछले दो महीनों से चल रहा है.  

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ताजा मामला नौतनवा क्षेत्र के गंगवलिया गांव का है. यहां के रहने वाले अंबिका चौबे ने तालाब में मछली पालन किया है. मछलियां बड़ी हो गई थीं,  उसी दौरान कहीं से मगरमच्छ पहुंच गया और वो मछलियों को खाने लगा. अंबिका चौबे के मुताबिक, कई कुंतल मछली मगरमच्छ खा गया है. पोखरे में मगरमच्छ दिखाई देने के बाद गांव वालों ने उस तरफ जाना ही छोड़ दिया. आसपास के घर के लोग भी भयभीत रहने लगे. चौबे ने इसको लेकर वन विभाग के कर्मचारियों को कई बार बताया, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई. जिसके बाद उन्होंने डीएफओ अर्शी मलिक को फोन किया और मगरमच्छ को पकड़ने की गुहार लगाई.

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DFO मैडम के निर्देश पर हुआ मगरमच्छ का रेस्क्यू

उन्होंने कहा कि मगरमच्छ पोखरी में पल रहीं उसकी मछलियों को खा रहा है. अगर जल्द ही उसे नहीं पकड़ा गया तो पोखरियों की सभी मछलियों को खाकर मगरमच्छ कंगाल बना देगा. मत्स्य पालक अंबिका चौबे की फरियाद पर डीएफओ ने उन्हें आश्वासन दिया और उनके निर्देश पर वनकर्मियों ने गंगवलिया गांव पहुंचकर ग्रामीणों के सहयोग से मगरमच्छ को पकड़कर उसे बघेला नाले में जाकर छोड़ दिया.  

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मगरमच्छों के लिए मशहूर है महराजगंज का दर्जिनिया ताल  

जिले के निचलौल रेंज के जंगल में करीब पांच हेक्टेयर में फैला दर्जिनिया ताल है. यह ताल मगरमच्छों के लिए मशहूर है. इसमें 300 से अधिक मगरमच्छ हैं. ताल में मगरमच्छों की संख्या देखने के लिए वन विभाग ने उसे मगरमच्छ प्रजनन व संरक्षण केन्द्र के रूप में विकसित किया है. ताल के अंदर जगह-जगह बालू के टीले बनाए गए हैं. बालू के ऊपर अंडे देकर मादा मगरमच्छ उसे छिपा देती हैं. मगरमच्छों को देखने के लिए दूर-दूर से सैलानी दर्जिनिया ताल पहुंचते हैं. 

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गंडक नदी में कुकरैल से लाकर छोड़े जाते हैं घड़ियाल  

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महराजगंज जिले से होकर बड़ी गंडक नदी भी गुजरी है. नेपाल के पहाड़ों से आई इस नदी का पानी अन्य जगहों की तुलना में बेहद स्वच्छ है. इस वजह से इसमें डाल्फिन भी पाई जाती है. शासन के निर्देश पर वन विभाग के अधिकारी लखनऊ के पास कुकरैल प्रजनन केन्द्र से घड़ियाल के बच्चों को लाकर गंडक नदी में कई बार छोड़ चुके हैं. उनमें टैग भी लगाया जाता है. एक बार महराजगंज जिले के गंडक नदी के टेलफाल से छोड़ा गया मगरमच्छ नदी के रास्ते लंबा सफर करते हुए पटना गंगा नदी में पहुंच चुका था.

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